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कांग्रेस के स्थापना दिवस के मौके पर इस दल के भविष्य पर सांसद संदीप दीक्षित का विचार

© Photo : Socia mediaCongress politician Sandeep Dikshit
Congress politician Sandeep Dikshit - Sputnik भारत, 1920, 28.12.2022
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विशेष
कांग्रेस के स्थापना दिवस पर, 'जी-23' राजनेता संदीप दीक्षित ने Sputnik से पार्टी के राजनीतिक भविष्य और उसकी आकांक्षाओं के बारे में बात की।
संसद के दो-अवधि के सदस्य यानी सांसद, कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित उन 23 वरिष्ठ पार्टी सदस्यों में से एक थे, जिन्हें 'जी -23' के रूप में जाना जाता है। पिछले अगस्त में पार्टी ने अपने नेतृत्व को एक पत्र लिखकर भारत की सबसे पुरानी राजनीतिक दल को पुनर्जीवित करने के लिए एक ओवरहाल की मांग की थी। बुधवार, 28 दिसंबर को कांग्रेस के 138वें स्थापना दिवस समारोह के मौके पर दीक्षित ने Sputnik से खुले रूप से बात की।
इसी समय 'भारत जोड़ो' यात्रा नामक एक ऐसा अभियान तेज़ी से चल रहा है, जिसकी अध्यक्षता पार्टी के प्रमुख राहुल गांधी कर रहे हैं।
Sputnik: पिछले अगस्त में, आपने 22 अन्य वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के साथ पार्टी को फिर से जीवंत करने के लिए इसके संगठनात्मक कायापलट का आह्वान किया। आपने यह दावा किया कि पार्टी से संबंधित सब निर्णय गांधी परिवार के लोगों के एक छोटे समूह द्वारा लिए जाते थे। इस बात को ध्यान में रखते हुए कि तब से पार्टी ने एक पूर्णाधिकारी अध्यक्ष चुन लिया है, अब आपकी मांगों को पूरी तरह से जीवन में लाया गया है?
संदीप दीक्षित: उस पत्र में हमने जो बहुत सारे मुद्दे उठाए थे, उनका समाधान कर दिया गया है, लेकिन कई मुद्दों पर अभी भी ध्यान दिया जाना चाहिये। आइए एक बात स्पष्ट करें। हमने जो पत्र लिखा वह कांग्रेस में बदलाव लाने के लिए था ताकि पार्टी राजनीतिक रूप से अधिक लचीला बनकर उभर सके। यह एक सुविचारित पत्र था और हम कभी भी पार्टी के नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह का झंडा नहीं उठाना चाहते थे। लेकिन समस्या यह है कि जब आप हमारे जैसे संगठन में कुछ कमियों को उजागर करते हैं, तो सबसे पहले वे लोग परेशान होते हैं जिनके कारण ये समस्याएं होती हैं। कांग्रेस के भीतर के कुछ राजनेताओं ने उन पर इन मुद्दों को उठाने के लिए 'कांग्रेस विरोधी' और 'भाजपा समर्थक' का लेबल लगाने की कोशिश की।
जब से हमने वह पत्र लिखा है, कांग्रेस ने अपने दिन-प्रतिदिन के कार्यों को करने के लिए नई समितियों का गठन किया है, उसने पार्टी अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कराए हैं और कई अन्य बदलाव भी किए हैं। लोग कह रहे हैं कि कांग्रेस ने कई ऐसे बदलाव किए हैं जिनकी अपेक्षा भी की नहीं गई थी।
काफी हद तक, ये सारे सकारात्मक परिवर्तन जी-23 नेताओं द्वारा लिखे गए पत्र का प्रत्यक्ष परिणाम हैं। हालांकि, ऐसी कई और चीजें हैं जो हम चाहते हैं कि पार्टी अभी भी करे ताकि हम अगले आम चुनाव से पहले राजनीतिक रूप से अधिक शक्तिशाली ताकत के रूप में उभर सकें।
Sputnik:: कई भाजपा नेताओं और अन्य लोगों ने यह भविष्यवाणी की है कि आने वाले वर्षों में भारतीय राजनीति दायरे से कांग्रेस का सफाया हो जाएगा। आपको 2014 और 2019 में राष्ट्रीय चुनाव हारकर कई राज्यों के चुनावों में भी हार का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस पार्टी के नजरिए से 2024 का चुनाव कितना महत्वपूर्ण है?
दीक्षित: देखिए, हर चुनाव एक महत्वपूर्ण चुनाव होता है क्योंकि यह उस दिशा को निर्धारित करता है जो देश आने वाले पांच वर्षों के लिए लेगा। मेरा मानना यह है कि इस समय एक प्रमुख मुद्दा वह है कि सिर्फ कई बड़े औद्योगिक घरानों को अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में एकाधिकार स्थापित करने की अनुमति गई है। हमारे यहां अमीरों और गरीबों के बीच असमानता बढ़ती जा रही है। ऐसा लगता है कि गरीब और मध्यम वर्ग का देश पर कोई मालिकाना हक नहीं है। यदि इस तरह के आर्थिक एकाधिकार को जारी रखने की अनुमति दी जाए, तो यह महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू जैसे हमारे देश के संस्थापक पिताओं के आदर्शों के लिये बड़ी चुनौती बन जाए, क्योंकि वे चाहते थे कि प्रत्येक भारतीय, आर्थिक स्थिति या धर्म की परवाह किए बिना, देश के भविष्य में और इसकी राजनीति में समान हिस्सेदारी रखे।
Sputnik: तो, आप कांग्रेस पार्टी के भविष्य के बारे में क्या सोचते हैं?
