5 जुलाई से 23 अगस्त, 1943 तक चलती रही कुर्स्क की लड़ाई (कुर्स्क बुल्गे की लड़ाई) रूस की महान देशभक्तिपूर्ण युद्ध की प्रमुख लड़ाइयों में से एक है। सोवियत और रूसी इतिहास लेखन में लड़ाई को तीन भागों में विभाजित किया जाता है जिसमें पहला 5 से 23 जुलाई तक चला कुर्स्क रक्षात्मक अभियान, दूसरा 12 जुलाई से 18 अगस्त तक ओरेल और तीसरा 3 से 23 अगस्त तक चलने वाला बेलगोरोड-खार्कोव आक्रमण अभियान है।द्वितीय विश्व युद्ध की सबसे बड़ा टैंक लड़ाई कुर्स्क की लड़ाई के दौरान हुई।12 जुलाई को प्रोखोरोव्का (बेल्गोरोद से 56 किमी उत्तर) की लड़ाई में दोनों पक्षों की तरफ से 1200 टैंकों और स्व-चालित बंदूकों ने लड़ाई में हिस्सा लिया। टैंक दल और पैदल सेना के बीच शाम तक लड़ाई चली। एक दिन में दुश्मन ने लगभग 10 हज़ार लोगों और 360 से अधिक टैंकों को खो दिया जिसके बाद वह रक्षात्मक होने के लिए मजबूर हो गया।कुर्स्क की लड़ाई द्वितीय विश्व युद्ध की सबसे प्रभावशाली लड़ाइयों में से एक बन गई। इस लड़ाई में कुल 40 लाख से अधिक लोग, 69 हज़ार से अधिक बंदूकें और मोर्टार, 13 हज़ार से अधिक टैंक, स्व-चालित बंदूकें और 12 हज़ार विमान शामिल थे।यह कुर्स्क की लड़ाई के बाद ही था कि मोर्चे पर सेना का संतुलन लाल सेना के पक्ष में नाटकीय रूप से बदल गया, जिसके परिणामस्वरूप सोवियत संघ के सामान्य रणनीतिक आक्रमण शुरू करने के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ पैदा हुईं।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान लड़ी गई कुर्स्क की लड़ाई, 80 साल पहले कुर्स्क की लड़ाई, 5 जुलाई से 23 अगस्त 1943 तक कुर्स्क की लड़ाई, कुर्स्क की लड़ाई कब हुई, रेड आर्मी द्वारा कुर्स्क क्षेत्र में तीन रणनीतिक ऑपरेशन, जर्मन आक्रमण को विफल करके दुश्मन को हराना, ऑपरेशन कुर्स्क स्ट्रैटेजिक डिफेंसिव ऑपरेशन, ओरेल आक्रामक ऑपरेशन, बेलगोरोड-खार्कोव आक्रामक ऑपरेशन, जर्मन कमांड का 1943 की गर्मियों में कुर्स्क क्षेत्र पर हमला, सिटाडेल नाम का रणनीतिक आक्रामक अभियान, सोवियत सेना के सामने दुश्मन सेना, कुर्स्क की लड़ाई में इस्तेमाल किए गए हथियार, सोवियत सेना की खुफिया शाखा, वेहरमाच की कुर्स्क क्षेत्र पर एक बड़े हमले के लिए तैयारी, सुप्रीम हाई कमान (स्टावका) ने कुर्स्क क्षेत्र में रक्षात्मक लड़ाई करने का निर्णय, 231 व्यक्तियों को सोवियत संघ के हीरो का खिताब पूर्वी मोर्चे पर कुर्स्क की लड़ाई के बाद शक्ति का संतुलन बदला, कुर्स्क शहर में एक स्मारक परिसर "द बैटल ऑफ कुर्स्क", wwii battli of kursk, great patriotic war russia
