रूसी सांसद लियोनिद स्लुत्स्की ने कहा कि अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगी रूस के खिलाफ द्वितीयक प्रतिबंधों और शुल्कों के ज़रिए भारत और चीन को "दबाव के हथियार" में बदलने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह योजना काम नहीं करेगी।
स्लुत्स्की ने अपने टेलीग्राम चैनल पर लिखा, "द्वितीयक प्रतिबंध और शुल्क लगाकर बीजिंग और नई दिल्ली को मास्को पर दबाव डालने वाला 'उपकरण' बनाने की पश्चिमी कोशिश नाकाम रहने वाली है। वैश्विक बहुमत के पश्चिमी अल्पमत के नियमों के अनुसार चलने की संभावना नहीं है। यह बकवास है।"
उन्होंने आगे कहा कि भारत और चीन खुले तौर पर अमेरिका के दबाव को खारिज कर चुके हैं। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दो टूक कहा है कि रूस के साथ भारत के संबंध अपनी स्वतंत्र महत्ता रखते हैं और उन्हें किसी तीसरे देश के नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए।
रूसी संसद सदस्य के अनुसार अब दुनिया एकध्रुवीय नहीं रही और पश्चिम का दबदबा अतीत की बात है।
स्लुत्स्की ने ज़ोर देकर कहा, "भारत और चीन में से कोई भी अपनी संप्रभुता की कीमत पर तथाकथित अमेरिकी ‘असाधारणता’ को स्वीकार करने को तैयार नहीं है।"