हम यह देख रहे हैं कि आम आदमी पार्टी (आप) जैसी कई छोटी पार्टियां चुनावी बढ़त प्राप्त कर रही हैं आपकी पार्टी के वोट शेयर लेकर।
दीक्षित : इसमें कोई नई बात नहीं है। पहले भी कांग्रेस पार्टी को कमजोर करने के लिए कई छोटे दलों को सहारा दिया गया था। 'तीसरे मोर्चे' (गैर-कांग्रेसी, गैर-भाजपा दलों का एक अनौपचारिक समूह) ने हमेशा कांग्रेस को कमजोर करने का काम किया है। लेकिन कांग्रेस हमेशा मजबूत बनकर उभरी थी और इस बार भी यही होगा।
Sputnik: कई कांग्रेस नेताओं और दूसरे कार्यकर्ताओं द्वारा राहुल गांधी को शायद पार्टी के सबसे बड़े नेता के रूप में देखा जाता है। हालांकि पार्टी के चेहरे के तौर पर उनके प्रचार करने पर पार्टी अभी दो चुनाव हार चुकी है। क्या आप अब भी उन्हें 2024 में प्रधानमंत्री मोदी को चुनौती देने वाला उम्मीदवार मानते हैं?
दीक्षितः देश के किसी और विपक्षी नेता का नाम बताइए, जो सड़कों पर चलते हुए हजारों लोगों को आकर्षित करने की क्षमता रखता हो, जैसा कि हम सब राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' के मामले में यह देख रहे हैं। हमें पता चला है कि जिन राज्यों में कांग्रेस पार्टी सत्ता में नहीं है, वहां भी हजारों लोग राहुल गांधी के समर्थन में बाहर आए हैं। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान हमने जो कुछ देखा है, उससे राहुल गांधी अभी भी कांग्रेस पार्टी और समग्र विपक्ष में सबसे लोकप्रिय व्यक्ति रहते हैं। हां, हम 2014 और 2019 में हारे थे, लेकिन तब परिस्थितियां अलग थीं। वे 2024 में भी अलग होंगी।
Sputnik: धर्मनिरपेक्षता कांग्रेस पार्टी के संस्थापक मूल्यों में से एक है। क्या आपको यह लगता है कि आम तौर पर भारतीय सार्वजनिक जीवन में अपनी हिंदू पहचान के बारे में अधिक मुखर बन जाते हैं, जो धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा को ही चुनौती दे सकता है?
दीक्षित: मैं यह कहूं कि सरकारी नीतियों और सार्वजनिक संवाद में धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा को, जिसने दशकों से हमारे देश की अच्छी सेवा की है, अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और अन्य हिंदू राष्ट्रवादी समूहों की नीतियों द्वारा चुनौती दी जा रही है। आम जनता को प्रमुख मुद्दों पर गुमराह किया जा रहा है और उनका ध्यान इन मुद्दों से हटाकर, चाहे वह महंगाई हो या बेरोजगारी, इसके बजाय सांप्रदायिक मुद्दों पर केंद्रित किया जाता है जो हिंदू और मुसलमानों के बीच तनाव पैदा कर रहा है।
हालाँकि, भारतीय जनता के लिए धर्म हमेशा एक भावनात्मक मुद्दा रहा है, और खास तौर पर जब धर्म का इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्यों से किया जाता है। धर्म हमेशा समाज को विभाजित करने के साधन के रूप में कार्य करता था। इसलिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की गतिविधियों में कोई नई बात नहीं है।
हमारी जैसी पार्टियों को इस प्रवृत्ति के बारे में चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है। हम हमेशा भारतीय राजनीति की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति में विश्वास करते रहे हैं। कांग्रेस को इन मुद्दों पर लोगों से जुड़ना चाहिए और देश के लोगों के बीच धर्मनिरपेक्षता की अपनी विचारधारा को फैलाने का प्रयास करना चाहिए। हालाँकि समाज में बढ़ती हिंदू मुखरता यह कोई बुरी बात नहीं है, लेकिन लोगों को ऐसी नीति के सकारात्मक और नकारात्मक चरित्र के बारे में बताना चाहिए। मतदाताओं को यह दिखाकर साबित करने की आवश्यकता है कि एक राष्ट्र के रूप में भारत ने अपनी धर्मनिरपेक्षता की विचारधारा के साथ अच्छी प्रगति की है। एक बड़ा सवाल जो हमने बार-बार आरएसएस और संबद्ध समूहों से पूछा है वह है कि 'हिंदू राष्ट्र' का निर्माण वास्तव में गरीबी, बेरोजगारी, अपराधों को कम करने और दैनिक जीवन को प्रभावित करने वाले अन्य मुद्दों को संबोधित करने में कैसे मदद कर सके।
इस साक्षात्कार में व्यक्त किए गए विचार वक्ता के हैं और Sputnik की राय को नहीं प्रतिबिंबित करते हैं।
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