COVID टीके की प्रभावकारिता के बारे में कठिन सवालों को टाल देने वाले Pfizer प्रमुख

© AP Photo / Christophe Ena
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भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के उप प्रमुख राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि अमेरिकी कंपनी Pfizer भारत को कोरोनोवायरस टीके के लिए हर्जाना खंड स्वीकार करने के लिए मजबूर करने की कोशिश कर रहा था।
चंद्रशेखर ने Pfizer के प्रमुख पर COVID-19 टीके की प्रभावशीलता को लेकर हमला करने वाले स्वतंत्र पत्रकारों के एक वीडियो पर टिप्पणी करते हुए ट्विटर पर लिखा, "सभी भारतीयों को यह याद दिलाने के लिए कि Pfizer क्षतिपूर्ति की शर्तों को स्वीकार करने के लिए भारत सरकार को डराने की कोशिश कर रहा था।"
उप मंत्री ने यह भी कहा कि उच्च रैंकिंग वाले विपक्षी नेता भारतीय टीकों का विकल्प चुनने के बजाय कोरोनोवायरस महामारी के दौरान विदेशी निर्मित टीकों को खरीदने के लिए भारत सरकार पर दबाव डाल रहे थे।
Just to remind all Indians, that Pfizer tried to bully Govt of India into accepting conditions of indemity
— Rajeev Chandrasekhar 🇮🇳 (@Rajeev_GoI) January 20, 2023
And Cong trio of Rahul, Chidamabaram n Jairam Ramesh kept pushing case of foreign vaccines during Covid 🤮🤬🥵 https://t.co/nT5LHI07hc
भारत में COVID की पहली लहर के दौरान, भारतीय मीडिया ने बताया कि अमेरिका स्थित दवा कंपनी Pfizer ने एक हर्जाना खंड या उपाय का अनुरोध किया है जो टीके से किसी भी तरह के दुष्प्रभाव की स्थिति में मुकदमों से छूट देगा।
अमेरिका स्थित फार्मास्युटिकल दिग्गज Pfizer के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अल्बर्ट बोर्ला को विश्व आर्थिक मंच की चल रही बैठक के दौरान इसके COVID-19 टीके की प्रभावकारिता के बारे में कई कठिन सवालों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने बार-बार प्रश्नों को नजरअंदाज कर दिया।
उन सवालों में से वह सवल भी था कि क्या यह समय दुनिया से माफी मांगने और उन देशों को धन की वापसी देने का है, जिन्होंने नतीजे नहीं देने वाले टीके खरीदे।
इन सवालों को टाल देने वाले Pfizer के प्रमुख का वीडियो ज़ल्दी वायरल हो गया।