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एक दशक में रक्षा क्षेत्र में खर्च, उत्पादन और निर्यात में भारत की बड़ी छलांग

भारत ने पिछले एक दशक में अपने रक्षा उत्पादन में 3 गुना की वृद्धि की है और वह 1.50 लाख करोड़ तक पहुंच गया है। इसी तरह रक्षा के क्षेत्र में किया जाने खर्च ढाई गुना से ज्यादा बढ़ गया है। रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार एक दशक में भारत के रक्षा निर्यात ने चौंतीस गुना होने की बड़ी छलांग लगाई है।
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भारत के रक्षा मंत्रालय के अनुसार वर्ष 2024-25 में रक्षा उत्पादन 1.50 लाख करोड़ पहुंच गया है जिसमें लड़ाकू विमान, मिसाइल प्रणालियां, युद्धपोत, विमानवाहक पोत जैसे बड़े प्लेटफॉर्म से लेकर छोटे अस्त्र-शस्त्र शामिल है।
भारत ने आयात पर निर्भरता कम करने के लिए चरणबद्ध ढंग से रक्षा से जुड़े 5012 उपकरणों की सूची जारी की है जिन्हें अब केवल स्वदेशी बाज़ार से ही खरीदा जा सकता है।

रक्षा मंत्रालय ने घरेलू रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 2019 में भारत और रूस के बीच हुए अंतर-सरकारी समझौते को श्रेय दिया है जिससे रूसी मूल के रक्षा उपकरणों के हिस्से-पुर्जे भारत में बनाने को प्रोत्साहन मिला और आयात पर निर्भरता कम हुई। हालांकि अपनी सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए भारत ने अपने रक्षा बजट को भी पिछले एक दशक में 2.53 लाख करोड़ से बढ़ाकर 6.81 लाख करोड़ रुपए कर दिया है।

भारत ने सबसे बड़ी छलांग रक्षा निर्यात के क्षेत्र में लगाई है और यह एक दशक में चौंतीस गुना बढ़ा है। भारत इस समय 100 से अधिक देशों को अपने रक्षा उत्पाद निर्यात कर रहा है जिनमें अमेरिका और फ्रांस जैसे विकसित देश भी शामिल हैं।
भारत ने 2022 में फिलीपींस के साथ भारत-रूस के साझा उत्पादन ब्रह्मोस मिसाइल का किया था जो भारत का पहला बड़ा निर्यात ऑर्डर था। भारत ने आर्मेनिया को मल्टी बैरल रॉकेट लांचर पिनाका और एयर डिफेंस सिस्टम आकाश सहित कई रक्षा उत्पाद दिए हैं।
भारत और रूस के सहयोग के बनी एके-203 राइफल के लिए भी दुनिया के कई देश बातचीत कर रहे हैं। भारत ने आधुनिक युद्ध के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में निपुणता पाने के लिए डिफेंस एआई काउंसिल और डिफेंस एआई प्रोजेक्ट एजेंसी का गठन किया है। रक्षा के क्षेत्र में नए अनुसंधान के लिए 9 क्षेत्र चिन्हित किए हैं जो आधुनिक युद्धकला के लिए आवश्यक हैं।
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