- Sputnik भारत

क्यों असफल हुए रूस पर पश्चिमी प्रतिबंध?

प्रतिबंधों का लक्ष्य रूसी अर्थव्यवस्था को तेज और विनाशकारी झटका देना था, जिससे उबरने में वर्षों लगेंगे। हालाँकि पश्चिमी राजनेताओं को बहुत निराशा हुई क्योंकि रूस प्रतिबंधों से बचा ही नहीं, बल्कि इसमें पहले से अधिक मजबूत होने की क्षमता भी है।
पिछले साल पोलैंड में भाषण देते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने दावा किया था कि प्रतिबंधों ने रूसी रूबल को "मलबे" में बदला था और आत्मविश्वास से भविष्यवाणी की थी कि रूसी अर्थव्यवस्था "दोगुनी कटौती करने के रास्ते" पर है। इसके अलावा फ्रांसीसी वित्त मंत्री ब्रूनो ले मायेर ने घोषणा की कि पश्चिम रूस का आर्थिक "पतन" करवाएगा।
पिछले मार्च में उन्होंने एक फ्रांसीसी ब्रॉड्कैस्टर को बताया कि "हम रूस के खिलाफ बड़ा आर्थिक और वित्तीय युद्ध चला रहे हैं। शक्ति का आर्थिक और वित्तीय संतुलन पूरी तरह से यूरोपीय संघ के पक्ष में है, जो अपनी आर्थिक शक्ति की खोज की प्रक्रिया में है।"
इन जोरदार वादों के बावजूद, पिछले साल रूसी अर्थव्यवस्था में सिर्फ 2.5 प्रतिशत कटौती हुई, जो 1998 के वित्तीय संकट की 5.3 प्रतिशत कटौती और 2008 की आर्थिक मंदी की 7.9 प्रतिशत कटौती की तुलना में काफी कम है। पिछले महीने प्रकाशित एक रिपोर्ट में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अनुमान लगाया कि 2023 में रूसी आर्थिक विकास जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम के विकास से ज्यादा बड़ा होगा।
प्रतिबंध रूस को वैश्विक परित्यक्त बनाने में असफल रहे। स्विट्जरलैंड में सेंट गैलन विश्वविद्यालय की एक हालिया रिपोर्ट में लिखा गया कि फरवरी और नवंबर 2022 के बीच केवल 8.5 प्रतिशत यूरोपीय और जी7 कंपनियों ने रूस को छोड़ा था। साथ ही, चीन, भारत, तुर्की और इंडोनेशिया जैसे आशियाई देशों और रूस के बीच व्यापार कारोबार बढ़ गया।
इस महीने की शुरुआत में, यूरोपीय संघ की विदेश नीति के प्रमुख जोसेप बोरेल को यह स्वीकार करना पड़ा कि पश्चिम की प्रतिबंध रणनीति योजना के अनुसार नहीं चल रही है। उन्होंने यूरोपीय संसद के सत्र के दौरान कहा कि "यह सच है कि रूसी अर्थव्यवस्था नष्ट नहीं हुई और इसका सकल घरेलू उत्पाद वह नहीं है जिसका अनुमान लगाया गया था। और यह सच है कि पिछले साल इसको तेल और गैस से असाधारण उच्च आमदनी मिली थी।"
रूस प्रतिबंधों के अनोखे ब्लिट्जक्रेग से बचने में किस तरह सक्षम हुआ? इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए Sputnik ने कृषि से लेकर सूचना प्रौद्योगिकियों तक के उद्योगों से संबंधित अर्थशास्त्रियों और रूसी व्यापारियों से बात की। उन्होंने हमें बताया कि पश्चिमी प्रतिबंध शुरू से ही असफल रहे थे क्योंकि वे रूसी अर्थव्यवस्था को लेकर विकृत दृष्टिकोण पर आधारित थे।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हालांकि प्रतिबंधों ने कम और मध्यम अवधि तक रूस के सामने आर्थिक चुनौतियां खड़ी कीं, इसके अलावा उन्होंने घरेलू उद्योग और वैज्ञानिक क्षमता को पुनर्जीवित करने के साथ-साथ एशियाई, मध्य पूर्वी, लैटिन अमेरिकी और अफ्रीकी देशों के साथ नई साझेदारी स्थापित करने का बड़ा अवसर भी प्रस्तुत किया।
असफल रणनीति
