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यूएन ने धन की कमी के कारण बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों की खाद्य सहायता में की कटौती

© Sputnik / Shahnewaz Khan / मीडियाबैंक पर जाएंRohingya refugees in Bangladesh
Rohingya refugees in Bangladesh - Sputnik भारत, 1920, 17.02.2023
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बांग्लादेश में 2017 को लगभग 7,30,000 रोहिंग्या मुस्लिम अल्पसंख्यक म्यांमार के रखाइन राज्य से भागकर आए थे। वे लोग नरसंहार के इरादे से की गई म्यांमार सेना की कार्रवाई से बचने के लिए भाग गए थे।
संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने धन की कमी का हवाला देते हुए बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए खाद्य सहायता में कटौती की योजना बनाई है।
दुनिया भर में महामारी, आर्थिक मंदी और संकट के कारण दानदाताओं के बजट पर असर पड़ा जिससे विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) 12 डॉलर प्रति व्यक्ति से अपनी खाद्य सहायता को घटाकर 10 डॉलर प्रति व्यक्ति कर देगा।

"अंतरराष्ट्रीय दाता समुदाय अब पांच लाख रोहिंग्या बच्चों और उनके परिवारों से मुंह मोड़कर रहता है, वास्तव में दुनिया के कुछ सबसे कमजोर लोगों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की सीमा दिखाता है।" बांग्लादेश में सेव द चिल्ड्रन कंट्री डायरेक्टर ओन्नो वान मानेन ने कहा।

बांग्लादेश के शरणार्थी राहत और प्रत्यावर्तन आयुक्त मोहम्मद मिजानुर रहमान जो सीमावर्ती जिले कॉक्स बाजार में रहते हैं ने कहा कि कटौती से और अधिक रोहिंग्या को काम की तलाश के लिए हताशापूर्ण कदम उठाने पड़ सकते हैं।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार एजेंसी ने एक बयान में कहा कि संयुक्त राष्ट्र के दो विशेष दूतों, माइकल फाखरी और थॉमस एंड्रयूज ने धन की कमी के "विनाशकारी परिणाम" की चेतावनी देते हुए कहा कि रमजान के मुस्लिम पवित्र महीने से ठीक पहले राशन में कटौती करना अनर्थक है।

वहीं बांग्लादेश में रोहिंग्या को अपनी आय को पूरा करने के लिए काम करने से रोक दिया गया है, और उनके शिविरों के चारों ओर बाड़ लगाकर उन्हें बाहर जाने से रोका जाता हैं।
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