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दिल्ली स्थित अफगानिस्तान दूतावास आर्थिक मदद न मिलने के कारण हुआ बंद: विशेषज्ञ
दिल्ली स्थित अफगानिस्तान दूतावास आर्थिक मदद न मिलने के कारण हुआ बंद: विशेषज्ञ
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अफगानिस्तान दूतावास ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक कदम के तहत नई दिल्ली स्थित अपने राजनयिक मिशन को स्थायी रूप से बंद करने की घोषणा की।
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दूतावास ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर बताया कि दूतावास 23 नवंबर, 2023 से बंद माना जाएगा, हालांकि 30 सितंबर से दूतावास में सभी तरह का परिचालन भी बंद है। बयान के अंत में पिछले 22 वर्षों में समर्थन के लिए भारत के लोगों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए बयान का समापन किया गया। राजधानी दिल्ली स्थित अफ़गान दूतावास के बंद होने के बाद Sputnik भारत ने पूर्व एंबेस्डर और न्यूयॉर्क में भारत के स्थायी मिशन में अपनी सेवाएं दे चुके सुरेश के गोयल से बात कि जिन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि दूतावास देर सवेर बंद होना ही था। अब इसके बंद होने के साथ तालिबान* से पहले वाली सरकार के साथ भारत का अंतिम संबंध भी समाप्त हो गया है। अफ़गान दूतावास के बंद होने के कारणों पर दृष्टि डालते हुए सुरेश के गोयल आगे बताते हैं कि काबुल की सरकार दूतावस को मान्यता नहीं देती है। दूतावास में काम कर रहे सभी कर्मी तालिबान के अफगानिस्तान में दोबारा काबिज होने से पहले के हैं, इसलिए काबुल से उन्हें कोई सहायता नहीं मिल रही होगी जिससे कठिनाइयाँ बढ़ने के कारण उन्हें दूतावास कोई बंद करने के निर्णय लेना पड़ा ।दूतावास के बंद होने के बाद भारत और अफगानिस्तान के मध्य संबंधों पर प्रकाश डालते हुए एंबेसडर गोयल ने Sputnik भारत को कहा कि दोनों देशों के मध्य औपचारिक संबंध नहीं है, लेकिन भारत से अफगानिस्तान भेजी जा रही सहायता अन्य एजेंसियों के द्वारा लगातार भेजी जाएगी। दूतावास के बंद होने से उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।दूतावास के द्वारा जारी किए गए बयान में कहा गया कि उन्हें भारत से सहायता की प्रतीक्षा थी परंतु सहायता प्राप्त न होने के कारण उन्हें दूतावास बंद करने का निर्णय लेना पड़ा, इस पर एंबेस्डर ने अंत में कहा कि भारत सरकार सीधे तौर पर किसी भी दूतावास की सहायता नहीं कर सकती।*संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के तहत
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afghanistan embassy in delhi closed, embassy closed due to lack of financial help, diplomatic mission of afghanistan closed, former ambassador suresh k goyal, suresh k goyal in india's permanent mission in new york, दिल्ली स्थित अफगानिस्तान दूतावास बंद, आर्थिक मदद न मिलने के कारण दूतावास बंद, अफगानिस्तान का राजनयिक मिशन बंद, पूर्व एंबेस्डर सुरेश के गोयल, न्यूयॉर्क में भारत के स्थायी मिशन में सुरेश के गोयल
afghanistan embassy in delhi closed, embassy closed due to lack of financial help, diplomatic mission of afghanistan closed, former ambassador suresh k goyal, suresh k goyal in india's permanent mission in new york, दिल्ली स्थित अफगानिस्तान दूतावास बंद, आर्थिक मदद न मिलने के कारण दूतावास बंद, अफगानिस्तान का राजनयिक मिशन बंद, पूर्व एंबेस्डर सुरेश के गोयल, न्यूयॉर्क में भारत के स्थायी मिशन में सुरेश के गोयल
दिल्ली स्थित अफगानिस्तान दूतावास आर्थिक मदद न मिलने के कारण हुआ बंद: विशेषज्ञ
