नई दिल्ली ने वाशिंगटन को यह भी याद दिलाया कि जब उसने यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद रूस से आयात करना शुरू किया था, तो अमेरिका ने "ऐसे आयातों को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया था।"
इसके अलावा कच्चे तेल के निर्यात को लेकर भारतीय रिफाइनरियों को निशाना बनाने के यूरोपीय संघ के रुख का भी विरोध किया।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि "जबकि भारत का आयात वैश्विक बाजार की स्थिति के कारण एक आवश्यकता है, इसकी आलोचना करने वाले देश स्वयं रूस के साथ व्यापार में संलग्न हैं जबकि ऐसा व्यापार कोई महत्वपूर्ण बाध्यता भी नहीं है"।
जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है, "यूरोप-रूस व्यापार में न केवल ऊर्जा, बल्कि उर्वरक, खनन उत्पाद, रसायन, लोहा और इस्पात तथा मशीनरी और परिवहन उपकरण भी सम्मिलित हैं।"
इसके बाद सरकार ने रूस से संयुक्त राज्य अमेरिका के आयात की ओर इशारा करते हुए कहा "जहां तक संयुक्त राज्य अमेरिका का सवाल है, वह अपने परमाणु उद्योग के लिए रूस से यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, अपने इलेक्ट्रिक वाहन इंडस्ट्री के लिए पैलेडियम, उर्वरकों के साथ-साथ रसायनों का आयात जारी रखे हुए है।"
विदेश मंत्रालय ने जारी बयान में कहा, "किसी भी प्रमुख अर्थव्यवस्था की भांति, भारत अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगा।"