भारत सरकार के रक्षामंत्रालय के निर्णय के अनुसाल नीलगिरि श्रेणी के कुल 7 युद्धपोतों का निर्माण किया जाना है जिसमें से पहला नीलगिरि इसी वर्ष 15 जनवरी को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया है। लगभग 4000 करोड़ रुपए प्रति युद्धपोत की लागत से इन सभी का निर्माण अगले वर्ष तक पूरा हो जाएगा।
ये सभी आधुनिक समय के युद्धों के लिए पूरी तौर पर सज्जित हैं। इनका सबसे बड़ा अस्त्र इनमें लगीं 8 ब्रह्मोस हैं जिनसे शत्रु के युद्धपोत पर या ज़मीनी ठिकाने पर लंबी दूरी से हमला किया जा सकता है। शत्रु के हवाई हमले से बचाव के लिए 32 बराक मिसाइलें हैं जिनकी रेंज 100 किमी तक है।
सबमरीन से निबटने के लिए वरुणास्त्र टारपीडो के अलावा एंटी सबमरीन रॉकेट लगाए गए हैं। इसमें नौसैनिक तोपें लगाई गई हैं और एक हेलीकॉप्टर तैनात किया जा सकता है। इन युद्धपोतों की समुद्र में गति 32 नॉटिकल मील प्रति घंटे या 59 किमी है और अलग-अलग गति से ये 4600 किमी से लेकर 10200 किमी तक की दूरी तय कर सकते हैं।
इन युद्धपोतों पर 226 अधिकारियों और नौसैनिकों को नियुक्त किया जा सकता है। आधुनिक युद्धों की आवश्यकता के अनुसार इनमें अत्याधुनिक रडार और स्वदेशी सोनार सिस्टम लगाए गए हैं। इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर के लिए इनमें डीआरडीओ द्वारा विकसित शक्ति ईडब्ल्यू सूट लगाया गया है।
युद्धपोत पर युद्धक्षेत्र प्रबंधन प्रणाली लगाया गया है जोकि अलग-अलग खतरों को भांपता है और उसके लिए आवश्यक अस्त्रों के चुनाव का निर्णय करने में सहायता करता है। भारतीय नौसेना तेज़ी से आत्मनिर्भर होने की दिशा में काम कर रही है। भारतीय नौसेना ने इस वर्ष सूरत, नीलगिरि, सबमरीन वागशीर, अर्नाला जैसे कई बड़े युद्धपोतों को शामिल किया है जो स्वदेशी हैं।