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सेना के जवान सेवक-रंगपो रेलवे परियोजना से जल्द पहुंच सकेंगे सिक्किम चीन बॉर्डर
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भारतीय मीडिया ने अधिकारियों के हवाले से कहा कि सेवक-रंगपो रेलवे परियोजना पश्चिम बंगाल को भारत के पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम से जोड़ेगी। अधिकारियों के अनुमान से यह 2024 के अंत तक पूरा हो जाएगी।
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भारतीय मीडिया ने अधिकारियों के हवाले से कहा कि सेवक-रंगपो रेलवे परियोजना पश्चिम बंगाल को भारत के पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम से जोड़ेगी। अधिकारियों के अनुमान से यह 2024 के अंत तक पूरा हो जाएगी। इस रेल परियोजना के बन जाने के बाद भारतीय सेना के जवानों को सिक्किम राज्य से सटे हुए चीन बॉर्डर तक पहुंचने में कम वक्त लगेगा और यह देश और रेल्वे के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। गुप्ता ने कहा कि 2009 में तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री ममता बनर्जी द्वारा शिलान्यास किए जाने के बाद से इस परियोजना की लागत में नौ गुना वृद्धि देखी गई है। 2009 में अनुमानित परियोजना लागत ₹1,339.48 करोड़ की थी।शुरू में सरकार की योजना इसे 2015 तक पूरा करने की थी लेकिन पहाड़ों में लंबी सुरंग बनाना एक कठिन चुनौती थी तो समय सीमा को बदलकर दिसंबर 2023 तक बढ़ा दिया गया था। अगर इस परियोजना की बात करें तो इसकी कुल लंबाई 44.98 किलोमीटर है जिसमें 14 सुरंगें, 17 पुल और पांच स्टेशन हैं। पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग और कलिम्पोंग जिलों में 41.54 किमी का विस्तार है जबकि शेष 3.44 किमी सिक्किम में है।
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सेवक-रंगपो रेलवे परियोजना, 2024 के अंत तक पूरा, पश्चिम बंगाल से सिक्किम रेल मार्ग से जुड़ेगा, केंद्रीय रेल मंत्री ममता बनर्जी द्वारा शिलान्यास, 2009 में सेवक-रंगपो रेलवे परियोजना का शिलायन्स
सेवक-रंगपो रेलवे परियोजना, 2024 के अंत तक पूरा, पश्चिम बंगाल से सिक्किम रेल मार्ग से जुड़ेगा, केंद्रीय रेल मंत्री ममता बनर्जी द्वारा शिलान्यास, 2009 में सेवक-रंगपो रेलवे परियोजना का शिलायन्स
सेना के जवान सेवक-रंगपो रेलवे परियोजना से जल्द पहुंच सकेंगे सिक्किम चीन बॉर्डर
यह रेल मार्ग सिक्किम बाकी राज्य से जुड़ता है, और यह प्रदेश चीन की सीमा साझा करता है सेवक-रंगपो रेलवे परियोजना भारतीय सैनिकों के आवागमन को सुगम मार्ग प्रशस्त करेगा। यह निकटवर्ती नाथुला सीमा पर भारतीय सैनिकों के लिए यात्रा को तेज और सहज बना देगा।
भारतीय मीडिया ने अधिकारियों के हवाले से कहा कि सेवक-रंगपो रेलवे परियोजना पश्चिम बंगाल को भारत के पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम से जोड़ेगी। अधिकारियों के अनुमान से यह 2024 के अंत तक पूरा हो जाएगी।
इस रेल परियोजना के बन जाने के बाद भारतीय सेना के जवानों को सिक्किम राज्य से सटे हुए चीन बॉर्डर तक पहुंचने में कम वक्त लगेगा और यह देश और रेल्वे के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।
"संशोधित परियोजना की लागत ₹12,500 करोड़ तक पहुंच जाएगी," केंद्र के स्वामित्व वाली कार्यान्वयन कंपनी इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक बीके गुप्ता ने कहा।
गुप्ता ने कहा कि 2009 में तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री ममता बनर्जी द्वारा शिलान्यास किए जाने के बाद से इस परियोजना की लागत में नौ गुना वृद्धि देखी गई है। 2009 में अनुमानित परियोजना लागत ₹1,339.48 करोड़ की थी।
शुरू में सरकार की योजना इसे 2015 तक पूरा करने की थी लेकिन पहाड़ों में लंबी सुरंग बनाना एक कठिन चुनौती थी तो समय सीमा को बदलकर दिसंबर 2023 तक बढ़ा दिया गया था।
अगर इस परियोजना की बात करें तो इसकी कुल लंबाई 44.98 किलोमीटर है जिसमें 14 सुरंगें, 17 पुल और पांच स्टेशन हैं।
पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग और कलिम्पोंग जिलों में 41.54 किमी का विस्तार है जबकि शेष 3.44 किमी सिक्किम में है।