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क्या पाकिस्तान सामूहिक रूप से अफगानों को स्वदेश वापसी की सज़ा दे रहा है?
क्या पाकिस्तान सामूहिक रूप से अफगानों को स्वदेश वापसी की सज़ा दे रहा है?
Sputnik भारत
पहली नवंबर को अवैध नागरिकों के लिए देश छोड़ने की समय सीमा समाप्त होने के बाद पाकिस्तान ने गैर दस्तावेजी विदेशियों, विशेषतः अवैध अफगान शरणार्थियों को हिरासत में लेना शुरू कर दिया है।
2023-11-17T15:08+0530
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पाकिस्तानी सरकार की मांग है कि आतंकवाद से संबंधित घटनाओं के कारण अवैध प्रवासी देश छोड़ दें। हजारों अफगान नागरिकों को अपने वतन लौटने के लिए विवश होना पड़ रहा है, जिस पर अब तालिबान* सरकार राज करती है।अफगान शरणार्थी पाकिस्तान में शांति से रहने के लिए अपना देश छोड़कर भाग गए थे। वापस लौटने पर शरणार्थियों को अपना जीवन नए सिरे से शुरू करना होगा।युद्धों की उथल-पुथल और 1996 में तालिबान के सत्ता में आने के कारण बड़ी संख्या में अफगान पाकिस्तान में आए हैं। अगस्त 2021 में ही लगभग 600 हज़ार अफगानी लोग पाकिस्तान भाग गये।अफ़गानों के बड़े स्तर पर पलायन के बीच पाकिस्तान के सिंध प्रांत के गृह विभाग ने अपनी रिपोर्ट में अवैध प्रवासियों को देश की सुरक्षा के लिए संकट बताया और चेतावनी दी कि अगर उन्हें वापस नहीं भेजा गया तो प्रांत की जनसांख्यिकी 2040 तक पूरी तरह से परिवर्तित हो जाएगी।Sputnik India ने अवैध अफगानों के विरुद्ध पाकिस्तान के उपायों की प्रकृति का पता लगाने के लिए एक विशेषज्ञ से बात की।भारत के थिंक टैंक ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के वरिष्ठ फेलो सुशांत सरीन का मानना है कि पाकिस्तान तालिबान पर दबाव डालने के लिए अफगान शरणार्थियों को मोहरे के रूप में प्रयोग कर रहा है।भूराजनीतिक विशेषज्ञ ने बताया कि पाकिस्तान तालिबान को एक बहुत मजबूत संकेत भेजना चाहता था कि अगर तालिबान ने पाकिस्तान द्वारा उनसे मांगी गई हर बात नहीं मानी तो इसके गंभीर परिणाम होंगे।विशेषज्ञ का मानना है कि इस्लामाबाद इस बात से इनकार करता है कि शरणार्थियों की स्वदेश वापसी का उद्देश्य दंडित करना और संदेश देना है। "अब वे इससे इनकार करते हैं क्योंकि उन्होंने यह रुख अपना रखा है कि वे अवैध रूप से पाकिस्तान में रह रहे शरणार्थियों को बाहर कर रहे हैं, जिनके पास कोई दस्तावेज़ नहीं है।"विशेषज्ञ ने इस बात पर बल दिया कि उन्होंने कई शरणार्थियों को निष्कासित करने का अपना इरादा घोषित किया है जो पहले दिसंबर के अंत तक पाकिस्तान में पंजीकृत थे।विशेषज्ञ का मानना है कि अवैध अफ़ग़ान इसलिए शरणार्थी बन गए हैं क्योंकि "पाकिस्तान द्वारा अफ़ग़ानिस्तान पर थोपे गए युद्ध और इन युद्धों से पाकिस्तान की सहायता, प्रोत्साहन और मुनाफाखोरी ने इन शरणार्थियों को उत्पन्न किया है"।भूराजनीतिक विशेषज्ञ ने कहा, "अब वे अपनी सुरक्षा और रणनीतिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए यह सजा भुगत रहे हैं।"पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को बताया, ''आज तक कुल 228,574 अवैध अफगान नागरिकों को वापस भेजा गया है।''* तालिबान आतंकवाद के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के अधीन है।
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क्या पाकिस्तान सामूहिक रूप से अफगानों को स्वदेश वापसी की सज़ा दे रहा है?