यूक्रेन में रूसी विशेष सैन्य अभियान की शुरुआत के बाद कई हफ्तों और महीनों के दौरान अमेरिका और यूरोपीय संघ ने प्रतिबंधों के कुछ विस्तृत पैकेजों को लागू किया। पश्चिमी सरकारों ने SWIFT वैश्विक भुगतान प्रणाली पर रूस के कई सबसे बड़े बैंकों को हटाने के लिए दबाव डाला, रूसी जहाजों और हवाई जहाजों के लिए पश्चिमी बंदरगाहों और हवाई क्षेत्र को खोल दिया, और विभिन्न उन्नत प्रौद्योगिकियों और उत्पादन के प्रमुख घटकों तक रूस की पहुंच को बंद करने के लिए निर्यात नियंत्रण लगाया।
हालाँकि शुरू में प्रतिबंधों के कारण रूसी रूबल के मूल्य में कटौती हुई थी और मुद्रास्फीति में वृद्धि हुई थी, फिर भी इनका प्रभाव जल्दी से हट गया। कुछ हफ्तों बाद रूबल का मूल्य इस संकट से पहले के मूल्य के समान हो गया। अप्रैल 2022 में मुद्रास्फीति 17.8 प्रतिशत की चरम पर पहुंच गई थी और फिर लगातार गिरते हुए जनवरी 2023 में 11.8 प्रतिशत की दर पर पहुंची, जो मध्य और पूर्वी यूरोप के कई देशों की तुलना में कम दर है। बहुत पश्चिमी अर्थशास्त्रियों की भविष्यवाणियों के विपरीत, रूस की बेरोजगारी दर में वृद्धि नहीं हुई, बल्कि दिसंबर 2022 में वह सोवियत संघ की अवधि के बाद 3.7 प्रतिशत के सबसे निचले स्तर पर पहुंची।
रूसी निर्यातकों पर नए वित्तीय और रसद प्रतिबंधों के बावजूद, विदेशी व्यापार संपर्क भी मजबूत बने रहे। रूस का चालू खाता अधिशेष पिछले साल 227.4 अरब डॉलर के सब से उच्च स्तर पर पहुंच गया, जो 2021 की तुलना में 86 प्रतिशत ज्यादा है।
क्यों प्रतिबंधों का नतीजा प्रभावशाली बिल्कुल नहीं है? पेरिस स्थित स्कूल फॉर एडवांस्ड स्टडीज इन द सोशल साइंसेज के अर्थशास्त्री जैक्स सपिर ने Sputnik को बताया कि मुख्य कारण यह है कि वे रूसी अर्थव्यवस्था की क्षमता और लचीलापन को लेकर झूठे तथ्यों पर आधारित थे। उन्होंने समझाया कि बड़ी समस्या यह थी कि अमेरिकी और यूरोपीय नीति के निर्माताओं ने गलत आँकड़ों पर ध्यान केंद्रित किया था।
रूसी अर्थव्यवस्था को समझने के लिए पश्चिम के पास मुख्य आंकड़ा सकल घरेलू उत्पाद है, जिसकी गणना रूबल में इसके मूल्य को अमेरिकी डॉलर में बदलने की मदद से की जाती है। सपिर ने कहा कि मामूली सकल घरेलू उत्पाद ने रूसी अर्थव्यवस्था की ताकत को कम किया क्योंकि वह क्रय शक्ति समता पर ध्यान नहीं देता, जो विभिन्न देशों में लागतों में अंतर दिखाती है। उन्होंने कहा कि जबकि रूस का मामूली सकल घरेलू उत्पाद स्पेन के समान था, क्रय शक्ति समता पर आधारित इसका सकल घरेलू उत्पाद लगभग जर्मनी के समान था।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य यह था कि रूसी अर्थव्यवस्था अपने पश्चिमी समकक्षों की तुलना में सेवाओं पर बहुत कम आधारित है। सपिर ने स्पष्ट किया कि हालांकि शांतिकाल के दौरान सेवाएं आर्थिक विकास के महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में काम कर सकती हैं, भू-राजनीतिक उथल-पुथल के दौरान वे मैन्यफैक्चरिंग और कमोडिटी क्षेत्रों के पीछे हटती हैं। उन्होंने कहा कि रूस का औद्योगिक आधार पहले की तरह बड़ा है और रूस प्राकृतिक गैस, तेल, दुर्लभ पृथ्वी धातुओं और कृषि उत्पादों का प्रमुख वैश्विक आपूर्तिकर्ता है।

