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नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन
नई दिल्ली में 9-10 सितंबर तक होने वाला G-20 देशों के नेताओं का शिखर सम्मेलन भारत की G-20 अध्यक्षता को समाप्त करेगा। G-20 का मेजबान होने के नाते भारत को यूक्रेन संघर्ष के मुद्दे पर पश्चिमी दबाव का सामना करना पड़ा, लेकिन यह रूस के खिलाफ पश्चिम के प्रतिबंध युद्ध में शामिल होने से इनकार कर दिया है।

G-20 शिखर सम्मेलन के बीच रूस के विदेश मंत्री सर्गे लवरोव का भाषण

© Sputnik / Grigory Sysoev / मीडियाबैंक पर जाएंRussian Foreign Minister Sergey Lavrov at the closing press conference after the joint meeting of BRICS leaders with leaders of invited countries and multilateral organizations.
Russian Foreign Minister Sergey Lavrov at the closing press conference after the joint meeting of BRICS leaders with leaders of invited countries and multilateral organizations. - Sputnik भारत, 1920, 10.09.2023
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आज नई दिल्ली में G-20 शिखर सम्मेलन हो रहा है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन उपस्थित नहीं हैं। रूस का प्रतिनिधित्व रूस के विदेश मंत्री सर्गे लवरोव कर रहें हैं।
G-20 शिखर सम्मेलन अंतरराष्ट्रीय जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है, क्योंकि वहां एशिया और यूरोप के सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों के नेता इकट्ठे होते हैं। इस बार यह आयोजन भारत में हो रही है।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और G-20 समूह के अन्य नेताओं के साथ संयुक्त राष्ट्र, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) जैसे प्रमुख विश्व संगठनों के अध्यक्ष शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं।
आशा है कि वैश्विक नेताओं की बैठक के समापन पर एक संयुक्त विज्ञप्ति जारी की जाएगी। शुक्रवार को भारतीय G-20 शेरपा अमिताभ कांत ने कहा, यह संयुक्त विज्ञप्ति ग्लोबल साउथ की आवाज को भी प्रतिबिंबित करेगी।
आपको याद दिला दें कि मार्च 2023 में दिल्ली में हुई G-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक में संयुक्त विज्ञप्ति जारी करने की वर्षों से चली आ रही परंपरा को यूक्रेन के सवाल पर मतभेदों कें कारणवश संभव न हो पाई।
G-20 की स्थापना 2008 में हुई थी। इसमें यूरोपीय संघ और दुनिया की 19 सब से बड़ी अर्थव्यवस्थाएं सम्मिलित हैं। प्रारंभ में G-20 समूह आर्थिक विषयों पर ही केंद्रित हुआ करता था, पर बाद में इसकी कार्यसूची में विस्तार करते हुए इसमें अन्य बातों के साथ जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, पर्यावरण, भ्रष्टाचार-विरोध इत्यादि को सम्मिलित किया गया।
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