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देश के नेताओं को लक्षित करनेवाले प्रतिबंधों को कोलंबो ने खारिज किया

© AFP 2023 AMAL JAYASINGHEAn autorickshaw drives past a billboard that announces the return of ousted former president Gotabaya Rajapaksa who ended his self-imposed exile in Thailand and came back to the island, in Colombo on September 4, 2022.
An autorickshaw drives past a billboard that announces the return of ousted former president Gotabaya Rajapaksa who ended his self-imposed exile in Thailand and came back to the island, in Colombo on September 4, 2022. - Sputnik भारत, 1920, 11.01.2023
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राजपक्षे भाइयों की अगुआई में श्रीलंका की सेना ने तमिल तिगर्स के खिलाफ कई कामयाब फौजी अभियान आयोजित किए जिनके फलस्वरूप मई 2009 में हुआ विद्रोह दबाया गया था।
श्रीलंका ने देश के पूर्व राष्ट्रपतियों महिंदा और गोताबया राजपक्षा समेत चार अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने के कनाडा के निश्चय की सख्त निंदा की।
बुधवार को श्रीलंका के विदेश मंत्री आली सब्री ने मंगलवार की घटना को लेकर देश की ठोस आपत्ति व्यक्त करने के लिए कनाडा के उच्चायुक्त से मुलाकात की।
सब्री ने प्रतिबंधों का वर्णन उस निर्णायक मोड़ के क्षण “अपमानजनक कार्य” के रूप में किया जब श्रीलंका गहन रूप से उन आर्थिक और राजनीतिक सुधारों में संलिप्त हो चुका है जिन का उद्देश्य अनिश्चित मामलों का समाधान ढूँढना और शांति बहाल करना है।

ओटावा के विदेश मामलों के मंत्री मेलानी जोली ने दावा किया कि प्रतिबंधों ने राज्य के उन अधिकारियों को लक्षित किया जो 1983 से 2009 तक श्रीलंका में सैनिक विवाद के दौरान “मानवाधिकारों के सख्त और व्यवस्थित उल्लंघनों” के लिए जिम्मेदार पाए थे।

उन प्रतिबंधों में निम्नलिखित व्यक्तियों से कारोबार करने की रोक है और कनाडा में उनकी संपत्ति तक पहुँच हटाने की संभावना की बात भी है। इस के अलावा उन के लिए आप्रवासन और शरणार्थी संरक्षण अधिनियम के तहत कनाडा जाना मना होगा।

कनाडा सरकार ने दावा किया कि प्रतिबंध मानवाधिकारों के उल्लंघन के ज़िम्मेदारों को पाने के लिए “कोई गंभीर कदम” न उठाने का जवाब है।
कनाडा ने श्रीलंका से अपने अह्वानों को जारी रखा ताकि वे समस्याएं सुलझाई जा सकें और मानवाधिकारों के सख्त उल्लंघन के पीड़ितों और उत्तरजीवियों के लिए न्याय प्रदान किया जाए।
गोताबया जो देश में टर्मनैटर के नाम से जाना जाता है विद्रोही लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (LTTE) और सरकारी सैनिकों के बीच दशकों से चलती रही गृह युद्ध को अंजाम देने के लिए सम्मानित हैं।
द तमिल तिगर्स देश के उत्तरी और दक्षिणी क्षेत्रों में अलग मुल्क की स्थापना करना चाहते थे।
विवाद 25 सालों से अधिक चलता रहा। इसके फलस्वरूप दोनों – तमिलों और सरकारी सैनिक बलों – की ओर लाखों लोगों की मौत हुई।
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