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संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के प्रमुख की अबेई में भारत की महिला प्लाटून की प्रशंसा
संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के प्रमुख की अबेई में भारत की महिला प्लाटून की प्रशंसा
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संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के प्रमुख ने संयुक्त राष्ट्र अंतरिम सुरक्षा बल (UNISFA) के साथ अबेई क्षेत्र में भारत से महिला शांति सैनिकों की टुकड़ी की तैनाती की प्रशंसा किया है।
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संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के प्रमुख जीन-पियरे लैक्रोइक्स ने अबेई के लिए संयुक्त राष्ट्र अंतरिम सुरक्षा बल (UNISFA) के साथ सूडान और दक्षिण सूडान के बीच अबेई क्षेत्र में भारत से महिला शांति सैनिकों की सबसे बड़ी टुकड़ी की तैनाती की प्रशंसा की है।2007 में लाइबेरिया में यूएन द्वारा महिलाओं की पहली टुकड़ी को तैनात करने के बाद यह संयुक्त राष्ट्र मिशन में महिला शांति सैनिकों की सबसे बड़ी महिला प्लाटून है। इस प्लाटून में दो अधिकारी और 25 अन्य सैनिक महिलाएं शामिल हैं।UNISFA की स्थापना 27 जून, 2011 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 1990 प्रस्ताव के तहत की गई थी। उसका मुख्य उद्देश्य सूडान और दक्षिण सूडान के विवादित सीमा क्षेत्र में हिंसा के खतरे से नागरिकों की रक्षा करना और सुरक्षा प्रदान करना है।
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संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के प्रमुख की अबेई में भारत की महिला प्लाटून की प्रशंसा
दक्षिण सूडान और सूडान की सीमा पर विवादित क्षेत्र अबेई को 2004 में "विशेष प्रशासनिक दर्जा" प्रदान किया गया था।
संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के प्रमुख जीन-पियरे लैक्रोइक्स ने अबेई के लिए संयुक्त राष्ट्र अंतरिम सुरक्षा बल (UNISFA) के साथ सूडान और दक्षिण सूडान के बीच अबेई क्षेत्र में भारत से महिला शांति सैनिकों की सबसे बड़ी टुकड़ी की तैनाती की प्रशंसा की है।
लैक्रोइक्स ने ट्विटर में लिखा, "शांति सेना में अधिक महिलाओं का मतलब अधिक कारगर कार्रवाई है, और वे उन लोगों का बेहतर प्रतिनिधित्व करने में मदद देती हैं जिनकी हम सेवा करते हैं।"
2007 में लाइबेरिया में यूएन द्वारा महिलाओं की पहली टुकड़ी को तैनात करने के बाद यह संयुक्त राष्ट्र मिशन में महिला शांति सैनिकों की सबसे बड़ी महिला प्लाटून है। इस प्लाटून में दो अधिकारी और 25 अन्य सैनिक महिलाएं शामिल हैं।
UNISFA की स्थापना 27 जून, 2011 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 1990 प्रस्ताव के तहत की गई थी। उसका मुख्य उद्देश्य सूडान और दक्षिण सूडान के विवादित सीमा क्षेत्र में हिंसा के खतरे से नागरिकों की रक्षा करना और सुरक्षा प्रदान करना है।