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बीस साल बाद भी अमेरिका इराक पर आक्रमण के कारण फैलाई गई अव्यवस्था से लड़ाई में है
बीस साल बाद भी अमेरिका इराक पर आक्रमण के कारण फैलाई गई अव्यवस्था से लड़ाई में है
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नवरूढ़िवादियों और नवउदारवादियों ने मध्य पूर्व में पश्चिमी-नियंत्रित व्यवस्था बनाने की उम्मीद की लेकिन इराक पर आक्रमण के कारण अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद और अव्यवस्था का नया चरण शुरू हुआ
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19 मार्च 2003 को रात को 10:16 बजे EST अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज वॉकर बुश ने ओवल ऑफिस से टेलीविज़न पर दिए गए भाषण में कहा था कि अमेरिका और उसके सहयोगी इराक को निरस्त्र करने और "उसके लोगों को मुक्त करने" के लिए सैन्य अभियानों के शुरुआती चरण में थे। यह बयान आक्रमण की शुरुआत हुआ था जिसके कारण लाखों नागरिकों और सैनिकों की मौत हो गई थी।बुश की विदेश नीति टीम को पूरा विश्वास था कि केवल सैन्य शक्ति के माध्यम से वह मध्य पूर्व को बदल सकती है और वहाँ लोकतंत्र स्थापित कर सकती है।दूसरी ओर, बहुत डेमोक्रेट्स ने मानवीय आधार पर आक्रमण का समर्थन करके विश्वास जताया कि इराक के लोगों को सत्तावादी शासक की सत्ता से मुक्त करने की आवश्यकता है।राजनीतिक टिप्पणीकार और इतिहासकार डेन लज़ैर का मानना है कि बुश, उनकी टीम और मानवीय आधार पर विश्वास करने वाले लोगों ने शायद वह अनुमान नहीं लगाया कि इस क्षेत्र को लोकतांत्रिक बनाने की उनकी कोशिश से सत्ता की कमी सामने आएगी जिसके कारण दाएश* जैसे आतंकवादी समूह दिखाई देंगे।'सभ्यता' मिशन का समापनअमेरिकी सेंट्रल कमांड के प्रमुख ने 16 मार्च को सीनेट समिति को गवाही देते हुए इस धारणा की पुष्टि करके कहा कि अफगानिस्तान में दाएश की शाखा को विदेशों में पश्चिमी हितों पर बाहरी हमले करने में सक्षम बनने में लगभग छह महीने लगेंगे।लज़ैर ने कहा कि अमेरिका द्वारा शीत युद्ध के अंत में चुना गया रास्ता 9/11 और इराक में युद्ध से संबंधित है। उनके अनुसार, सोवियत गठबंधन के पतन के बाद लड़ाई खत्म करने के बजाय, अमेरिका में रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक दोनों राष्ट्रपतियों ने लड़ाई के नए चरण के लिए तैयारी शुरू किया।लज़ैर ने सुझाव दिया कि मध्य पूर्व में पश्चिमी सभ्यता का पहुंचना भू-राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए एक नई योजना थी।उन्होंने यह भी कहा कि अफगानिस्तान में मुजाहिदीन के समर्थन सहित दशकों तक शीत युद्ध के दौरान अमेरिका के व्यवहार का असर अमेरिका पर ही पड़ेगा।उन्होंने यह भी कहा कि इराक अमेरिका द्वारा इस क्षेत्र को और अस्थिर करने के लिए बस एक कदम था।लोकतंत्र संस्थान के निदेशक पैट्रिक बाशम ने कहा कि पूरे इराक में शांतिपूर्ण, स्थिर, पश्चिमी समर्थक लोकतंत्र के निर्माण के सपने को पूरा करते हुए अमेरिका द्वारा इराकी और पश्चिमी इतना ज्यादा खून बहाया गया था और अरबों डॉलर गँवाए गए थे।