एससीओ पर भारत का दृष्टिकोण और कूटनीति तीन सिद्धांतों "सुरक्षा-संपर्क और अवसर" पर आधारित है, तियानजिन में शिखर सम्मेलन में उन्होंने साथी नेताओं से कहा।
मोदी ने कहा कि शंघाई सहयोग संगठन, जो यूरेशिया के देशों को एक साथ लाता है, वैश्विक अशांति के समय विश्वास निर्माण, आर्थिक संबंधों को आगे बढ़ाने और शांति सुनिश्चित करने के लिए एक मंच होना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने आतंकवाद का मुकाबला करने में भारत के अनुभव का भी उल्लेख किया तथा 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर में पहलगाम नरसंहार का हवाला दिया।
‘‘भारत ने अलकायदा और उसके सहयोगियों जैसे आतंकवादी संगठनों के खिलाफ लड़ाई में अगुवाई की है और हम किसी भी तरह के आतंकवाद वित्तपोषण का विरोध करते हैं। हमने हाल ही में पहलगाम में हुए क्रूर आतंकवादी हमले को देखा है। मैं उन सभी मित्र राष्ट्रों का धन्यवाद करता हूँ जो हमारे साथ खड़े रहे...,” मोदी ने कहा।
इससे पहले एससीओ शिखर सम्मेलन स्थल से प्राप्त एक वीडियो में प्रधानमंत्री मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग मुस्कुराते हुए और हाथ मिलाते हुए एक-दूसरे के साथ दिखाई दिए।