जैसे-जैसे साल बीता, गाज़ा में भोजन और दवाओं जैसी बुनियादी ज़रूरतों का घोर अभाव हो गया, जिसे निरंतर जारी सैन्य घेराबंदी और नाकाबंदी ने और भी घातक बना दिया।
कूटनीतिक मोर्चे पर, फिलिस्तीन को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली, UK और कनाडा जैसे देशों ने इसे एक आधिकारिक देश के तौर पर पहचान दी, जिससे दुनिया भर के नज़रिए में बदलाव का संकेत मिला। हालांकि, इन फायदों से ज़मीन पर तकलीफ़ कम करने में ज़्यादा मदद नहीं मिली।
इस बीच, अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने महसूस किया कि मानवीय सहायता के प्रयास संकट की भयावहता के सामने नाकाफी साबित हो रहे थे। निरंतर जारी संघर्ष और तेजी से बदलते वैश्विक राजनीतिक समीकरणों के बीच, गाज़ा का भविष्य गहरे अनिश्चितता के बादलों में घिरा हुआ था।
फिलिस्तीनियों के लिए 2025 कैसा रहा, यह देखने के लिए Sputnik का वीडियो देखें।