यूक्रेन संकट
मास्को ने डोनबास के लोगों को, खास तौर पर रूसी बोलनेवाली आबादी को, कीव के नित्य हमलों से बचाने के लिए फरवरी 2022 को विशेष सैन्य अभियान शुरू किया था।

वैश्विक संकट का खतरा बढ़ रहा है: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में लावरोव

© Sputnik / Russian Foreign Ministry / मीडियाबैंक पर जाएंRussian Foreign Minister Sergey Lavrov attends a meeting with Tajik Foreign Minister Sirojiddin Muhriddin in Dushanbe, Tajikistan
Russian Foreign Minister Sergey Lavrov attends a meeting with Tajik Foreign Minister Sirojiddin Muhriddin in Dushanbe, Tajikistan - Sputnik भारत, 1920, 21.09.2023
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बुधवार को रूस के विदेश मंत्री सर्गे लवरोव ने यूक्रेन पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक के दौरान कहा कि वैश्विक संघर्ष का संकट बढ़ रहा है।
"वैश्विक संघर्ष के संकट भी बढ़ रहा हैं," लावरोव ने कहा। ऐसे जोखिमों को समाप्त करने के लिए ही रूस इस बात पर बल देता है कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सभी प्रावधानों का सम्मान किया जाए और उन्हें चुनिंदा ढ़ंग से लागू न किया जाए, जिसमें राज्यों की संप्रभु समानता, उनके आंतरिक विषयों में गैर-हस्तक्षेप, अखंडता का सम्मान और लोगों के आत्म-अधिकार सम्मिलित है, विदेश मंत्री ने कहा।
The Director General of the International Atomic Energy Agency, IAEA, Rafael Mariano Grossi briefs the media during a news conference with German Foreign Minister Annalena Baerbock at the foreign ministry in Berlin, Germany - Sputnik भारत, 1920, 19.09.2023
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रूस यूक्रेन के साथ बातचीत नहीं छोड़ रहा है

रूस के विदेश मंत्री ने कहा कि रूस यूक्रेन के साथ बातचीत नहीं छोड़ रहा है। अमेरिका चाहे तो कीव को मॉस्को के साथ बातचीत पर रोक लगाने वाले आदेश को रद्द करने का आदेश दे सकता है।

"बातचीत को लेकर तो हम अब भी उन्हें नहीं छोड़ रहे हैं। राष्ट्रपति पुतिन हाल ही सहित कई बार इसके बारे में बात कर चुके हैं," लवरोव ने कहा।

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के उस बयान पर बोलते हुए, जिसमें उन्होंने दावा किया कि कीव ने शांति योजना का प्रस्ताव दिया था और मास्को द्वारा कुछ भी प्रस्तावित नहीं किया गया था, रूस के विदेश मंत्री ने इस बात पर बल दिया कि वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने बातचीत पर रोक लगाने वाले एक आदेश पर हस्ताक्षर किए थे।

"अगर अमेरिका उनमें इतनी दिलचस्पी रखता है, तो मुझे लगता है कि ज़ेलेंस्की के इस आदेश को समाप्त करना कठिन नहीं होगा," लवरोव ने कहा।

