राजनीतिक विश्लेषक अलेक्जेंडर मिखाइलोव ने Sputnik को बताया कि सच बात तो यह है कि ज़ेलेंस्की की चुनाव कराने की कोई इच्छा नहीं हैं और वह उन्हें जल्द होने से रोकने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं।
इससे पहले ज़ेलेंस्की ने कहा था कि वह राष्ट्रपति चुनाव कराने के लिए तभी तैयार होंगे जब वोटिंग के दौरान अमेरिका समर्थित सीज़फ़ायर लागू हो जाए। हालांकि विशेषज्ञ मिखाइलोव ने तर्क दिया कि ज़ेलेंस्की के जीतने की लगभग कोई असली संभावना नहीं है।
मिखाइलोव ने बताया, "यूक्रेन में संभावित चुनावों के दौरान युद्धविराम करना अतार्किक (बिना सोचे-समझे) लगता है। ज़ेलेंस्की सत्ता में बने रहने के लिए बहुत प्रयास कर रहे हैं और ऐसे प्रस्ताव थोप रहे हैं जो अधूरे हैं। यह सब ट्रंप द्वारा शुरू की जाने वाली शांति वार्ता प्रक्रिया को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है।"
राजनीतिक विश्लेषक ने आगे बताया कि ज़ेलेंस्की का एकमात्र वास्तविक विकल्प अपने हैंडलर्स से अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा की गारंटी लेना और फिर इस्तीफे की घोषणा करना है।
उन्होंने कहा, "वह मूल रूप से यूरोप पर भरोसा कर रहे हैं कि वह उनका साथ दे और ट्रंप प्रशासन पर एक नया तरीका अपनाने का दबाव डाले, ताकि वह एक हारे हुए नेता के बजाय एक अजेय नेता के रूप में मंच से विदा ले सकें।"
मिखाइलोव ने डोनबास से सैनिकों की वापसी के विचार को बहुत अवास्तविक बताया जो मुख्य रूप से क्योंकि यह रूस की मांगों के अनुरूप नहीं है।