14:48 24.11.2023 (अपडेटेड: 16:27 24.11.2023) अफगानिस्तान दूतावास ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक कदम के तहत नई दिल्ली स्थित अपने राजनयिक मिशन को स्थायी रूप से बंद करने की घोषणा की।
दूतावास ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर बताया कि दूतावास 23 नवंबर, 2023 से बंद माना जाएगा, हालांकि 30 सितंबर से दूतावास में सभी तरह का परिचालन भी बंद है।
"अफगान गणराज्य के राजनयिकों ने मिशन को पूरी तरह से भारत सरकार को सौंप दिया है। मिशन के भाग्य का निर्णय करने का उत्तरदायित्व अब भारत सरकार पर है, जिसमें तालिबान राजनयिकों को सम्मिलित करने की संभावना भी निहित है," बयान में कहा गया।
बयान के अंत में पिछले 22 वर्षों में समर्थन के लिए भारत के लोगों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए बयान का समापन किया गया।
राजधानी दिल्ली स्थित
अफ़गान दूतावास के बंद होने के बाद
Sputnik भारत ने पूर्व एंबेस्डर और न्यूयॉर्क में भारत के स्थायी मिशन में अपनी सेवाएं दे चुके सुरेश के गोयल से बात कि जिन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि दूतावास देर सवेर बंद होना ही था। अब इसके बंद होने के साथ तालिबान* से पहले वाली सरकार के साथ
भारत का अंतिम संबंध भी समाप्त हो गया है।
"अफ़गान दूतावास के बंद होने से तालिबान से पहली वाली सरकार से भारत का अंतिम संबंध भी समाप्त हो गया। दूतावस के बंद होने के बाद देखना होगा कि आगे अफगानिस्तान में कैसे परिवर्तन आते हैं, फिर देखा जाएगा। अभी तालिबान सरकार और भारत के मध्य किसी प्रकार के राजनयिक संबंध नहीं है, और बिना संबंधों के दूतावास नहीं खोला जा सकता है," पूर्व राजनयिक सुरेश के गोयल ने कहा।
अफ़गान दूतावास के बंद होने के कारणों पर दृष्टि डालते हुए सुरेश के गोयल आगे बताते हैं कि
काबुल की सरकार दूतावस को मान्यता नहीं देती है। दूतावास में काम कर रहे सभी कर्मी तालिबान के अफगानिस्तान में दोबारा काबिज होने से पहले के हैं, इसलिए काबुल से उन्हें कोई सहायता नहीं मिल रही होगी जिससे कठिनाइयाँ बढ़ने के कारण उन्हें दूतावास कोई बंद करने के निर्णय लेना पड़ा ।
"तालिबान के अफगानिस्तान में वापस आने से पहले के सभी कर्मी इस दूतावास में काम कर रहे थे। एंबेसडर और दूतावास के सभी कर्मियों का जुड़ाव पिछली अफ़गान सरकार के साथ था। इस दूतावास को काम करने के लिए काबुल से आर्थिक सहायता नहीं मिल रही थी। इसलिए बिना किसी सहायता के दूतावास चलाना बहुत जटिल हो गया होगा," पूर्व राजनयिक ने बताया।
दूतावास के बंद होने के बाद
भारत और अफगानिस्तान के मध्य संबंधों पर प्रकाश डालते हुए एंबेसडर गोयल ने Sputnik भारत को कहा कि दोनों देशों के मध्य औपचारिक संबंध नहीं है, लेकिन भारत से अफगानिस्तान भेजी जा रही सहायता अन्य एजेंसियों के द्वारा लगातार भेजी जाएगी। दूतावास के बंद होने से उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
"अफगानिस्तान को सहायता भारत की विभिन्न एजेंसियों के जरिए भेजी जा रही है, वे सभी अफगानिस्तान के साथ डायरेक्ट कांटेक्ट में है इसलिए वहां भेजे जाने वाली सहायता में कोई कमी नहीं आएगी। इसके अतिरिक्त भारत सरकार किसी भी दूतावास को सीधे स्तर पर सहायता नहीं कर सकती है, और संबंधों की बात करे तो अफगानिस्तान के साथ कि भारत के साथ औपचारिक संबंध नहीं है," राजनयिक गोयल ने बताया।
दूतावास के द्वारा जारी किए गए बयान में कहा गया कि उन्हें भारत से सहायता की प्रतीक्षा थी परंतु सहायता प्राप्त न होने के कारण उन्हें
दूतावास बंद करने का निर्णय लेना पड़ा, इस पर एंबेस्डर ने अंत में कहा कि भारत सरकार सीधे तौर पर किसी भी दूतावास की सहायता नहीं कर सकती।
*संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के तहत