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कौन हैं अमृतपाल सिंह और क्या वह पंजाब की शांति के लिए खतरा है?
कौन हैं अमृतपाल सिंह और क्या वह पंजाब की शांति के लिए खतरा है?
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अमृतपाल सिंह और जनरैल सिंह भिंडरावाले की तुलना की जा रही है इसी से जुड़े कई मुद्दों पर Sputnik ने पंजाब के पूर्व DGP शशिकांत से बात की।
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पंजाब पुलिस और अमृतपाल सिंह के समर्थकों के बीच झड़प में एक नाम उभर कर सामने आया है, अमृतपाल सिंह जो "वारिस पंजाब दे" संगठन का प्रमुख है। इस संगठन की स्थापना केंद्र सरकार के कृषि बिलों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के दौरान दीप सिद्धू ने की थी जिसकी पिछले साल फरवरी में एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अमृतपाल सिंह के साथ लाइसेंसी हथियार वाले लोग साथ में रहते हैं।अजनाला पुलिस स्टेशन की घटना के बाद अमृतपाल सिंह और जनरैल सिंह भिंडरावाले की तुलना की जा रही है, इसी से जुड़े कई मुद्दों पर Sputnik ने पंजाब के पूर्व DGP शशिकांत से बात की। अमृतपाल सिंह कौन है?अमृतपाल सिंह को पंजाब के मोगा जिले में एक कार्यक्रम के दौरान हाल ही में "वारिस पंजाब दे" के प्रमुख के रूप में चुना गया। अमृतपाल अमृतसर में जलुपुर खेरा गांव से है और वह 1984 में मारे गए उग्रवादी भिंडरावाले की तरह सशस्त्र लोगों के साथ घूमता है। उसके कुछ समर्थक उसे "भिंडरावाले 2.0" भी कहते हैं।क्या खालिस्तान आंदोलन से भारत को खतरा है? अजनाला पुलिस स्टेशन की घटना के बाद खालिस्तान का मुद्दा एक बार फिर गर्म हो गया है, इस पर बात करते हुए पूर्व पंजाब डीजीपी शशिकान्त ने कहा कि यह आंदोलन न पहले कभी था न अब है। अमृतपाल सिंह और भिंडरावाले में समानता जब से अमृतपाल सिंह का नाम मीडिया में आया है तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं, की अमृतपाल दूसरा भिंडरावाला है, लेकिन विशेषज्ञ की माने तो वो इसे सिरे से नकार देते हैं। पूर्व पंजाब पुलिस प्रमुख शशिकांत कहते है, कि जो 1984 में हुआ वो कभी भए दोहराया नहीं जा सकता है। खालिस्तान आंदोलन सिखों के लिए भी खतरनाक हो सकता है?पंजाब पुलिस के पूर्व DGP शशिकांत ने आगे Sputnik को बताया कि इस तरह के आंदोलनों से कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि देश में एक मजबूत सरकार है।
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पंजाब के पूर्व dgp शशिकांत, कौन हैं अमृतपाल सिंह, क्या अमृतपाल पंजाब के लिए खतरा है, खालिस्तान का भारत में भविष्य, अमृतपाल सिंह और भिंडरावाले में समानता
पंजाब के पूर्व dgp शशिकांत, कौन हैं अमृतपाल सिंह, क्या अमृतपाल पंजाब के लिए खतरा है, खालिस्तान का भारत में भविष्य, अमृतपाल सिंह और भिंडरावाले में समानता
कौन हैं अमृतपाल सिंह और क्या वह पंजाब की शांति के लिए खतरा है?
