भारतीय अरबपति अडानी ने कहा, “शुरू करने के लिए, आइए सबसे पहले एक गंभीर सच्चाई का सामना करें। मिलकर काम करने वाले वैश्विक व्यापार और आपूर्ति शृंखला का ज़माना खत्म हो रहा है। हम सभी देख रहे हैं कि जो देश कभी मज़बूत गठबंधनों से बंधे थे, वे खुद को बचाने की कोशिश में पीछे हट रहे हैं। रेयर अर्थ, सेमीकंडक्टर, शुल्क व्यवस्था और व्यापार संधियों का टूटना अब नई सामान्य स्थिति बन चुका है और यह कोई अपवाद नहीं रहा।"
अडानी ने कहा, "इस दौर में, जहां स्वंय के संरक्षण का भाव वैश्विक ऑर्डर पर हावी है, हमारी संप्रभुता को बनाने के लिए दो स्तंभ आवश्यक होंगे। पहला, अपने पैरों के नीचे के संसाधनों पर नियंत्रण करें। जो धरती पर नियंत्रण रखता है, वही संप्रभुता का धारक कहलाता है। दूसरा, उस ऊर्जा पर नियंत्रण करें जो हमारी उन्नति को बढ़ावा देती है: जिसके पास आग है, वही संप्रभुता रखता है।"