प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद की 25वीं बैठक में भाग लिया जहां विकास की रणनीति, वैश्विक शासन में सुधार, आतंकवाद रोकने, शांति और सुरक्षा बढ़ाने, आर्थिक और वित्तीय सहयोग तथा सतत विकास जैसे मुद्दों पर उपयोगी चर्चा हुई।
शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने SCO ढांचे के अंतर्गत सहयोग को मजबूत करने के भारत के दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला।
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद ने तियानजिन घोषणा पत्र जारी किया जिसमें सदस्य देशों ने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करते हुए मृतकों और घायलों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की।
SCO तियानजिन घोषणा पत्र के मुख्य बिंदुओं का विवरण
SCO तियानजिन घोषणा पत्र के मुख्य बिंदुओं का विवरण
SCO विकास बैंक की स्थापना की जाएगी।
SCO ऊर्जा संघ की स्थापना प्रस्तावित है।
संगठन का नशा-विरोधी केंद्र स्थापित किया जाएगा।
SCO सदस्य देशों ने ईरान पर इज़रायली और अमेरिकी सैन्य हमलों की कड़ी निंदा की।
मध्य पूर्व में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने का एकमात्र तरीका फ़िलिस्तीनी मुद्दे का न्यायसंगत समाधान है।
सदस्य देशों ने गाज़ा पट्टी में हताहतों और भयावह मानवीय स्थिति पैदा करने वाली कार्रवाइयों की कड़ी निंदा की।
द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति की 80वीं वर्षगांठ के अवसर पर नाज़ीवाद के विचारों को पुनर्स्थापित करने और नरसंहार को उचित ठहराने के प्रयासों की कड़ी निंदा की।
SCO देशों ने अफ़गानिस्तान को एक स्वतंत्र, तटस्थ और शांतिपूर्ण राज्य के रूप में स्थापित करने की प्रतिबद्धता दोहराई।
SCO देश आर्थिक उपायों सहित एकतरफ़ा दमनकारी उपायों का विरोध करते हैं।
देश अपनी नीतियों के अनुसार काम करते हैं और अंतरराष्ट्रीय विकास की समस्याओं का हल ढूंढने के लिए विवाद या टकराव की जगह सहयोग और शांति के रास्ते अपनाते हैं। वे एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देते और बल का प्रयोग नहीं करते। यही सिद्धांत अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को मजबूती और स्थिरता देने का आधार है।