पहली नवंबर को अवैध निवासियों के लिए देश छोड़ने की समय सीमा समाप्त होने के बाद पाकिस्तान ने बिना दस्तावेज वाले विदेशियों, विशेषतः अवैध अफगान शरणार्थियों को हिरासत में लेना शुरू कर दिया है।
पाकिस्तानी सरकार की मांग है कि आतंकवाद से संबंधित घटनाओं के कारण अवैध प्रवासी देश छोड़ दें। हजारों अफगान नागरिकों को अपने वतन लौटने के लिए विवश होना पड़ रहा है, जिस पर अब तालिबान* सरकार राज करती है।
अफगान शरणार्थी पाकिस्तान में शांति से रहने के लिए अपना देश छोड़कर भाग गए थे। वापस लौटने पर शरणार्थियों को अपना जीवन नए सिरे से शुरू करना होगा।
युद्धों की उथल-पुथल और 1996 में
तालिबान के सत्ता में आने के कारण बड़ी संख्या में अफगान पाकिस्तान में आए हैं। अगस्त 2021 में ही लगभग 600 हज़ार अफगानी लोग पाकिस्तान भाग गये।
अफ़गानों के बड़े स्तर पर पलायन के बीच पाकिस्तान के सिंध प्रांत के गृह विभाग ने अपनी रिपोर्ट में अवैध प्रवासियों को देश की सुरक्षा के लिए संकट बताया और चेतावनी दी कि अगर उन्हें वापस नहीं भेजा गया तो प्रांत की जनसांख्यिकी 2040 तक पूरी तरह से परिवर्तित हो जाएगी।
Sputnik India ने अवैध अफगानों के विरुद्ध पाकिस्तान के उपायों की प्रकृति का पता लगाने के लिए एक विशेषज्ञ से बात की।
भारत के थिंक टैंक
ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के वरिष्ठ फेलो
सुशांत सरीन का मानना है कि पाकिस्तान तालिबान पर दबाव डालने के लिए अफगान शरणार्थियों को मोहरे के रूप में प्रयोग कर रहा है।
भूराजनीतिक विशेषज्ञ ने बताया कि पाकिस्तान तालिबान को एक बहुत मजबूत संकेत भेजना चाहता था कि अगर तालिबान ने पाकिस्तान द्वारा उनसे मांगी गई हर बात नहीं मानी तो इसके गंभीर परिणाम होंगे।
विशेषज्ञ ने कहा, “यह अचानक सामने आया। यह पाकिस्तान के खिलाफ कुछ बड़े हमलों के बाद आया, जिसके लिए उन्हें तालिबान से ज्यादा संतुष्टि नहीं मिली।”
विशेषज्ञ का मानना है कि इस्लामाबाद इस बात से इनकार करता है कि शरणार्थियों की स्वदेश वापसी का उद्देश्य
दंडित करना और संदेश देना है। "अब वे इससे इनकार करते हैं क्योंकि उन्होंने यह रुख अपना रखा है कि वे अवैध रूप से पाकिस्तान में रह रहे शरणार्थियों को बाहर कर रहे हैं, जिनके पास कोई दस्तावेज़ नहीं है।"
विशेषज्ञ ने इस बात पर बल दिया कि उन्होंने कई शरणार्थियों को निष्कासित करने का अपना इरादा घोषित किया है जो पहले दिसंबर के अंत तक पाकिस्तान में पंजीकृत थे।
उन्होंने कहा, "इसलिए न केवल अवैध या गैर-दस्तावेजी शरणार्थियों को बाहर निकाला जाएगा या निष्कासित किया जाएगा, बल्कि जो व्यक्ति पंजीकृत हैं उन पर भी इसी तरह के उपाय किए जाएंगे।"
विशेषज्ञ का मानना है कि अवैध अफ़ग़ान इसलिए शरणार्थी बन गए हैं क्योंकि "पाकिस्तान द्वारा अफ़ग़ानिस्तान पर थोपे गए युद्ध और इन युद्धों से पाकिस्तान की सहायता, प्रोत्साहन और मुनाफाखोरी ने इन शरणार्थियों को उत्पन्न किया है"।
उन्होंने समझाया कि शरणार्थियों को पाकिस्तान में ले जाना परोपकार का कार्य नहीं था। "यह अच्छी तरह से सोचा-समझा कदम था। क्योंकि वे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इससे पैसा कमा रहे थे।"
भूराजनीतिक विशेषज्ञ ने कहा, "अब वे अपनी सुरक्षा और रणनीतिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए यह सजा भुगत रहे हैं।"
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को बताया, ''आज तक कुल 228,574 अवैध अफगान नागरिकों को वापस भेजा गया है।''
* तालिबान आतंकवाद के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के अधीन है।