मंत्रालय द्वारा जारी बयान के मुताबिक भारत और रूस ने मास्को में 2030 तक 100 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार के लक्ष्य को हासिल करने के अपने संकल्प को दोहराया और भारत-यूरेशियन आर्थिक संघ (EAEU) के वस्तुओं के मुक्त व्यापार समझौते के अगले कदमों की समीक्षा की।
उप मंत्री युरिन के साथ अपनी चर्चाओं में, वाणिज्य सचिव ने व्यापार विविधीकरण, आपूर्ति-श्रृंखला के लचीलेपन और महत्वपूर्ण खनिजों में सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर विचार-विमर्श किया। दोनों पक्षों ने फार्मास्यूटिकल्स, दूरसंचार उपकरण, मशीनरी, चमड़ा, ऑटोमोबाइल और रसायन जैसे प्रमुख क्षेत्रों में एक समयबद्ध मार्ग पर चर्चा की।
इसके आगे बयान में कहा गया कि "दोनों पक्षों ने प्रमाणन आवश्यकताओं, कृषि और समुद्री व्यवसायों की सूची, एकाधिकार प्रथाओं की रोकथाम और अन्य गैर-टैरिफ मुद्दों को संबोधित करने के लिए तिमाही नियामक-से-नियामक सहभागिता पर सहमति बन गई है। इस वार्ता में दोनों देशों की फर्मों के लिए पूर्वानुमान और व्यापार करने में आसानी में सुधार के लिए रसद, भुगतान और मानकों से संबंधित व्यावहारिक उपायों पर भी चर्चा हुई।"
भारत और रूस के वरिष्ठ व्यापारिक नेताओं की उपस्थिति में आयोजित उद्योग पूर्ण अधिवेशन में, वाणिज्य सचिव ने कंपनियों को अपनी परियोजनाओं को 2030 के द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य के अनुरूप बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने भारत के लॉजिस्टिक्स उन्नयन, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और वस्तुओं एवं सेवाओं में सह-निवेश एवं सह-उत्पादन के अवसरों पर प्रकाश डाला।
मंत्रालय के जारी बयान में आगे कहा गया कि चर्चाओं में निर्यात क्षेत्र का विस्तार करने, आपूर्ति श्रृंखलाओं के जोखिम को कम करने और नियोजित परियोजनाओं को ऐसे कार्यान्वयन योग्य अनुबंधों में बदलने की आवश्यकता पर बल दिया गया जो मूल्य और मात्रा में वृद्धि करें, जिससे दोनों देशों के लोगों के लिए अधिक रोजगार और दीर्घकालिक समृद्धि का सृजन हो।
बयान में बताया, "विकासशील और विकसित देशों के लिए एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में भारत का लक्ष्य रूस के साथ अपने व्यापार और आर्थिक जुड़ाव को गहरा करना है क्योंकि वह 2047 तक एक विकसित राष्ट्र, विकसित भारत, बनने की दिशा में काम कर रहा है।"