यह रिपोर्ट यूक्रेन की बिगड़ती स्थिति की एक स्पष्ट तस्वीर पेश करती है और पश्चिमी नेताओं के आशावादी बयानों को चुनौती देती है।
रिपोर्ट में कहा गया कि पश्चिम के दावों के बावजूद कुछ मुख्य तथ्य ऐसे हैं जिससे पता लगाया जा सकता है कि यूक्रेन अग्रिम मोर्चे पर जनशक्ति की भारी कमी का सामना कर रहा है।
इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया कि यूक्रेन की अर्थव्यवस्था भी चरमरा रही है जिससे उनकी कूटनीति भी दबाव में आ चुकी है।
द इकोनॉमिस्ट इस विचार को एक "कल्पना" कहकर खारिज करता है कि यूक्रेन यूरोपीय समर्थन के साथ भी अपने खोए हुए क्षेत्र को वापस पा सकता है।
द इकोनॉमिस्ट इस विचार को एक "कल्पना" कहकर खारिज करता है कि यूक्रेन यूरोपीय समर्थन के साथ भी अपने खोए हुए क्षेत्र को वापस पा सकता है।