1941 में युद्ध की भयानक शुरुआत से 1945 के विजयी वसंत तक सोवियत सैनिकों के साथ सोवियत डॉक्टरों और मेडिक्स ने युद्ध में हिस्सा लिया।नर्सों पर बड़ा बोझ पड़ा, क्योंकि वे ही युद्ध से संबंधित भयों का सामना करते हुए सैनिकों को प्राथमिक उपचार प्रदान करती थीं, उन्हें युद्ध के मैदान से बाहर ले जाती थीं और यहाँ तक कि उन्हें अपने शरीर से गोलियों से बचाती थीं।युद्ध के दौरान नर्सें अक्सर बिना आराम के कई दिनों से अधिक समय तक काम करती थीं, हर सैनिक के जीवन के लिए लड़ाई करती थीं।अधिक जानने के लिए Sputnik के फ़ोटो गेलरी देखें!
द्वितीय विश्व युद्ध ने सोवियत संघ को बड़ा नुकसान पहुंचाया था। सोवियत लोगों में से कोई ऐसा व्यक्ति नहीं था जिसने विजय के लिए कुछ नहीं किया। पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी युद्ध में भाग लेना पड़ा, इसलिए आज हम सोवियत नर्सों की विशेष भूमिका पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं।
1941 में युद्ध की भयानक शुरुआत से 1945 के विजयी वसंत तक सोवियत सैनिकों के साथ सोवियत डॉक्टरों और मेडिक्स ने युद्ध में हिस्सा लिया।
नर्सों पर बड़ा बोझ पड़ा, क्योंकि वे ही युद्ध से संबंधित भयों का सामना करते हुए सैनिकों को प्राथमिक उपचार प्रदान करती थीं, उन्हें युद्ध के मैदान से बाहर ले जाती थीं और यहाँ तक कि उन्हें अपने शरीर से गोलियों से बचाती थीं।
युद्ध के दौरान नर्सें अक्सर बिना आराम के कई दिनों से अधिक समय तक काम करती थीं, हर सैनिक के जीवन के लिए लड़ाई करती थीं।
बर्लिन की लड़ाई खत्म हो गई है। नर्सें घर जाने के लिए तैयार हैं।
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