पश्चिम तर्कों के अभाव के कारण यूक्रेन पर ठोस बातचीत से बचता है

पश्चिमी देश यूक्रेन में संघर्ष के कारणों के बारे में ठोस बातचीत से बच रहे हैं क्योंकि उनके पास ईमानदार बातचीत के लिए कोई तर्क नहीं है, रूसी शीर्ष राजनयिक ने कहा।
"आज हमारे विरोधियों की बयानबाजी में हम मात्र नारे सुनते हैं: 'आक्रमण, आक्रामकता, कब्ज़ा'। समस्या के मूल कारणों के बारे में एक शब्द भी नहीं, इस बारे में कि कैसे वे कई वर्षों से एक स्पष्ट नाज़ी शासन का पोषण कर रहे हैं जो स्वतंत्र रूप से द्वितीय विश्व युद्ध के परिणाम और अपने ही लोगों के इतिहास को बदलता है। पश्चिम संयुक्त राष्ट्र चार्टर की सभी आवश्यकताओं के सम्मान और तथ्यों पर आधारित ठोस बातचीत से बच रहा है। स्पष्ट है, इसमें ईमानदार बातचीत के लिए कोई तर्क नहीं है," लवरोव ने कहा।
उसी समय, यूरोपीय संघ "नाज़ी" शासन को तुरंत सदस्यता देना चाहता है, जबकि सर्बिया और तुर्की को वर्षों तक प्रतीक्षा करना पड़ता है, विदेश मंत्री ने बताया।

पश्चिम ने मिन्स्क समझौतों के कार्यान्वयन को बाधित किया, यूक्रेन के पतन के लिए उत्तरदायी है

पश्चिमी देश, जिन्होंने यूक्रेन में निपटान पर मिन्स्क समझौते के कार्यान्वयन को बाधित किया है, यूक्रेन के पतन और वहां गृहयुद्ध भड़काने के लिए उत्तरदायी हैं, विदेश मंत्री ने कहा।
शीर्ष राजनयिक ने बल देकर कहा कि "यूक्रेन की अखंडता के ये 'चैंपियन' अब दिखावा करते हैं कि उन्हें मिन्स्क समझौतों का उद्देश्य स्मरण नहीं है, जिसमें मौलिक मानवाधिकारों के सम्मान की गारंटी से यूक्रेन के साथ डोनबास का पुनर्मिलन सम्मिलित था।"
लावरोव ने कहा कि अगर नाटो ने सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन (सीएसटीओ) के सहयोग के प्रस्तावों को निरस्त न किया होता, तो यूरोप में तात्कालिक संकट से बचा जा सकता होता।

प्रतिबंध लगाने से पहले, सुरक्षा परिषद को उनके मानवीय परिणामों का आकलन करना चाहिए

मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को प्रतिबंधों के मसौदा प्रस्तावों को प्रस्तुत करने से पूर्व प्रतिबंधों के मानवीय परिणामों का आकलन करना चाहिए।

"यह उचित होगा कि अब से लेकर सुरक्षा परिषद में किसी भी प्रतिबंध परियोजना के पहले संयुक्त राष्ट्र मानवीय एजेंसियों द्वारा उनके परिणामों के आकलन की जाए, न कि पश्चिमी सहयोगियों द्वारा किए गए निरर्थक वक्तव्य कि 'आम लोगों को नुकसान नहीं होगा," लवरोव ने कहा।

इसके अतिरिक्त , रूसी विदेश मंत्री ने कहा कि पश्चिम अपनी स्वार्थी भूराजनीतिक आवश्यकताओं के अनुसार संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों का शोषण कर रहा है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा को सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को लागू करने में विफलता पर चर्चा करनी चाहिए, न कि वीटो शक्ति के उपयोग पर

रूसी विदेश मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा को पश्चिमी देशों के दबाव में वीटो के प्रयोग पर विचार करने के बजाय पहले से अपनाए गए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को लागू न करने के कारणों पर विचार करना चाहिए।

"चूंकि महासभा में वीटो मामलों पर चर्चा की प्रक्रिया को स्वीकृति दे दी गई है, तो सुरक्षा परिषद के उन प्रस्तावों के बारे में भी क्यों न सोचा जाए जिन्हें अपनाया गया था, लेकिन चार्टर में अभी भी शामिल नहीं किया गया है। महासभा को इस स्थिति के कारणों पर विचार क्यों नहीं करना चाहिए," लावरोव ने कहा।

संयुक्त राष्ट्र महासभा का उच्च स्तरीय सप्ताह 19 से 26 सितंबर तक न्यूयॉर्क में हो रहा है। रूसी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्री सर्गेई लवरोव कर रहे हैं।
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