भारत में पंजाब राज्य के अमृतसर जिले में अमृतपाल सिंह के करीबी तूफान सिंह की गिरफ्तारी के विरोध में हजारों समर्थकों ने तलवारें और बंदूकें चलाईं और बैरिकेड्स तोड़ते हुए अजनाला पुलिस स्टेशन परिसर में घुस गए।
पंजाब पुलिस और अमृतपाल सिंह के समर्थकों के बीच झड़प में एक नाम उभर कर सामने आया है, अमृतपाल सिंह जो "वारिस पंजाब दे" संगठन का प्रमुख है। इस संगठन की स्थापना केंद्र सरकार के कृषि बिलों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के दौरान दीप सिद्धू ने की थी जिसकी पिछले साल फरवरी में एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अमृतपाल सिंह के साथ लाइसेंसी हथियार वाले लोग साथ में रहते हैं।अजनाला पुलिस स्टेशन की घटना के बाद अमृतपाल सिंह और जनरैल सिंह भिंडरावाले की तुलना की जा रही है, इसी से जुड़े कई मुद्दों पर Sputnik ने पंजाब के पूर्व DGP शशिकांत से बात की।
अमृतपाल सिंह को पंजाब के मोगा जिले में एक कार्यक्रम के दौरान हाल ही में "वारिस पंजाब दे" के प्रमुख के रूप में चुना गया। अमृतपाल अमृतसर में जलुपुर खेरा गांव से है और वह 1984 में मारे गए उग्रवादी भिंडरावाले की तरह सशस्त्र लोगों के साथ घूमता है। उसके कुछ समर्थक उसे "भिंडरावाले 2.0" भी कहते हैं।
"वह ट्रांसपोर्ट के बिजनेस के लिए दुबई में था और वह वापस लौट आया। जो भी हुआ थोड़ा रहस्यमय है। दीप सिद्धू नामक शख्स ने "वारिस पंजाब दे" नाम का संगठन शुरू किया दुर्भाग्यवश फरवरी के महीने में वह एक्सीडेंट में मारा गया। उसकी मौत के बाद कोई नहीं था जो उसके संगठन को चलाएं हालांकि उसका परिवार संगठन देख रहा था लेकिन तभी अचानक ये अमृतपाल सिंह सामने आया और उसने इस संगठन पर कब्जा कर लिया। मैं नहीं जानता की अमृतपाल को किसने चुना और किसने ट्रेन किया लेकिन उसने अपने इंटरव्यू में भिंडरावाले के बारे में बात की," पूर्व पंजाब DGPशशिकांत
क्या खालिस्तान आंदोलन से भारत को खतरा है?
अजनाला पुलिस स्टेशन की घटना के बाद खालिस्तान का मुद्दा एक बार फिर गर्म हो गया है, इस पर बात करते हुए पूर्व पंजाब डीजीपी शशिकान्त ने कहा कि यह आंदोलन न पहले कभी था न अब है।
"वैसे मैं पूछता हुआ क्या है खालिस्तान आंदोलन यह पहले भी नहीं था और नाहीं अब है। कुछ लोगों का एक ग्रुप है, जो आईएसआई -पाकिस्तान या भारत में रहने वाले कुछ ग्रुप इसकी बात करते है। एक बार 1984 में ये सामने आया था लेकिन फ्लॉप साबित हुआ। कुछ घटक दल इसको समय समय पर उठाते रहते है, या फिर जगह जगह अपने खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लिखते रहते हैं। इधर उधर इसकी बातें होती रहती है लेकिन ये आंदोलन न पहले था ना ही आज है, और न कभी भविष्य में होगा," पूर्व पंजाब DGP
अमृतपाल सिंह और भिंडरावाले में समानता
जब से अमृतपाल सिंह का नाम मीडिया में आया है तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं, की अमृतपाल दूसरा भिंडरावाला है, लेकिन विशेषज्ञ की माने तो वो इसे सिरे से नकार देते हैं। पूर्व पंजाब पुलिस प्रमुख शशिकांत कहते है, कि जो 1984 में हुआ वो कभी भए दोहराया नहीं जा सकता है।
"मुझे बिल्कुल भी नहीं लगता की ये भिंडरावाले की तरह है और उसकी गुरु ग्रंथ साहिब को पुलिस स्टेशन लेकर जाने की वजह से सिख धार्मिक संगठनों में विवाद है और बाद में पंजाब DGP के इंटरव्यू के मुताबिक इन लोगों ने गुरु ग्रंथ साहिब की पालकी के पीछे छुप कर पुलिस पर हमला किया। अगर इसके प्रभाव की बाते करें तो यह एक केंद्रित डाईसपोरा पर प्रभाव डालेगा जो समय समय पर खालिस्तान की मांग करते रहा है लेकिन इसका इतना प्रभाव पंजाब पर नहीं पड़ेगा और हां यह एक समाज के हिस्से के लिए चिंता का कारण हो सकता है। हमारी सरकार बहुत मजबूत है और 1984 की तरह कुछ भी दुबारा नहीं हो सकता है," पूर्व पंजाब DGP शशिकांत
खालिस्तान आंदोलन सिखों के लिए भी खतरनाक हो सकता है?
पंजाब पुलिस के पूर्व DGP शशिकांत ने आगे Sputnik को बताया कि इस तरह के आंदोलनों से कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि देश में एक मजबूत सरकार है।
"यहां खालिस्तान को लेकर कोई भी मांग नहीं है हां कुछ धार्मिक तत्व ऐसी मांग कर रहे है। लेकिन उनकी मांग से हालत पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि हमारे पास देश में मजबूत सरकार है।"