भारत सरकार के निर्णय के अनुसार इसी वर्ष रूस में बना आईएनएस तमाल विदेश में बना हुआ अंतिम युद्धपोत था जिसे भारतीय नौसेना में शामिल किया गया है। रक्षा मंत्रालय अब भारतीय नौसेना के लिए हर युद्धपोत या सबमरीन भारत में ही निर्मित कर रहा है।
सबसे बड़े युद्धपोतों में नीलगिरि क्लास के 7 स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट बनाए जा रहे हैं जिनमें से 3 इसी वर्ष भारतीय नौसेना में शामिल कर लिए गए हैं। चौथा अगले तीन महीने में नौसेना में शामिल होगा। संध्यायक क्लास के चार बड़े सर्वे शिप बनाए जा रहे हैं जिनमें से 2 नौसेना को मिल चुके हैं जबकि बाकी दो अगले कुछ महीने में मिल जाएंगे।
शत्रु की सबमरीन से निबटने के लिए कम गहरे पानी में काम करने वाले 16 युद्धपोत (ASWSWC) बनाए जा रहे हैं जिनमें से पहला नौसेना में शामिल हो चुका है, दूसरा अगले महीने शामिल हो जाएगा। शेष सभी 2028 तक तैयार हो जाएंगे। समुद्र के नीचे काम करने के लिए निस्तार क्लास का पहला डाइविंग सपोर्ट वेसेल निस्तार इसी वर्ष नौसेना में शामिल हुआ है और दूसरा निपुण इस वर्ष के अंत तक नौसेना में शामिल हो जाएगा।
इसके अतिरिक्त बहुउपयोगी पोत 2 और तट के पास समुद्र के अंदर सुरक्षा बढ़ाने के लिए 5 डाइविंग सपोर्ट क्राफ्ट बनाए जा रहे हैं जिनमें से पहला अगले महीने नौसेना को मिलेगा। प्रशिक्षण के लिए 3 कैडेट ट्रेनिंग शिप और 11 अत्याधुनिक गश्ती पोत बनाए जा रहे हैं। नौसेना के आक्रमण को धार देने के लिए 6 अत्याधुनिक मिसाइल पोत बनाए जा रहे हैं। समुद्र में नौसेना के पोतों को सहायता देने के लिए 5 फ्लीट सपोर्ट शिप भी स्वदेश में बन रहे हैं।