उन्होंने कहा कि "विश्व बाजारों में रूस का स्थान बहुत विशिष्ट है और ऐसे देश को उन से अलग करने का प्रयास निश्चित रूप से अंतरराष्ट्रीय आर्थिक तबाही का कारण बनेगा। बहुत देश रूस को अलग करने के प्रयासों पर एकजुट होकर काम करने से कभी सहमत नहीं होंगे क्योंकि उन्हें रूस के साथ व्यापार करने की आवश्यकता है।"

सपिर ने यह भी कहा कि पश्चिम सोचता था कि विभिन्न प्रकारों की मशीनरी और उत्पादन के लिए प्रमुख घटकों के वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं को खोजने की रूस की क्षमता कम है। उन्होंने कहा कि हालांकि 2022 की दूसरी तिमाही में रूसी आयात में काफी कटौती हुई, तीसरी और चौथी तिमाही में उसमें फिर से वृद्धि दिखाई दी। "रूस अब कमोबेश उत्पादों की उतनी संख्या का आयात करता है, जितना आयात वह 2021 के अंत तक करता था," उन्होंने कहा।
सपिर ने समझाया कि यह अपेक्षाकृत तेज बहाली उसके कारण हुई कि रूस यूरोप के स्थान पर एशिया और विशेष रूप से चीन से ज्यादातर व्यापार करने लगा था। एक अन्य महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि रूसी कंपनियाँ विभिन्न देशों में अपने समकक्षों की मदद से पश्चिमी प्रतिबंधों का सामना करने में सक्षम हुईं। नतीजतन, कई यूरोपीय और अमेरिकी सामान अभी रूसी बाजार में पहुंचता रहता है।
उद्योग की बहाली
प्रतिबंध रूस के लिए गुप्त लाभ बन सकते हैं, कृषि उपकरण की एक बड़ी रूसी निर्माता कंपनी रोस्टसेलमाश के अध्यक्ष कॉन्स्टेंटीन बाबकिन ने बताया।
बाबकिन ने कहा कि दशकों तक पश्चिम के साथ आर्थिक एकीकरण के कारण रूस को सोवियत संघ से विरासत में मिली कुछ औद्योगिक क्षमता को त्याग करना पड़ा। शुरू से अंत तक हवाई जहाजों और ट्रकों का निर्माण करने के बजाय रूस पश्चिम से ऐसी कॉम्प्लेक्स मशीनरी का आयात करने लगा था।
पिछले साल लगाए गए पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण रूस के लिए अपने औद्योगिक आधार के पुनर्निर्माण की तत्काल आवश्यकता हो गई है। मंगलवार को फेडरल असेंबली के सामने भाषण देते हुए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने घोषणा की कि रूस को अपनी अर्थव्यवस्था को बदलकर पश्चिम को कच्चा माल बेचने के स्थान पर अपनी उन्नत तकनीकों और उपकरणों को विकसित करने की आवश्यकता है।
बाबकिन ने Sputnik को बताया कि रूस के पास औद्योगिक बहाली करने के लिए सभी आवश्यक चीजें हैं यानी प्राकृतिक संसाधनों का बड़ा भंडार, उपलब्ध भूमि का विशाल क्षेत्र, 15 करोड़ लोगों का बाजार और इनोवैटरों की अगली पीढ़ी को प्रशिक्षित करने में सक्षम वैज्ञानिक संस्थान हैं।
उन्होंने कहा कि रूस की आर्थिक क्षमता को पूरा करने के लिए घरेलू निर्माताओं के लिए मजबूत सरकारी समर्थन की जरूरत है। बाबकिन ने नीति के कुछ उपायों को प्रदान किया जिन में कम ब्याज दरों और कम करों के साथ नए टैरिफ शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि "बहुत देश अपने विकास की भौतिक या स्थान-संबंधी सीमा तक पहुंच चुके हैं। हराने के लिए कोई और बाजार नहीं है, बोने के लिए कोई और क्षेत्र नहीं है, विस्तार के लिए और अवसर नहीं हैं। इसके कारण ही आधुनिक दुनिया के अधिकांश देश इस तरह के संकट का सामना कर रहे हैं। रूस उन कुछ देशों में से एक है या शायद एकमात्र ऐसा देश है, जिसके पास आगे विकास करने के लिए बहुत जगह है। अगर हम अपने संसाधनों, अपने आप पर और अपनी सभ्यता पर निर्भर करेंगे तो हम बहुत गुना बढ़ सकते हैं।“