उन्होंने बताया कि पश्चिमी नवउदारवादियों ने प्रत्येक स्थिति में और विशेष रूप से सीरियाई संदर्भ में मानवीय तबाही पर ध्यान दिया था।बाशम ने यह भी बताया कि अमेरिका न केवल अपने उद्देश्यों को पूरा करने में असफल रहा, बल्कि सद्दाम हुसैन के बाद सत्ता में आई सरकारों ने वाशिंगटन से संबंध खत्म किया।कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी के एमेरिटस ऑफ पॉलिटिकल साइंस प्रोफेसर ब्यू ग्रॉसकूप के अनुसार, इराक पर आक्रमण के कारण दो अमेरिकी रणनीतिक "न्यू वर्ल्ड ऑर्डर" लक्ष्यों को पूरा करने में असफलता मिला, जिनका मतलब प्रतिस्पर्धी शक्ति के उदय को रोकना और सामरिक संसाधनों तक पहुंच को बनाए रखना था।और इस प्रक्रिया के दौरान अमेरिका समझ गया कि न केवल अमेरिका के लिए बल्कि दुनिया की अधिकांश जनता के लिए राष्ट्रवाद बहुत महत्त्वपूर्ण भावना है।ग्रॉसकूप ने कहा, "शासन को बदलना बहुत कठिन होता है। यहां तक कि जब आपको लगता है कि आपके पास अधिकतर कार्ड हैं।"* रूस में प्रतिबंधित
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बीस साल बाद भी अमेरिका इराक पर आक्रमण के कारण फैलाई गई अव्यवस्था से लड़ाई में है
13:25 20.03.2023 (अपडेटेड: 14:20 20.03.2023) विशेष
वाशिंगटन (Sputnik) - नवरूढ़िवादियों और नवउदारवादियों ने मध्य पूर्व में पश्चिमी-नियंत्रित व्यवस्था बनाने की उम्मीद की थी, लेकिन इराक पर अमेरिका के नेतृत्व में आक्रमण के कारण अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद और अव्यवस्था का नया चरण शुरू हुआ था जो दुनिया भर में फैल रहा है और अमेरिकी हितों के लिए खतरे के रूप में उभर रहा है, विशेषज्ञों ने Sputnik को बताया।
19 मार्च 2003 को रात को 10:16 बजे EST अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज वॉकर बुश ने ओवल ऑफिस से टेलीविज़न पर दिए गए भाषण में कहा था कि अमेरिका और उसके सहयोगी इराक को निरस्त्र करने और "उसके लोगों को मुक्त करने" के लिए सैन्य अभियानों के शुरुआती चरण में थे। यह बयान आक्रमण की शुरुआत हुआ था जिसके कारण लाखों नागरिकों और सैनिकों की मौत हो गई थी।
बुश की विदेश नीति टीम को पूरा विश्वास था कि केवल सैन्य शक्ति के माध्यम से वह मध्य पूर्व को बदल सकती है और वहाँ लोकतंत्र स्थापित कर सकती है।
दूसरी ओर, बहुत डेमोक्रेट्स ने मानवीय आधार पर आक्रमण का समर्थन करके विश्वास जताया कि इराक के लोगों को सत्तावादी शासक की सत्ता से मुक्त करने की आवश्यकता है।
राजनीतिक टिप्पणीकार और इतिहासकार डेन लज़ैर का मानना है कि बुश, उनकी टीम और मानवीय आधार पर विश्वास करने वाले लोगों ने शायद वह अनुमान नहीं लगाया कि इस क्षेत्र को लोकतांत्रिक बनाने की उनकी कोशिश से सत्ता की कमी सामने आएगी जिसके कारण दाएश* जैसे
आतंकवादी समूह दिखाई देंगे।
लज़ैर ने Sputnik को बताया, "2003 के आक्रमण का महत्व यह है कि वह अंतर्राष्ट्रीय अव्यवस्था, आक्रामकता और विनाश के नए चरण की शुरुआत बना।“
अमेरिकी सेंट्रल कमांड के प्रमुख ने 16 मार्च को सीनेट समिति को गवाही देते हुए इस धारणा की पुष्टि करके कहा कि अफगानिस्तान में दाएश की शाखा को विदेशों में पश्चिमी हितों पर बाहरी हमले करने में सक्षम बनने में लगभग छह महीने लगेंगे।
