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जर्मनी रूसी तेल प्राप्त करने के लिए भारत के माध्यम से अपने प्रतिबंधों को कैसे टालता है?

© AP Photo / Hasan JamaliUS President Barack Obama insinuated that the United States was behind the sharp fall in oil prices, which was orchestrated to negatively affect Russia
US President Barack Obama insinuated that the United States was behind the sharp fall in oil prices, which was orchestrated to negatively affect Russia - Sputnik भारत, 1920, 22.09.2023
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इसके बावजूद कि यूक्रेन के विरुद्ध विशेष सैन्य अभियान के कारण अमेरिका सहित पश्चिमी देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं, कई यूरोपीय देश खुद इनका उल्लंघन करते हैं।
अगस्त में मास्को का तेल राजस्व 2022 के उच्चतम स्तर पर लौट आया। विश्लेषकों की उम्मीद है कि सितंबर में तेल राजस्व में 14 प्रतिशत की वृद्धि होगी। इस बीच यूरोप अपने ही प्रतिबंधों के लिए अधिक भुगतान कर रहा है और नई योजनाएं बना रहा है ताकि ऊर्जा संसाधनों के बिना न रहना पड़े।
यूक्रेन यूरोपीय संघ में प्रतिबंधित मालों के अंतहीन प्रवाह को रोकने की मांग कर रहा है, लेकिन यूरोपीय बस अपने कंधे उचकाते हैं।

तेल निर्यात को लेकर रूस ने किया जुगाड़

2022 में लगभग 40 मिलियन टन पेट्रोलियम उत्पादों को पश्चिमी से पूर्वी बाजारों में पुनर्निर्देशित किया गया था। 2022-2023 में रूस भारत का सबसे बड़ा तेल निर्यातक बन गया - भारत में तेल निर्यात 19 गुना बढ़कर 41 मिलियन टन हो गया। वहीं, चीन को रूसी तेल निर्यात 24 प्रतिशत बढ़कर 89 मिलियन टन तक पहुंच गया। इन देशों ने यूरोप में रूसी निर्यात का लगभग 80 प्रतिशत अपने में समाहित कर लिया।
ब्रिटिश एनर्जी इंस्टीट्यूट (EI) के अनुसार 2022 में यूरोपीय आयात में रूसी तेल की हिस्सेदारी घटकर 23.3 प्रतिशत (116.9 मिलियन टन) हो गई। EI ने गणना की कि मध्य पूर्व 43 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ वैश्विक तेल निर्यात में पहले नंबर पर है। इसके बाद 12 प्रतिशत के साथ रूस आता है।
लेकिन पिछले साल यह स्पष्ट हो गया था कि लगभग पूरा यूरोप ग्रे आयात योजनाओं के माध्यम से तेल मिश्रण खरीदता है, जिनमें रूसी कच्चे तेल का बड़ा हिस्सा है। अप्रैल में ही एक अमेरिकी समाचार पत्र ने बताया कि "अज्ञात गंतव्य" के रूप में चिह्नित जहाज यूरोपीय संघ के लिए सबसे लोकप्रिय वितरण विधियों में से एक हैं। तेल उत्पादक देश के नाम को छुपाने के तरीके भी सामने आए - रूसी कच्चे माल को टैंकर द्वारा बड़े जहाजों तक पहुंचाया जाता है, जहां उन्हें दूसरे देशों के तेल से मिलाया जाता है।

वैश्विक बाज़ारों में कच्चे तेल को ट्रैक करना मुश्किल है। इसे पारगमन देशों में अन्य शिपमेंट के साथ आसानी से मिलाया जा सकता है, जिसके परिणामस्वरूप और बड़ा शिपमेंट प्राप्त होता है। इस प्रक्रिया के दौरान तेल उत्पादक देश की कोई भी सूचना गायब हो जाती है।

 - Sputnik भारत, 1920, 22.09.2023

प्रतिबंधों की वजह से अधिक भुगतान

एक जर्मन पत्रिका ने यह बात सामने रखी कि यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के बावजूद जर्मनी वर्कअराउंड का उपयोग करके रूसी तेल उत्पादों का आयात करना जारी रखता है। 2023 की शुरुआत से जर्मनी में पेट्रोलियम उत्पादों के रूप में भारत के माध्यम से जो तेल पहुंचा, उसकी मात्रा कई गुना बढ़ गई है।

