लद्दाख स्टैन्डॉर्फ
भारत और चीन की सेनाओं के बीच 2020 में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बड़ी झड़पें हुईं। तभी से, दोनों पड़ोसियों के बीच संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं।

लद्दाख गतिरोध पर कोई सफलता नहीं, लेकिन भारत चीन शांत

© AP Photo / Dar YasinIndian army soldiers keep guard on top of their vehicle as their convoy moves on the Srinagar- Ladakh highway at Gagangeer, northeast of Srinagar, Indian-controlled Kashmir, Wednesday, Sept. 9, 2020.
Indian army soldiers keep guard on top of their vehicle as their convoy moves on the Srinagar- Ladakh highway at Gagangeer, northeast of Srinagar, Indian-controlled Kashmir, Wednesday, Sept. 9, 2020. - Sputnik भारत, 1920, 22.12.2022
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दोनों देश 3,488 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं जो कि शिथिल रूप से सीमांकित है, और इसके परिणामस्वरूप नियमित अंतराल पर छोटे-मोटे संघर्ष और सीमा उल्लंघन होते रहते हैं।
भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के शीर्ष सैन्य कमांडरों ने 20 दिसंबर को चुशुल-मोल्डो सीमा पर 17वें दौर की कोर कमांडर-स्तरीय बैठक के लिए एक मुलाकात की, भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधि अरिंदम बागची ने गुरुवार को इसकी पुष्टि की।
संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, इस बैठक ने, जो जुलाई में हुई प्रगति पर आधारित थी, दोनों पक्षों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पश्चिमी क्षेत्र के बकाया मुद्दों को हल करने पर "रचनात्मक तरीके" से विचार किया।
बैठक के बाद जारी संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया था कि, " दोनों पक्ष पश्चिमी क्षेत्र में जमीन की सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने पर सहमत हुए।" दोनों पक्षों ने निकट संपर्क बनाए रखने और सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से संवाद करने और शेष मुद्दों का समाधान खोजने की दिशा में काम करने पर भी सहमति व्यक्त की।

लद्दाख गतिरोध की पार्श्वभूमि क्या है?

लद्दाख क्षेत्र में लंबित मुद्दों में से देपसंग मैदान के 972 वर्ग किमी के पठार का मुद्दा और देमचोक क्षेत्र का विवाद शामिल हैं। अप्रैल 2020 में, भारत ने पीएलए पर देमचोक गश्ती मार्ग पर गश्त को रोकने और क्षेत्र में बुनियादी ढांचे का निर्माण करने का प्रयास करने का आरोप लगाया। इसके कारण इस क्षेत्र में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध पैदा हो गया, जिसके परिणामस्वरूप नियंत्रण रेखा (एलएसी) के दोनों ओर सैन्य उपस्थिति और गश्त बढ़ गई और दोनों पड़ोसियों के बीच राजनैतिक संबंध तनावपूर्ण हो गए।
20 दिसंबर को एक बैठक अरुणाचल प्रदेश के तवांग के यांग्त्से क्षेत्र में उस सीमा संघर्ष के कई दिनों बाद हुई, जिसके परिणामस्वरूप दोनों पक्षों के सैनिकों को चोटें आईं। हालांकि, भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि उन्हें "पता नहीं" था कि उस वार्ता के दौरान हाल के संघर्ष पर चर्चा की गई थी या नहीं। 2020 में लद्दाख क्षेत्र में हुई घातक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच यह पहला बड़ा टकराव था।
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