भारत-रूस संबंध
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1987 भारत-सोवियत महोत्सव की वर्षगांठ: 'हिंदी-रूसी भाई-भाई' की अवधारणा जीवंत

© Sputnik / Vyasheslav Runov / मीडियाबैंक पर जाएंГенеральный секретарь ЦК КПСС М.С. Горбачев и Премьер-Министр Республики Индии Раджив Ганди с супругами на открытии фестиваля Индии в СССР в Лужниках
Генеральный секретарь ЦК КПСС М.С. Горбачев и Премьер-Министр Республики Индии Раджив Ганди с супругами на открытии фестиваля Индии в СССР в Лужниках - Sputnik भारत, 1920, 03.07.2023
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3 जुलाई 1987 को मिख़ाइल गोर्बाचेव और राजीव गांधी ने सोवियत-भारत मित्रता महोत्सव का उद्घाटन किया था। दो वर्षों से चले आ रहे उत्सव के मध्य महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन और बैठकें आयोजित की गईं, जिसमें दोनों देशों के विज्ञान और संस्कृति जगत के प्रतिनिधियों की भेंट हुई।
महोत्सव के दौरान दोनों देशों के हजारों लोगों को सांस्कृतिक अनुभव साझा करने और एक-दूसरे को बेहतर तरीके से जानने का अवसर प्राप्त हुआ।
Sputnik ने मास्को राज्य विश्वविद्यालय के प्रोफेसर इगोर अबिल्गाज़ीएव से बात की, जो उत्सव के दौरान युवा कार्यक्रम के समन्वयक थे। इस आयोजन के बाद इगोर अबिल्गाज़िएव को "श्रम वीरता" पदक से सम्मानित किया गया।

“यह आयोजन अंतरराष्ट्रीय संबंधों के इतिहास के संदर्भ में एक विशेष महत्व रखता है, क्योंकि पहली बार दो महान राज्यों, भारत और सोवियत संघ ने संस्कृति, विज्ञान और सभी उपलब्धियों को बड़े पैमाने पर दिखाने का फैसला किया था। उस समय हजारों सोवियत और भारतीय लोग एक दूसरे की देश की यात्रा की थी,” आयोजन की विशिष्टता पर टिप्पणी करते हुए प्रोफेसर इगोर अबिल्गाज़ीएव ने कहा।

© Sputnik / Vitaliy Arutjunov / मीडियाबैंक पर जाएंСтадион имени Джавахарлала Неру в Дели
Стадион имени Джавахарлала Неру в Дели - Sputnik भारत, 1920, 02.07.2023
Стадион имени Джавахарлала Неру в Дели
प्रोफेसर ने बताया कि दोनों देशों ने अपनी सदियों पुरानी कला, पेशेवर और शौकिया रचनात्मकता का आदान-प्रदान किया। भारत के कई कला समूहों ने अपने काम से सोवियत दर्शकों को प्रसन्न किया, जबकि भारतीय लोग सोवियत संस्कृति के प्रतिनिधियों से परिचित हुए।

“इसके अलावा पूरे सोवियत संघ में भारतीय युवाओं के लिए यात्राएं आयोजित की गईं। युवाओं ने न केवल रूस के केंद्रीय शहरों को देखा, बल्कि ट्रांसबाइकलिया, पश्चिमी साइबेरिया, उज्बेकिस्तान, यूक्रेन आदि को भी देखा। वास्तव में हमने सुदूर पूर्व से लेकर पश्चिमी सीमा तक पूरे सोवियत संघ के क्षेत्र में अपने भारतीय मेहमानों का स्वागत किया। और भारतीय पक्ष ने भी यही किया - सोवियत युवाओं को मुंबई, कलकत्ता, राजस्थान, जम्मू और कश्मीर सहित कई भारतीय प्रदेशों का दौरा करने का मौका मिला।”

प्रोफेसर के मुताबिक इस उत्सव का आयोजन करना दोनों देशों के बीच उच्च स्तर के आपसी विश्वास की बदौलत संभव हुआ।

“उस समय सोवियत-भारत संबंध अपने चरम पर था। 1986 में आपसी समझ का स्तर इतना ऊँचा था कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को CPSU (सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी) की 27वीं पार्टी कांग्रेस के लिए आमंत्रित किया गया था, जो वास्तव में पहली बार था जब किसी गैर-सर्वहारा पार्टी को आमंत्रित किया गया था। इसने उस समय हमारे देशों के बीच विश्वास के स्तर को दिखाया।

© Sputnik / Vitaliy Arutjunov / मीडियाबैंक पर जाएंТоржественное открытие фестиваля СССР в Индии на стадионе Джавахарлал Неру
Торжественное открытие фестиваля СССР в Индии на стадионе Джавахарлал Неру - Sputnik भारत, 1920, 02.07.2023
Торжественное открытие фестиваля СССР в Индии на стадионе Джавахарлал Неру
इसके अलावा 1986 में मिख़ाइल गोर्बाचेव और राजीव गांधी ने परमाणु हथियार और हिंसा मुक्त दुनिया के सिद्धांतों पर दिल्ली घोषणा पर हस्ताक्षर किए थे। यह स्थायी शांति के लिए भारत और सोवियत संघ की प्रतिबद्धता की पुष्टि थी। यह घोषणापत्र नये समय के घोषणापत्रों में से एक बन गया।
प्रोफ़ेसर इगोर अबिल्गाज़िएव ने कहा कि उत्सव के दौरान सोवियत और भारतीय लोगों को एक-दूसरे को जानने का अवसर मिला, आबादी के विशाल जनसमूह के बीच बातचीत हुई।
"हमने आम लोगों के बीच बातचीत की आयोजन की और यही मुख्य उपलब्धि है।"
© Sputnik / Yuriy Kuydin / मीडियाबैंक पर जाएंСолистка индийского ансамбля Гирда Сорабджит и ткачиха из Алма-Аты Т. Иванова в Казахской ССР
Солистка индийского ансамбля Гирда Сорабджит и ткачиха из Алма-Аты Т. Иванова  в Казахской ССР - Sputnik भारत, 1920, 02.07.2023
Солистка индийского ансамбля Гирда Сорабджит и ткачиха из Алма-Аты Т. Иванова в Казахской ССР
समरकंद में SCO शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक के दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 2024 में भारत वर्ष को रूस में और रूस वर्ष को भारत में आयोजित करने का प्रस्ताव रखा।
प्रोफ़ेसर इगोर अबिल्गाज़ीएव ने इसे लेकर कहा कि अगर यह योजना व्यवहार में आएगी, तो हम एक बार फिर अपने लोगों की निकटता और पारस्परिक हित दिखाएंगे।

“भारत के साथ हमारे वर्तमान संबंध पारंपरिक रूप से अच्छे हैं और कुछ मायनों में अद्वितीय हैं, हमने अपने देशों के बीच अच्छे संबंध बनाए रखे हैं। रूसी और भारतीय लोग मानसिक रूप से बहुत करीब हैं। हमारे देश इस मित्रता को महत्व देते हैं और संचार की इस अनूठी शैली को बनाए रखते हैं। और यह कोई संयोग नहीं है कि व्लादिमीर पुतिन ने इस अनुभव को दोहराने का सुझाव दिया। इससे राजनीतिक स्थिति के बावजूद हमारे देशों के बीच दोस्ती और आपसी समझ को मजबूत करने में मदद मिलेगी। हम अभी भी ''हिन्दी-रूसी भाई-भाई'' सिद्धांत में विश्वास करते हैं।''

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