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AUKUS ने क्षेत्र में लंबे समय तक टकराव का दावा किया है: रूसी विदेश मंत्री सर्गे लवरोव
AUKUS ने क्षेत्र में लंबे समय तक टकराव का दावा किया है: रूसी विदेश मंत्री सर्गे लवरोव
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रूसी विदेश मंत्री ने कहा कि एंग्लो-सैक्सन दुनिया AUKUS जैसी ब्लॉक संरचनाओं को बनाते हुए और एशिया में नाटो के बुनियादी ढांचे को फैलाते हुए इस क्षेत्र के देशों से टकराव का दावा किया
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रूसी विदेश मंत्री सर्गे लवरोव ने रसोफाइल्स के अंतर्राष्ट्रीय आंदोलन के सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान कहा कि एंग्लो-सैक्सन दुनिया ने AUKUS जैसी ब्लॉक संरचनाओं को बनाते हुए और एशिया में नाटो के बुनियादी ढांचे को फैलाते हुए लंबे समय तक इस क्षेत्र के देशों से टकराव का दावा किया है।याद दिलाएं कि सोमवार को AUKUS के सदस्यों ने ऑस्ट्रेलिया को परमाणु ऊर्जा संयंत्रों वाली पनडुब्बियों को और उनके निर्माण की प्रौद्योगिकी को प्रदान करने से संबंधित योजना शुरू करने की घोषणा की थी। ऑस्ट्रेलियाई रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट में लिखा गया कि ऑस्ट्रेलियाई लोगों को ब्रिटेन और अमेरिका की परमाणु पनडुब्बियों का संचालन करने के लिए प्रशिक्षण किया जा रहा है।इस सम्मेलन के दौरान रूसी विदेश मंत्री के दूसरे बयानइसके साथ रूसी विदेश मंत्री ने दावा किया कि पश्चिमी देश चाहते हैं कि रूस लड़ाई में हिस्सा ले, क्योंकि उनको लगता है कि रूस विश्व में उनके प्रभुत्व के लिए बाधा है।इसके अलावा पश्चिमी देशों की नीति पर टिप्पणी करते हुए सर्गे लवरोव ने कहा कि नाज़ीवाद ज्यादा यूरोपीय देशों में फैल रहा है।
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aukus के कारण लंबे समय तक टकराव, aukus जैसी नाटो की ब्लॉक संरचना, एशिया के देशों से aukus का टकराव, रूसी विदेश मंत्री के बयान, रूस विश्व में पश्चिमी प्रभुत्व के लिए बाधा, यूरोपीय देशों में नाज़ीवाद का प्रकोप, रूस को लड़ाई में हिस्सा लेने पर मजबूर करने का प्रयास
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AUKUS ने क्षेत्र में लंबे समय तक टकराव का दावा किया है: रूसी विदेश मंत्री सर्गे लवरोव
ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया की साझेदारी का नया स्तर सितंबर 2021 में AUKUS की स्थापना हुआ था। इसका लक्ष्य अमेरिका और ब्रिटिश की प्रौद्योगिकियों के आधार पर ऑस्ट्रेलिया के लिए परमाणु ऊर्जा संयंत्रों वाली पनडुब्बियों का निर्माण है।
रूसी विदेश मंत्री सर्गे लवरोव ने रसोफाइल्स के अंतर्राष्ट्रीय आंदोलन के सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान कहा कि एंग्लो-सैक्सन दुनिया ने AUKUS जैसी ब्लॉक संरचनाओं को बनाते हुए और एशिया में नाटो के बुनियादी ढांचे को फैलाते हुए लंबे समय तक इस क्षेत्र के देशों से टकराव का दावा किया है।
रूस के विदेश मंत्री ने कहा कि "एंग्लो-सैक्सन दुनिया में AUKUS जैसी ब्लॉक संरचनाओं का गठन और एशिया में नाटो के सैन्य बुनियादी ढांचे की उन्नति टकराव की ओर एक महत्वपूर्ण और लंबे समय तक चलने का संकेत देती है।" उनके अनुसार, उनके लिए यह कल्पना करना मुश्किल है कि यूरोपीय संघ की तरह शक्तिशाली एशियाई सभ्यताएं आसानी से नियंत्रण में आ जाएंगी और वाशिंगटन और उसके अन्य एंग्लो-सैक्सन सहयोगियों की योजनाओं को आज्ञाकारी रूप से पूरा करेंगी।
याद दिलाएं कि सोमवार को
AUKUS के सदस्यों ने ऑस्ट्रेलिया को परमाणु ऊर्जा संयंत्रों वाली पनडुब्बियों को और उनके निर्माण की प्रौद्योगिकी को प्रदान करने से संबंधित योजना शुरू करने की घोषणा की थी। ऑस्ट्रेलियाई रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट में लिखा गया कि ऑस्ट्रेलियाई लोगों को ब्रिटेन और अमेरिका की परमाणु पनडुब्बियों का संचालन करने के लिए प्रशिक्षण किया जा रहा है।
इस सम्मेलन के दौरान रूसी विदेश मंत्री के दूसरे बयान
इसके साथ रूसी विदेश मंत्री ने दावा किया कि पश्चिमी देश चाहते हैं कि रूस लड़ाई में हिस्सा ले, क्योंकि उनको लगता है कि रूस विश्व में उनके प्रभुत्व के लिए बाधा है।
"हमें इस लड़ाई में हिस्सा लेने पर मजबूर किया जा रहा है क्योंकि जिन लोगों को क्रूसयुद्धों और दूसरे युद्धों में भाग लेने वालों की विरासत मिली, वे सोचते हैं कि रूस दुनिया में उनके प्रभुत्व के लिए बाधा है, लेकिन यह झूठ है। हम किसी को वैध हितों को पूरा करने से रोकने की कोशिश नहीं करते, लेकिन जब, उदाहरण के लिए, नाटो द्वारा पूरी दुनिया पर नियंत्रण करने की आवश्यकता की घोषणा की जाती है और यह दावा भी किया जाता है कि एशिया ऐसा क्षेत्र है जहां उसे [पश्चिम को] सब कुछ नियंत्रित करना चाहिए, तब मुझे नहीं लगता कि रूसी लोगों की और सभी विश्व सभ्यताओं के बहुमत की न्याय की भावना जताना नहीं चाहिए,” रूसी विदेश मंत्री लवरोव ने कहा।
इसके अलावा पश्चिमी देशों की नीति पर टिप्पणी करते हुए
सर्गे लवरोव ने कहा कि नाज़ीवाद ज्यादा यूरोपीय देशों में फैल रहा है।
"हम नव-नाजीवाद ही नहीं, हम प्रत्यक्ष नाजीवाद भी देखते हैं, जो अधिक यूरोपीय देशों में फैल रहा है। हम देखते हैं कि हमारी आंखों के सामने इतिहास कैसे नष्ट हो रहा है, पवित्र स्मारकों को नष्ट कैसे किया जा रहा है, जो सोवियत संघ के सैनिकों के प्रति ही नहीं, उस महान युद्ध में [द्वितीय विश्व युद्ध में] हमारे साथ लड़ने वाले सहयोगियों के प्रति भी समर्पित हैं, या तो वे फ्रांसीसी, चेक, स्लोवाक लोग हों, या तो बहुत अन्य देशों के लोग हों," लवरोव ने इस बैठक के दौरान बताया।