कुछ रूसी कंपनियां घरेलू बाजार में बनाए गए नए क्षेत्रों में काम करने लगीं। एस एंड पी ग्लोबल फाइनेंशियल एनालिटिक्स फर्म के व्यापार सर्वेक्षण के अनुसार, पिछले नवंबर में रूसी विनिर्माण क्षेत्र में पिछले पांच वर्षों तक सबसे बड़ी वृद्धि हुई। घरेलू मांग में बड़ी वृद्धि बढ़े हुए उत्पादन और रोजगार की मुख्य शक्ति थी।
बाबकिन ने कहा कि 2014 में क्रीमिया के कारण पश्चिम द्वारा रूस पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद, घरेलू बाजार में रूसी निर्मित कृषि उपकरणों की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत से बढ़कर 65 प्रतिशत हो गई। उन्होंने बताया कि मौजूदा प्रतिबंध रूसी विमान और ऑटोमोबाइल उत्पादन को पुनर्जीवित करने में मदद दे सकते हैं।
रोस्टेक राज्य निगम का हिस्सा यानी यूनाइटेड एयर कॉरपोरेशन नामक एयरोस्पेस कंपनी ने Sputnik को बताया कि "आज नागरिक उड्डयन में प्राथमिकता बिना किसी विदेशी घटकों के पूरी तरह से रूसी-निर्मित विमानों के लगातार उत्पादन को जल्दी से जल्दी शुरू करना है।" इस कंपनी ने समझाया कि पिछले साल पश्चिमी एयरलाइनर जाइअन्ट बोइंग और एयरबस के रूसी बाजार से हटने के निर्णय के कारण घरेलू निर्माताओं ने विमान उत्पादन बढ़ाया ही नहीं, अपने इंजन और अन्य प्रमुख घटकों को बनाना भी शुरू किया।
यूनाइटेड एयर कॉरपोरेशन ने रूस के विदेशी विमानों के मौजूदा बेड़े को बदलने में मदद करने के लिए 2030 तक 500 विमानों के निर्माण की योजना बनाई है। इसकी सबसे आशाजनक परियोजनाओं में से MC-21 है, जो अभी उत्पादन में अगली पीढ़ी का यात्री विमान है। MC-21 का मुख्य गुण इसका अत्याधुनिक काम्पाज़ट विंग है, जो विमान को बेहतर एयरोडायनामिक्स प्रदान करता है।
तकनीकी संप्रभुता
पश्चिमी प्रतिबंधों के मुख्य उद्देश्यों में से रूसी तकनीकी नवाचारों पर दबाव डालना है। जब पिछले साल बाइडन ने यूक्रेन से संबंधित प्रतिबंधों के पहले पैकेज की घोषणा की थी, तो उन्होंने वादा किया था कि अमेरिका और उसके सहयोगी रूस की "21वीं सदी की उच्च तकनीक वाली अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता" घटाएंगे। तब से प्रतिबंधों का तकनीकी पहलू और अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। हालाँकि पश्चिमी राजनेता स्वीकार करते हैं कि प्रतिबंध रूसी अर्थव्यवस्था को नष्ट करने में असफल हुए हैं, फिर भी वे उम्मीद करते हैं कि तकनीकी प्रतिबंध लंबे समय तक रूस की प्रगति को रोक देंगे।
कई रूसी वैज्ञानिक और उद्यमी इस बात से सहमत नहीं हैं। एवगेनी निकोलाएव हेल्थ टेस्ट नामक रूसी कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर हैं, जो ऐसी मशीन-लर्निंग प्रोग्राम विकसित करने पर काम कर रही है जो डॉक्टरों को रोगियों में शुरुआती चरणों पर अल्जाइमर रोग को देखने में मदद देगी। इस तकनीक जैसा कोई विदेशी विकल्प नहीं है, अब मास्को के एक अस्पताल में इसका परीक्षण किया जा रहा है, जिसके बाद इसे रूसी राजधानी में अन्य चिकित्सा संस्थानों में वितरित किया जाएगा।
