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बेंगलुरु में डॉक्टरों ने यमनी व्यक्ति के सिर में 18 साल से फंसी गोली निकाली
बेंगलुरु में डॉक्टरों ने यमनी व्यक्ति के सिर में 18 साल से फंसी गोली निकाली
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भारतीय डॉक्टर अपने कौशल के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। ऐसे ही कुछ डॉक्टरों की एक टीम ने 29 वर्षीय एक यमनी व्यक्ति के सर में से लगभग 18 वर्षों से फंसी गोली बाहर निकाल दी।
2023-12-12T17:47+0530
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भारत में कर्नाटक राज्य की राजधानी बेंगलुरु के एक निजी अस्पताल में यह ऑपरेशन किया गया। यह एक आश्चर्यजनक बात है कि वह शख्स 3 सेंटीमीटर लंबी गोली के इतने सालों तक जिंदा कैसा रहा?यमन से आने वाला व्यक्ति दो बच्चों का पिता है और सुनने में सक्षम नहीं है। गोली यमनी व्यक्ति की बायीं कनपटी की हड्डी के अंदर धंसी हुई थी और वह नियमित रूप से पुराने सिरदर्द और लगातार कान बहने की समस्या से पीड़ित था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उसने बताया कि जब वह 10 साल का था तब उसे दो युद्धरत समूहों के बीच झड़प के दौरान गोली लगी। जिससे वह घायल हो गया था। डॉक्टरों ने घाव को साफ करके उसका उपचार कर दिया, लेकिन उन्होंने गोली नहीं निकाली। गोली के सर में रहने के कारण उसे बार-बार सिरदर्द की शिकायत रहने लगी थी, वह शख्स यमन के एक गांव में पला-बढ़ा है। बेंगलुरु आने के बाद उसने एस्टर अस्पताल में अपना इलाज कराया। हालांकि, अस्पताल के डॉक्टरों ने सर्जरी को कठिन पाया। इस प्रक्रिया से उसका दर्द कम हो गया है और उसकी सुनने की क्षमता भी आंशिक रूप से बहाल हो गई है।
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बेंगलुरु में डॉक्टरों ने यमनी व्यक्ति के सिर में 18 साल से फंसी गोली निकाली
17:47 12.12.2023 (अपडेटेड: 19:03 12.12.2023) भारतीय डॉक्टर अपने कौशल के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। ऐसे ही कुछ डॉक्टरों ने एक 29 वर्षीय यमनी व्यक्ति के सर में से लगभग 18 वर्षों से फंसी गोली बाहर निकाल दी।
भारत में कर्नाटक राज्य की राजधानी बेंगलुरु के एक निजी अस्पताल में यह ऑपरेशन किया गया। यह एक आश्चर्यजनक बात है कि वह शख्स 3 सेंटीमीटर लंबी गोली के इतने सालों तक जिंदा कैसा रहा?
यमन से आने वाला व्यक्ति दो बच्चों का पिता है और सुनने में सक्षम नहीं है। गोली
यमनी व्यक्ति की बायीं कनपटी की हड्डी के अंदर धंसी हुई थी और वह नियमित रूप से पुराने सिरदर्द और लगातार कान बहने की समस्या से पीड़ित था।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उसने बताया कि जब वह 10 साल का था तब उसे दो युद्धरत समूहों के बीच झड़प के दौरान गोली लगी। जिससे वह घायल हो गया था। डॉक्टरों ने घाव को साफ करके उसका उपचार कर दिया, लेकिन उन्होंने गोली नहीं निकाली।
गोली के सर में रहने के कारण उसे बार-बार सिरदर्द की शिकायत रहने लगी थी, वह शख्स यमन के एक गांव में पला-बढ़ा है। बेंगलुरु आने के बाद उसने एस्टर अस्पताल में अपना इलाज कराया। हालांकि,
अस्पताल के डॉक्टरों ने सर्जरी को कठिन पाया।
“गोली उसके कान के अंदर, बाईं ओर की टेम्पोरल हड्डी के अंदर और महत्वपूर्ण संवहनी संरचनाओं के बहुत करीब लगी थी, जिससे सर्जरी चुनौतीपूर्ण हो गई थी। महत्वपूर्ण संवहनी संरचनाओं के लिए सर्जिकल साइट की निकटता के कारण, जब गोली निकाली गई तो मरीज को बड़े रक्तस्राव का खतरा था,” रिपोर्ट में सर्जरी के प्रमुख सलाहकार डॉ. रोहित उदय प्रसाद के हवाले से कहा गया।
इस प्रक्रिया से उसका दर्द कम हो गया है और उसकी सुनने की क्षमता भी आंशिक रूप से बहाल हो गई है।