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राष्ट्रपति पुतिन ने परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि अनुसमर्थन को किया रद्द
राष्ट्रपति पुतिन ने परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि अनुसमर्थन को किया रद्द
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मास्को ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी) के अनुसमर्थन को वापस लेने का तात्पर्य यह नहीं है कि रूस को परमाणु परीक्षण करने की मंशा है।
2023-11-02T14:49+0530
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रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि के अनुसमर्थन को रद्द करने के लिए विधेयक पर हस्ताक्षर किए हैं। रूस के सरकारी कानूनी सूचना पोर्टल पर गुरुवार को जारी दस्तावेज से यह जानकारी सामने आई है।इसके अलावा, पुतिन ने वह कानून रद्द करने के विधेयक पर हस्ताक्षर किया, जिसके अंतर्गत रूस आपातकाल या मार्शल लॉ की शुरुआत के बारे में यूरोपीय परिषद के महासचिव को सूचित करने के लिए बाध्य था। यह पहल मार्च 2022 में यूरोप की परिषद से रूस के हटने से जुड़ी है।आपको याद दिला दें कि पुतिन ने 5 अक्टूबर को वल्दाई अंतरराष्ट्रीय चर्चा क्लब की एक बैठक में कहा था कि “रूस अमेरिका के प्रति ठीक उसी तरह से व्यवहार कर सकता है, जिसने सीटीबीटी की पुष्टि नहीं की है”। पुतिन ने दावा किया था कि रूस को संघि के अपने अनुसमर्थन वापस लेने का पूर्ण अधिकार है। वहीं, रूसी संसद के निचले सदन ड्यूमा के अध्यक्ष व्याचेस्लाव वोलोडिन ने कहा कि ड्यूमा अपनी अगली बैठक में सीटीबीटी के अनुसमर्थन को रद्द करने के विषय पर चर्चा करेगी। अधिकारी ने अपनी बात में जोड़ते हुए कहा कि तात्कालिक स्थिति में, जब वाशिंगटन और ब्रुसेल्स ने रूस के विरुद्ध "युद्ध छेड़ दिया है”, नए समाधान निकालने की आवश्यकता है।व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी) एक बहुपक्षीय संधि है जो परमाणु परीक्षण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाती है। यह संघि संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा 10 सितंबर 1996 को पारित हुई, लेकिन इसे लागू नहीं किया गया, क्योंकि आठ देशों ने अभी तक संधि का अनुमोदन नहीं किया है। इनमें चीन, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया, इज़राइल, ईरान, मिस्र और अमेरिका शामिल हैं।
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व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी), रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, रूस का सरकारी कानूनी सूचना पोर्टल, रूसी संसद के निचले सदन ड्यूमा के अध्यक्ष व्याचेस्लाव वोलोडिन, क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव, वाशिंगटन, वल्दाई अंतरराष्ट्रीय चर्चा क्लब, सीटीबीटी के अनुसमर्थन को वापस लेने का तात्पर्य, एक बहुपक्षीय संधि, संयुक्त राष्ट्र महासभा
व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी), रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, रूस का सरकारी कानूनी सूचना पोर्टल, रूसी संसद के निचले सदन ड्यूमा के अध्यक्ष व्याचेस्लाव वोलोडिन, क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव, वाशिंगटन, वल्दाई अंतरराष्ट्रीय चर्चा क्लब, सीटीबीटी के अनुसमर्थन को वापस लेने का तात्पर्य, एक बहुपक्षीय संधि, संयुक्त राष्ट्र महासभा
राष्ट्रपति पुतिन ने परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि अनुसमर्थन को किया रद्द
14:49 02.11.2023 (अपडेटेड: 17:31 02.11.2023) मास्को ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी) के अनुसमर्थन को वापस लेने का तात्पर्य यह नहीं है कि रूस को परमाणु परीक्षण करने की मंशा है।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि के अनुसमर्थन को रद्द करने के लिए विधेयक पर हस्ताक्षर किए हैं। रूस के सरकारी कानूनी सूचना पोर्टल पर गुरुवार को जारी दस्तावेज से यह जानकारी सामने आई है।
इसके अलावा, पुतिन ने वह कानून रद्द करने के विधेयक पर हस्ताक्षर किया, जिसके अंतर्गत रूस आपातकाल या मार्शल लॉ की शुरुआत के बारे में यूरोपीय परिषद के महासचिव को सूचित करने के लिए बाध्य था। यह पहल मार्च 2022 में यूरोप की परिषद से रूस के हटने से जुड़ी है।
आपको याद दिला दें कि पुतिन ने 5 अक्टूबर को
वल्दाई अंतरराष्ट्रीय चर्चा क्लब की एक बैठक में कहा था कि “रूस अमेरिका के प्रति ठीक उसी तरह से व्यवहार कर सकता है, जिसने सीटीबीटी की पुष्टि नहीं की है”। पुतिन ने दावा किया था कि रूस को संघि के अपने अनुसमर्थन वापस लेने का पूर्ण अधिकार है।
वहीं, रूसी संसद के निचले सदन ड्यूमा के अध्यक्ष व्याचेस्लाव वोलोडिन ने कहा कि ड्यूमा अपनी अगली बैठक में सीटीबीटी के अनुसमर्थन को रद्द करने के विषय पर चर्चा करेगी। अधिकारी ने अपनी बात में जोड़ते हुए कहा कि तात्कालिक स्थिति में, जब वाशिंगटन और ब्रुसेल्स ने रूस के विरुद्ध "युद्ध छेड़ दिया है”, नए समाधान निकालने की आवश्यकता है।
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने बाद में इस बात पर बल देकर कहा कि सीटीबीटी के अनुसमर्थन को वापस लेने का तात्पर्य यह नहीं है कि रूस को परमाणु परीक्षण करने की मंशा है।
व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी) एक बहुपक्षीय संधि है जो परमाणु परीक्षण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाती है। यह संघि संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा 10 सितंबर 1996 को पारित हुई, लेकिन इसे लागू नहीं किया गया, क्योंकि आठ देशों ने अभी तक संधि का अनुमोदन नहीं किया है। इनमें चीन, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया, इज़राइल, ईरान, मिस्र और अमेरिका शामिल हैं।