भारत-रूस संबंध
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रूस से तेल खरीदते समय भारत बाजार पर सबसे अच्छा प्रस्ताव चुनता है: विदेश मंत्रालय

© AP PhotoThe tanker Sun Arrows loads its cargo of liquefied natural gas from the Sakhalin-2 project in the port of Prigorodnoye, Russia, on Friday, Oct. 29, 2021.
The tanker Sun Arrows loads its cargo of liquefied natural gas from the Sakhalin-2 project in the port of Prigorodnoye, Russia, on Friday, Oct. 29, 2021. - Sputnik भारत, 1920, 09.01.2023
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रूसी तेल भारतीय उपभोक्ताओं के लिए बाजार पर सबसे अच्छा प्रस्ताव लगता है।
इस संबंध में नई दिल्ली रूस से यह पदार्थ खरीदता है। इसके बारे में सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने निक्कै नामक समाचार पत्र के सोमवार को जारी किए खास साक्षात्कार में बताया।

“यह भारतीय उपभोक्ताओं की जरूरतें पूरी करने के लिए बाजार पर सबसे अच्छा विकल्प चुनने की बात है। और यह हमारी प्रक्रिया है, जब सभी बाकी देश मुक्त रूप से अपने राजनीतिक और ऊर्जा हितों का पालन करते हैं।“

उन्होंने कहा। मंत्री ने इस पर भी जोर दे दिया कि उनकी राय से भारत द्वारा रूस से तेल खरीदना इसका उदाहरण नहीं है कि भारत वैश्विक विवाद का व्यक्तिगत फायदा उठाने की कोशिश करता है।

“बढ़ता हुआ देश अपने हितों को बढ़ावा देने की कोशिश किया करता है। प्रतिस्पर्धा और मतभेदों का मतलब है अवसर, यह हमारे लिए अच्छी बात है। हम इनका इस्तेमाल उचित प्रकार से करते हैं। लेकिन रूस से तेल खरीदना इस बात का सही उदाहरण नहीं है।“ उन्होंने ने समझाया।

रूस से संबंधों के विस्तार पर बात करते समय, विदेश मंत्रालय के अध्यक्ष ने कहा कि इस मामले को लेकर दूसरे देशों की राय के बावजूद नई दिल्ली का इरादा रूस से साझेदारी जारी करने का है।

“कूटनीति में सब देश अपने दृष्टिकोण तब भी व्यक्त करते हैं, जब वे अपने हितों का पालन करते हैं। दूसरे राज्यों की असहमति की वजह से ही आप साझेदारी करना नहीं छोड़ते।“ उन्होंने ने बताया।

जयशंकर ने रूस से हथियारों की आपूर्तियों में कटाई के बारे में सवाल का सीधा जवाब नहीं दिया। उन्होंने जोड़ दिया कि रक्षा को लेकर भारत “कई विकल्पों में से सबसे अच्छा प्राप्त करने की कोशिश किया करता था।“
भारत जो चीन और अमरीका के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का आयात करने वाला है सक्रीय रूप से रूसी तेल खरीदता है। पिछले साल की शुरुआत में भारत की तेल आयात टोकरी में रूस का हिस्सा अधिक से अधिक 0.2 प्रतिशत था, साल के अंत तक वह करीब दिन में 10 लाख बेरल तक यानी करीब 20 प्रतिशत तक पहुँच गया। नई दिल्ली ने पश्चिमी देशों द्वारा प्रस्तावित मूल्य सीमा का समर्थन नहीं किया।
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