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान लड़ी गई कुर्स्क की लड़ाई, 80 साल पहले कुर्स्क की लड़ाई, 5 जुलाई से 23 अगस्त 1943 तक कुर्स्क की लड़ाई, कुर्स्क की लड़ाई कब हुई, रेड आर्मी द्वारा कुर्स्क क्षेत्र में तीन रणनीतिक ऑपरेशन, जर्मन आक्रमण को विफल करके दुश्मन को हराना, ऑपरेशन कुर्स्क स्ट्रैटेजिक डिफेंसिव ऑपरेशन, ओरेल आक्रामक ऑपरेशन, बेलगोरोड-खार्कोव आक्रामक ऑपरेशन, जर्मन कमांड का 1943 की गर्मियों में कुर्स्क क्षेत्र पर हमला, सिटाडेल नाम का रणनीतिक आक्रामक अभियान, सोवियत सेना के सामने दुश्मन सेना, कुर्स्क की लड़ाई में इस्तेमाल किए गए हथियार, सोवियत सेना की खुफिया शाखा, वेहरमाच की कुर्स्क क्षेत्र पर एक बड़े हमले के लिए तैयारी, सुप्रीम हाई कमान (स्टावका) ने कुर्स्क क्षेत्र में रक्षात्मक लड़ाई करने का निर्णय, 231 व्यक्तियों को सोवियत संघ के हीरो का खिताब पूर्वी मोर्चे पर कुर्स्क की लड़ाई के बाद शक्ति का संतुलन बदला, कुर्स्क शहर में एक स्मारक परिसर "द बैटल ऑफ कुर्स्क", wwii battli of kursk, great patriotic war russia
23 अगस्त सन 1943 में कुर्स्क की लड़ाई में सोवियत सैनिकों द्वारा नाज़ी सैनिकों की हार हुई थी इसलिए हर साल 23 अगस्त को रूस में सैन्य गौरव का दिन मनाया जाता है।
5 जुलाई से 23 अगस्त, 1943 तक चलती रही कुर्स्क की लड़ाई (कुर्स्क बुल्गे की लड़ाई) रूस की महान देशभक्तिपूर्ण युद्ध की प्रमुख लड़ाइयों में से एक है।
सोवियत और रूसी इतिहास लेखन में लड़ाई को तीन भागों में विभाजित किया जाता है जिसमें पहला 5 से 23 जुलाई तक चला कुर्स्क रक्षात्मक अभियान, दूसरा 12 जुलाई से 18 अगस्त तक ओरेल और तीसरा 3 से 23 अगस्त तक चलने वाला बेलगोरोड-खार्कोव आक्रमण अभियान है।
द्वितीय विश्व युद्ध की सबसे बड़ा टैंक लड़ाई कुर्स्क की लड़ाई के दौरान हुई।12 जुलाई को प्रोखोरोव्का (बेल्गोरोद से 56 किमी उत्तर) की लड़ाई में दोनों पक्षों की तरफ से 1200 टैंकों और स्व-चालित बंदूकों ने लड़ाई में हिस्सा लिया। टैंक दल और पैदल सेना के बीच शाम तक लड़ाई चली। एक दिन में दुश्मन ने लगभग 10 हज़ार लोगों और 360 से अधिक टैंकों को खो दिया जिसके बाद वह रक्षात्मक होने के लिए मजबूर हो गया।
कुर्स्क की लड़ाई द्वितीय विश्व युद्ध की सबसे प्रभावशाली लड़ाइयों में से एक बन गई। इस लड़ाई में कुल 40 लाख से अधिक लोग, 69 हज़ार से अधिक बंदूकें और मोर्टार, 13 हज़ार से अधिक टैंक, स्व-चालित बंदूकें और 12 हज़ार विमान शामिल थे।
यह कुर्स्क की लड़ाई के बाद ही था कि मोर्चे पर सेना का संतुलन लाल सेना के पक्ष में नाटकीय रूप से बदल गया, जिसके परिणामस्वरूप सोवियत संघ के सामान्य रणनीतिक आक्रमण शुरू करने के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ पैदा हुईं।
कुर्स्क की लड़ाई, युद्ध के मैदान में नष्ट हुए जर्मन उपकरण
न्यूज़ फ़ीड
0
नियमों का उल्लंघन करने के कारण चैट तक पहुंच अवरुद्ध कर दी गई है।
आप फिर से भाग ले पाएंगे:∞.
यदि आप अवरोधन से सहमत नहीं हैं, तो कृपया फ़ीडबैक फ़ॉर्म का उपयोग करें
चर्चा बंद है। आप लेख के प्रकाशन से 24 घंटों के भीतर चर्चा में भाग ले सकते हैं।