https://hindi.sputniknews.in/20230518/g7-shikhar-sammelan-men-modii-ke-bhaag-lene-se-pahle-bhaarat-ne-yuukren-par-apne-rukh-ko-dohraayaa-2039668.html
G7 शिखर सम्मेलन में मोदी के भाग लेने से पहले भारत ने यूक्रेन पर अपने रुख को दोहराया
G7 शिखर सम्मेलन में मोदी के भाग लेने से पहले भारत ने यूक्रेन पर अपने रुख को दोहराया
Sputnik भारत
हिरोशिमा में G7 शिखर सम्मेलन में मोदी की भागीदारी से पहले, नई दिल्ली ने कहा कि उसके "आर्थिक और अन्य हित" "बातचीत और कूटनीति के माध्यम से" यूक्रेन संकट को हल करने पर आधारित हैं।
2023-05-18T20:25+0530
2023-05-18T20:25+0530
2023-05-18T20:25+0530
यूक्रेन संकट
भारत
रूस
नरेन्द्र मोदी
यूक्रेन
जापान
g7
तेल
प्रतिबंध
तेल का आयात
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e7/05/12/2037285_0:2:3636:2047_1920x0_80_0_0_fb1a3ded3dcf4e6498aa37c7888fff07.jpg
सप्ताहांत में हिरोशिमा में G7 शिखर सम्मेलन में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की भागीदारी से पहले, नई दिल्ली ने कहा कि उसके "आर्थिक और अन्य हित" "बातचीत और कूटनीति के माध्यम से" यूक्रेन संकट को हल करने पर आधारित हैं।भारतीय अधिकारी ने कहा कि नई दिल्ली का यह रुख रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को पिछले सितंबर में बताया गया था, जब उन्होंने समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के नेताओं के शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी।अब तक G7 देशों ने मास्को पर प्रतिबंधों के दस पैकेजों को लगाया है, जिनका उद्देश्य ऊर्जा से इसकी आमदनी को कम करना और इसे वैश्विक वित्तीय प्रणाली से हटाना है।भारत, चीन और कई विकासशील देश पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद रूस से संबंध विकसित कर रहे हैं। मास्को के खिलाफ केंद्रित पश्चिमी प्रयासों को दूर करते हुए, नई दिल्ली और बीजिंग पिछले साल से रूसी कच्चे तेल के सबसे बड़े आयातक हैं।
https://hindi.sputniknews.in/20230517/kii-deshon-ne-jelenskii-se-istiife-kii-mdd-se-bhii-snkt-smaapt-krine-kii-apiil-kii-ameriikii-ptrkaari-2005229.html
भारत
रूस
यूक्रेन
जापान
Sputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
2023
Sputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
खबरें
hi_IN
Sputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e7/05/12/2037285_453:0:3184:2048_1920x0_80_0_0_aedb2afe403539ea1690ad8cf4725a85.jpgSputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
g7 शिखर सम्मेलन, g7 शिखर सम्मेलन में नोंदी की भागीदारी, यूक्रेन पर भारत का रुख, हिरोशिमा में g7 शिखर सम्मेलन, बातचीत और कूटनीति के माध्यम से" यूक्रेन संकट का समाधान, रूस पर पश्चिमी प्रतिबंध, रूस पर g7 के प्रतिबंध
g7 शिखर सम्मेलन, g7 शिखर सम्मेलन में नोंदी की भागीदारी, यूक्रेन पर भारत का रुख, हिरोशिमा में g7 शिखर सम्मेलन, बातचीत और कूटनीति के माध्यम से" यूक्रेन संकट का समाधान, रूस पर पश्चिमी प्रतिबंध, रूस पर g7 के प्रतिबंध
G7 शिखर सम्मेलन में मोदी के भाग लेने से पहले भारत ने यूक्रेन पर अपने रुख को दोहराया
भारत को हिरोशिमा में इस वर्ष के G7 शिखर सम्मेलन में 'अतिथि देश' के रूप में आमंत्रित किया गया। इस बैठक के दौरान नरेंद्र मोदी तीन सत्रों में भाग लेंगे, जहां भोजन, स्वास्थ्य, जलवायु, ऊर्जा और वैश्विक शांति और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित होगी।
सप्ताहांत में हिरोशिमा में G7 शिखर सम्मेलन में प्रधान मंत्री
नरेंद्र मोदी की भागीदारी से पहले, नई दिल्ली ने कहा कि उसके "आर्थिक और अन्य हित" "बातचीत और कूटनीति के माध्यम से" यूक्रेन संकट को हल करने पर आधारित हैं।
भारतीय विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने गुरुवार को नई दिल्ली में एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा, "[यूक्रेन संकट पर] हमारा रुख यहां और बाहर के प्रेस ब्रीफिंगों में कई बार बताया गया है और दोहराया गया है। बातचीत और कूटनीति के माध्यम से इस संकट को हल करना चाहिए।"
भारतीय अधिकारी ने कहा कि नई दिल्ली का यह रुख रूसी राष्ट्रपति
व्लादिमीर पुतिन को पिछले सितंबर में बताया गया था, जब उन्होंने समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के नेताओं के शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी।
भारतीय विदेश सचिव ने टिप्पणी की, "इस संकट के संबंध में यही वह मूल आधार है जिस पर हमारा राजनीतिक रुख और हमारे आर्थिक और अन्य हित आधारित हैं।"
अब तक G7 देशों ने मास्को पर प्रतिबंधों के दस पैकेजों को लगाया है, जिनका उद्देश्य ऊर्जा से इसकी आमदनी को कम करना और इसे वैश्विक वित्तीय प्रणाली से हटाना है।
भारत, चीन और कई विकासशील देश पश्चिमी
प्रतिबंधों के बावजूद रूस से संबंध विकसित कर रहे हैं। मास्को के खिलाफ केंद्रित पश्चिमी प्रयासों को दूर करते हुए, नई दिल्ली और बीजिंग पिछले साल से रूसी कच्चे तेल के सबसे बड़े आयातक हैं।