लज़ैर ने कहा कि अमेरिका द्वारा शीत युद्ध के अंत में चुना गया रास्ता 9/11 और इराक में युद्ध से संबंधित है। उनके अनुसार, सोवियत गठबंधन के पतन के बाद लड़ाई खत्म करने के बजाय, अमेरिका में रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक दोनों राष्ट्रपतियों ने लड़ाई के नए चरण के लिए तैयारी शुरू किया।
लज़ैर ने सुझाव दिया कि मध्य पूर्व में पश्चिमी सभ्यता का पहुंचना भू-राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए एक नई योजना थी।
उन्होंने कहा, "जनवरी 1980 में दिखाई दी कार्टर डॉक्टरिन ने खाड़ी पर नियंत्रण बहाल करने और इसे अमेरिकी झील में बदलने को लेकर प्रशासन की इच्छा की घोषणा की। 23 सालों बाद 'सदमे और खौफ' के लिए यह आवश्यक पृष्ठभूमि है ... जब ईंधन के विश्व व्यापार का केंद्र अचानक खेल में हिस्सा लेने लगा।"
उन्होंने यह भी कहा कि अफगानिस्तान में मुजाहिदीन के समर्थन सहित दशकों तक
शीत युद्ध के दौरान अमेरिका के व्यवहार का असर अमेरिका पर ही पड़ेगा।
"9/11 यानी अफगानिस्तान में हस्तक्षेप के अप्रत्याशित उत्पाद की मदद से बुश II को खाड़ी पर पहले से ज्यादा बड़ा अमेरिकी नियंत्रण लागू करने के लिए सद्दाम हुसैन को गिराने का बहाना मिला। दूर से घटनाओं को प्रभावित करने के बजाय, अमेरिका अब सीधे और करीब से उन पर नियंत्रण करेगा," उन्होंने कहा।
उन्होंने यह भी कहा कि इराक अमेरिका द्वारा इस क्षेत्र को और अस्थिर करने के लिए बस एक कदम था।
लोकतंत्र संस्थान के निदेशक पैट्रिक बाशम ने कहा कि पूरे इराक में शांतिपूर्ण, स्थिर, पश्चिमी समर्थक लोकतंत्र के निर्माण के सपने को पूरा करते हुए अमेरिका द्वारा इराकी और पश्चिमी इतना ज्यादा खून बहाया गया था और अरबों डॉलर गँवाए गए थे।
"यह आश्चर्यजनक है कि अनुभव भरे आधार, तर्क या देश की विशिष्टताओं को समझने के बिना नवरूढ़िवादियों ने भविष्यवाणी की थी कि पश्चिमी उदारवादी लोकतांत्रिक निर्वाण इराक, लीबिया और सीरिया के शाब्दिक और आलंकारिक लोकतांत्रिक रेगिस्तान में रोशनी में आएंगे," उन्होंने कहा।
उन्होंने बताया कि पश्चिमी नवउदारवादियों ने प्रत्येक स्थिति में और विशेष रूप से सीरियाई संदर्भ में मानवीय तबाही पर ध्यान दिया था।
बाशम ने यह भी बताया कि अमेरिका न केवल अपने उद्देश्यों को पूरा करने में असफल रहा, बल्कि सद्दाम हुसैन के बाद सत्ता में आई सरकारों ने वाशिंगटन से संबंध खत्म किया।
कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी के एमेरिटस ऑफ पॉलिटिकल साइंस प्रोफेसर ब्यू ग्रॉसकूप के अनुसार, इराक पर आक्रमण के कारण दो अमेरिकी रणनीतिक "न्यू वर्ल्ड ऑर्डर" लक्ष्यों को पूरा करने में असफलता मिला, जिनका मतलब प्रतिस्पर्धी शक्ति के उदय को रोकना और सामरिक संसाधनों तक पहुंच को बनाए रखना था।
और इस प्रक्रिया के दौरान अमेरिका समझ गया कि न केवल अमेरिका के लिए बल्कि दुनिया की अधिकांश जनता के लिए राष्ट्रवाद बहुत महत्त्वपूर्ण भावना है।
ग्रॉसकूप ने कहा, "शासन को बदलना बहुत कठिन होता है। यहां तक कि जब आपको लगता है कि आपके पास अधिकतर कार्ड हैं।"