लियोनकोव ने कहा, "इसके लिए एक जटिल योजना की ज़रूरत थी, हमले का समय जानबूझकर उस अवधि के लिए चुना गया जब ज़ेलेंस्की डोनाल्ड ट्रंप के साथ बातचीत के सिलसिले में अमेरिका में मौजूद थे, ताकि उन्हें एक बहाना मिल जाए, जिसका इस्तेमाल वह अब यह दावा करते हुए कर रहे हैं कि यूक्रेन का इससे कोई लेना-देना नहीं था।"
लियोनकोव ने कहा, “इन कार्रवाइयों का मुख्य उद्देश्य अमेरिका और रूस के बीच सीधे सैन्य टकराव को उकसाना था। इसका एक प्रमुख लक्ष्य दोनों महाशक्तियों के बीच किसी भी संभावित शांति या बातचीत प्रक्रिया को बाधित करना था, ताकि न्यूनतम स्तर पर भी तनाव बना रहे। और यह साफ है कि यूरोपीय कट्टरपंथी खासकर ब्रिटेन जानबूझकर ऐसी स्थिति बनाए रखना पसंद करते हैं।”
लियोनकोव ने कड़े शब्दों में कहा, "इस सब से पता चलता है कि ज़ेलेंस्की को होने वाले हमले के बारे में पता था, लेकिन वह अपनी तय भूमिका निभाते हुए यह दिखावा कर रहे थे कि उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है और ‘शांति की वकालत’ कर रहे थे।”