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आंध्रप्रदेश में मिला 15 दुर्लभ खनिज, फोन से लेकर कार तक में होता है इस्तेमाल
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इन दुर्लभ खनिज तत्वों का इस्तेमाल टेलीविजन, फोन, कंप्यूटर और ऑटोमोबाइल में किया जाता हैं।
2023-04-04T18:40+0530
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इन दुर्लभ खनिज तत्वों का इस्तेमाल टेलीविजन, फोन, कंप्यूटर और ऑटोमोबाइल में किया जाता हैं।दरअसल, एनजीआरआई के वैज्ञानिक साइनाइट जैसी दुर्लभ चट्टानों ढूँढने के लिए एक सर्वेक्षण कर रहे थे। तभी वैज्ञानिको ने लैंथेनाइड श्रृंखला में खनिजों की जरुरी खोज की। पहचान किए गए तत्वों में एपेटाइट, जिरकोन, एलानाइट, सीरीएट, टैंटलाइट, मोनाजाइट, थोराइट, कोलम्बाइट, पायरोक्लोर यूक्सेनाइट और फ्लोराइट तत्व शामिल हैं।साथ ही उन्होंने कहा कि इन दुर्लभ पृथ्वी तत्वों के बारे में अधिक जानने के लिए डीप-ड्रिलिंग करके और अध्ययन किए जाएंगे। इन तत्वों का उपयोग स्वच्छ ऊर्जा, एयरोस्पेस, रक्षा और स्थायी चुम्बकों के निर्माण में भी किया जाता है जो आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स पवन टर्बाइनों, जेट विमानों और कई अन्य उत्पादों के प्रमुख घटक हैं।बता दें कि फरवरी महीने में जम्मू कश्मीर में लिथियम का 59 लाख टन का भंडार मिला था। इसे 'व्हाइट गोल्ड' भी कहा जाता है। भारत में पहली बार इतनी बड़ी मात्रा में लीथियम मिला था।
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खनिज तत्वों का इस्तेमाल, आंध्रप्रदेश में खनिज खजाना, रेडियोधर्मी तत्वों की उपस्थिति, आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले
खनिज तत्वों का इस्तेमाल, आंध्रप्रदेश में खनिज खजाना, रेडियोधर्मी तत्वों की उपस्थिति, आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले
आंध्रप्रदेश में मिला 15 दुर्लभ खनिज, फोन से लेकर कार तक में होता है इस्तेमाल
हैदराबाद स्थित नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनजीआरआई) ने आंध्रप्रदेश के अनंतपुर जिले में 15 दुर्लभ पृथ्वी तत्वों (आरईई) के बड़े भंडार पाए हैं।
इन दुर्लभ खनिज तत्वों का इस्तेमाल टेलीविजन, फोन, कंप्यूटर और ऑटोमोबाइल में किया जाता हैं।
दरअसल, एनजीआरआई के वैज्ञानिक साइनाइट जैसी दुर्लभ चट्टानों ढूँढने के लिए एक सर्वेक्षण कर रहे थे। तभी वैज्ञानिको ने लैंथेनाइड श्रृंखला में खनिजों की जरुरी खोज की। पहचान किए गए तत्वों में एपेटाइट, जिरकोन, एलानाइट, सीरीएट, टैंटलाइट, मोनाजाइट, थोराइट, कोलम्बाइट, पायरोक्लोर यूक्सेनाइट और फ्लोराइट तत्व शामिल हैं।
"मोनाजाइट के दानों के भीतर रेडियल दरारों के साथ उच्च-क्रम के कई रंग दिखाई देते हैं, जो रेडियोधर्मी तत्वों की उपस्थिति का संकेत हैं। पेद्दावदागुरु और रेड्डीपल्ले गांवों में विभिन्न साइज का जिक्रोन देखा गया है," एनजीआरआई के वैज्ञानिक पीवी सुंदर राजू ने कहा।
साथ ही उन्होंने कहा कि इन दुर्लभ पृथ्वी तत्वों के बारे में अधिक जानने के लिए डीप-ड्रिलिंग करके और अध्ययन किए जाएंगे। इन तत्वों का उपयोग स्वच्छ ऊर्जा, एयरोस्पेस, रक्षा और स्थायी चुम्बकों के निर्माण में भी किया जाता है जो आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स पवन टर्बाइनों, जेट विमानों और कई अन्य उत्पादों के प्रमुख घटक हैं।
बता दें कि फरवरी महीने में जम्मू कश्मीर में लिथियम का 59 लाख टन का भंडार मिला था। इसे 'व्हाइट गोल्ड' भी कहा जाता है। भारत में पहली बार इतनी बड़ी मात्रा में लीथियम मिला था।