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रूसी तेल खरीदने के लिए भारत की सराहना की जानी चाहिए: पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री

भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा समान द्वितीयक टैरिफ लगाने की घोषणा से पड़ने वाले असर पर बोलते हुए मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि "मुझे कोई भी दबाव महसूस नहीं हो रहा है।"
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भारतीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ऊर्जा वार्ता 2025 कार्यक्रम के दौरान बताया कि देश का तेल खरीदने के मामले में रवैया साफ रहा है कि तेल का आयात कहीं से भी किया जा सकता है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि भारत ने समय के साथ-साथ तेल खरीदने में भी अपनी पहुँच कई देशों तक बढ़ा ली है।

मंत्री ने कहा कि जब विशेष सैन्य अभियान शुरू हुआ, "तब हम रूसी संघ से अपने कुल कच्चे तेल का 0.2% ही खरीद रहे थे। और आज इसमें काफ़ी वृद्धि हुई है, भारत ने आपूर्ति के स्रोतों में विविधता बढ़ाई है जिसके परिणाम स्वरूप पहले 27 देशों से तेल खरीदा जाता था जिनकी संख्या अब बढ़कर लगभग 40 हो चुकी है। हम पहले दिन से ही स्पष्ट रहे हैं कि हमें जहाँ से भी खरीदना होगा, हम खरीदेंगे क्योंकि प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता अंततः भारतीय उपभोक्ता के प्रति है।"

उन्होंने आगे बताया कि आज रूस [तेल] के प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं में से एक है, "आज, मुझे लगता है कि वे प्रतिदिन लगभग 90 लाख बैरल तेल का उत्पादन करते हैं। यह वैश्विक उत्पादन और दैनिक खपत का लगभग 10% है।"
उन्होंने कहा, "खपत में 10% की कमी कोई आसान बात नहीं है। और आप तय करते हैं कि 10% बाजार से हट जाएगा, और आप खपत कम नहीं करना चाहते, तो आप बचे हुए 90% से और खरीदारी शुरू कर देते हैं।"
रूसी तेल के आयात पर प्रतिबंध लगाए जाने से कीमतों पर पड़ने वाले असर के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि जो कीमतें यहाँ थीं, वे आसमान छू जाएँगी।

केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, "हमने विश्लेषण किया कि अगर ज़्यादा से ज़्यादा लोग ओपेक के अन्य स्रोतों से खरीदारी करते हैं तो कीमतें कम से कम 130-140 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच जाएंगी। इसलिए अगर हम किसी भी अन्य स्रोत से खरीद रहे हैं, तो मुझे लगता है कि हमारी सराहना होनी चाहिए।"

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