निकोलाएव ने कहा कि इस परियोजना के विकास पर पश्चिमी प्रतिबंधों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। इसके साथ उन्होंने बताया कि सभी "आवश्यक रेआगेनतों और कन्स्यूमबलों को घरेलू चीजों की मदद से बदला जा सकता है या समानांतर आयात के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।" साथ ही, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सफलता हासिल करने के लिए रूसी वैज्ञानिकों को विदेशी प्रायोजन की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि मास्को स्वास्थ्य विभाग और मास्को इनोवेशन क्लस्टर जैसे सरकारी संस्थान इस उत्पाद के विकास और इसके व्यावहारिक प्रयोग के संदर्भ में परियोजना को महत्वपूर्ण समर्थन दे रहे हैं।
रूसी सॉफ्टवेयर डेवलपर्स एसोसिएशन (RUSSOFT) के अध्यक्ष वैलेन्टीन मकारोव ने Sputnik से कहा कि रूस के दो गुण हैं जिन पर वह पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद नवाचारों का समर्थन करने के लिए निर्भर कर सकता है। पहला गुण रूस की अच्छी वैज्ञानिक शिक्षा है। मकारोव के अनुसार दूसरा गुण यह है कि चीन और भारत जैसी एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के साथ नई तकनीकी साझेदारी बनाने के लिए रूस अच्छी तरह से स्थित है।
इसके अलावा प्रतिबंधों ने रूसी सॉफ्टवेयर और साइबर सुरक्षा प्रणालियों को भारी बाहरी दबाव की स्थिति में अपना लचीलापन दिखाने का अवसर प्रदान किया था।
मकारोव ने कहा कि "विशेष सैन्य अभियान की शुरुआत के बाद, हमने रूसी प्रणालियों पर साइबर हमलों में बड़ी वृद्धि, विदेशी सॉफ्टवेयर के प्रयोग पर प्रतिबंध और इस सॉफ्टवेयर के लिए समर्थन लाइसेंसों की समाप्ति देखी। इन सभी घटनाओं के बावजूद, रूसी प्रणालियाँ पहले की तरह काम करती रहीं। यह मालूम हुआ कि वैश्विक सूचना प्रौद्योगिकी पर नियंत्रण करनेवाले विशाल अमेरिकी निगम इन रूसी प्रणालियों के काम को नष्ट नहीं कर सकते। इस स्थिति ने सभी को दिखाया कि रूस के पास तकनीकी संप्रभुता की क्षमता है।"
मकारोव के अनुसार, अब हमारी दुनिया नई तकनीकी व्यवस्था के कगार पर है, जो कृत्रिम बुद्धि और साइबर-फिज़िकल प्रणालियों पर केंद्रित है। पश्चिम के नेतृत्व में तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र में एक कनिष्ठ भागीदार रहने के बजाय, रूस को अपने सहयोगियों के साथ-साथ अपनी महत्वाकांक्षी और अत्याधुनिक परियोजनाओं को विकसित करना चाहिए।
मकारोव ने कहा कि एक आशाजनक विचार यह है कि रूस नई यूरेशियाई डिजिटल वित्तीय भुगतान प्रणाली के निर्माण का नेतृत्व करे। इस तरह की प्रणाली न केवल क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ाने में मदद देगी, बल्कि पश्चिमी प्रतिबंधों और आर्थिक दबाव के अन्य रूपों से अपने सदस्यों की रक्षा करेगी।
उन्होंने कहा, "हम नई तकनीकी व्यवस्था के नेता नहीं बन सकते हैं अगर हम विश्व बाजार में तेल और गैस की बिक्री जारी रखकर आमदनी का उपयोग अन्य देशों द्वारा विकसित तकनीकी प्रणालियों को खरीदने के लिए करेंगे। अगर हम निश्चित रूप से मैत्रीपूर्ण देशों से भागीदारों के साथ अपनी प्रणालियों को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित नहीं करते हैं, तो इसका मतलब है कि हम फिर से किसी और पर निर्भर होंगे। रूस में बहुत ऐसे विशेषज्ञ हैं जो दुनिया को बदलने वाली नई प्रौद्योगिकियों को बनाने में सक्षम हैं, इसलिए हमें इस स्थिति का लाभ उठाना चाहिए।"
यह लेख दिमित्री सिम्स द्वारा लिखा गया था और हिंदी में अनुवादित किया गया।
न्यूज़ फ़ीड
0
loader
चैट्स
Заголовок открываемого материала