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प.बंगाल: 28वां कोलकाता फिल्म महोत्सव का रंगारंग शुभारंभ,15 से 22 दिसंबर तक फिल्मी रंग में रंगीन!

© AFP 2023 DIBYANGSHU SARKARBollywood actor Shah Rukh Khan addresses during the inauguration of 28th Kolkata International film festival in Kolkata on December 15, 2022.
Bollywood actor Shah Rukh Khan addresses during the inauguration of 28th Kolkata International film festival in Kolkata on December 15, 2022. - Sputnik भारत, 1920, 16.12.2022
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फिल्मों की दुनिया यानि एक दिलकश दुनिया के महोत्सव का एक बार फिर से खुले दिल के साथ अपनी जादू बिखेरने के लिए आगाज़ ।
15 दिसंबर 2022, कोलकाता अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव शुरू हुआ है और यह 22 दिसंबर तक चलेगा।
इस मौके पर दुनिया भर से फिल्म निर्माता पश्चिम बंगाल की राजधानी में अपनी रचनाओं का प्रदर्शन करेंगे।
यह साल 28वीं फिल्म महोत्सव हो रहा है । यह पहली बार 1995 में मनाया गया था। 2011 में बंगाल के मुख्य मंत्री ममता बनर्जी ने इस महोत्सव को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कर दिया है, और इस समय से दुनिया भर से फिल्में देखने और प्रतियोगिता में भाग लेने फिल्म निर्माता और वे लोग आते हैं जो फिल्मों देखने और उनका आलोचना करने से मजा लेते हैं। इस फिल्म प्रतियोगिता में पाँच ऐसे श्रेणियाँ हैं जिनमें प्रतिस्पर्धा हो रहा है और 11 गैर प्रतिस्पर्धाी श्रेणियाँ भी हैं।
भारत से ही नहीं, बल्कि रूस, जापान, फ्रांस, ईरान, कजाखस्तान, अर्जेंटीना, सीरिया, रोमानिया, बांग्लादेश, जर्मनी और बहुत से देशों से फिल्म निर्माता इसमें आए हूए हैं ।
यह महोत्सव बंगाल के प्रसिद्ध फिल्म निर्मातों से प्रेरित है । उन में सत्यजित राय, ऋत्विक घटक और मृणाल सेन और बहुत-से अन्य बंगाली फिल्म निर्माता हैं, जिन्होंने अपना निशान भारत और दुनिया के फिल्मी उद्योग में छोड़ दिया।
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल की फिल्में बनाने की परंपरा दशकों पुरानी है। यह 1950 और 1970 के दशकों के बीच उभरी और तथा कथित “पैरलेल सिनेमा” (“parallel cinema”) को जन्म दिया। यह धारा बॉलीवुड के विपक्ष के रूप में प्रकट हुई और वह मनोविज्ञान, यथार्थवाद और सामाजिक नाटक पर जोर देता था। सन् 1955 में सत्यजित राय ने “पथेर पांचाली” नामक फिल्म बनाई और यह बंगाली सिनेमा में ही नहीं बल्कि पूरी भारतीय सिनेमा के लिए एक नया मोड़ था। आगे चलकर सत्यजित राय ने इस फिल्म को एक त्रयी बना दीया था, जो बहुत सफल भी साबित हुई और अब यह विश्व सिनेमा की मोतियों में से एक है।
इसके समानांतर पूर्व बंगाल जो 1971 में बांग्लादेश बन गया, अपना ही फिल्मी उधयोग बना रहा था। उस समय तक डक्का के फ़िल्म स्टूडियो 225 पूर्ण लंबाई का चलचित्र बना चुके थे, जिन में से 165 बंगाली में हैं और 60 उर्दू मेंं ।
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