जर्मनी के केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार जनवरी-जुलाई 2022 में भारत से जर्मनी में पेट्रोलियम उत्पादों का आयात 2021 की तुलना में 12 गुना से अधिक बढ़ गया। जर्मनी मुख्य तौर पर गैस-तेल खरीदता है, जिसका उपयोग डीजल और हीटिंग तेल के उत्पादन के लिए किया जाता है। 2023 में बर्लिन ने इसपर 451 मिलियन यूरो खर्च किए।

अंत तक स्वयं को सही सिद्ध करना

उस जर्मन पत्रिका ने कहा कि जर्मनी सही मायनों में "अपनी ही घाटबंधी को तोड़ रहा है" और रूसी विरोधी प्रतिबंधों के कार्यान्वयन के संबंध में अपने यूरोपीय भागीदारों को गुमराह कर रहा है।
आप को बता दें कि यूरोपीय संघ के विदेश नीति विभाग के प्रमुख जोसेप बोरेल ने मई में ही स्वीकार किया था कि रूसी तेल अवैध तरीकों से लंबे समय से यूरोप में बह रहा है।
उन्होंने उस समय लिखा था, "हम रूसी तेल नहीं खरीदते हैं, बल्कि रूसी तेल को कहीं और परिष्कृत करने से प्राप्त डीजल ईंधन खरीदते हैं। यह हमें अपने प्रतिबंधों से बचने की अनुमति देता है।"
बर्लिन ने भारत से पेट्रोलियम उत्पादों के आयात में 12 गुना वृद्धि पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। इसके अलावा, जर्मन के आर्थिक मामलों के मंत्रालय को यह समझाना मुश्किल हो गया कि यह कैसे हुआ। मंत्रालय ने बताया, "हम इन आंकड़ों के बारे में जानते नहीं।" वहीं, उसने अपनी बात में जोड़ते कुए कहा, "यूरोप रूसी तेल का आयात नहीं करता है।"
गैस की स्थिति भी ऐसी ही है - जर्मन अधिकारियों ने बताया कि वे यह नहीं कह सकते कि यह रूस से जर्मनी आती है या नहीं। उन्होंने यह इस तथ्य से समझाया था कि सौदे निजी कंपनियों द्वारा संपन्न होते हैं, जर्मन सरकार द्वारा नहीं।

यूक्रेन का यूरोप पर दबाव डालने का प्रयास

कीव शासन यूरोप पर दबाव डालना जारी रखता है, इसलिए यूरोप को यह समझाने की आवश्यकता है कि रूसी तेल से पेट्रोलियम उत्पाद यूरोपीय बाजार में कैसे आए।
एक अमेरिकी मीडिया को एक साक्षात्कार में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की के आर्थिक सलाहकार ओलेग उस्तेंको ने यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और अमेरिका से "उन खामियों को बंद करने" का आह्वान किया जो भारत, चीन और तुर्की को कच्चे तेल को गैसोलीन, डीजल ईंधन और अन्य उत्पादों में परिष्कृत करने और फिर बिना किसी प्रतिबंध के इन्हें बेचने की अनुमति देते हैं।
फिर भी यूरोप में इस तरह के आह्वानों पर प्रतिक्रिया बेहद धीमी है। जैसा कि हाल ही में पता चला, न तो प्रतिबंध, न ही मूल्य सीमा वास्तव में काम करती है।

ब्रिटिश गैर-सरकारी संगठन ग्लोबल विटनेस ने कहा, "रूसी तेल का निर्यात अभी भी दुनिया भर में किया जा रहा है, यह पश्चिमी प्रतिबंधों की एक विशेषता है, गलती नहीं (...) वास्तव में, अधिकारियों ने उद्योग को अर्ध-कानूनी योजना की पेशकश की है, और कमोडिटी व्यापारी और बड़ी तेल कंपनियां हमेशा की तरह कारोबार जारी रखने के लिए इन खामियों का इस्तेमाल कर रही हैं।"

OPEC - Sputnik भारत, 1920, 18.09.2023
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