Sputnik मान्यता
भारतीय और विदेशी विशेषज्ञों द्वारा प्रदान किया गया क्षेत्रीय और वैश्विक घटनाओं का गहन विश्लेषण पढ़ें - राजनीति और अर्थशास्त्र से लेकर विज्ञान-तकनीक और स्वास्थ्य तक।

जानें नेपाल सरकार को शाही महल नरसंहार की नई जांच की जरूरत क्यों है?

© AFP 2023 JEWEL SAMADNepalese security personnel, reflected on the photograph, look at a photograph of the Nepalese Royal family members who died in the palace massacre on June 01, on the street in front of the Royal Palace in Kathmandu, 09 June 2001.
Nepalese security personnel, reflected on the photograph, look at a photograph of the Nepalese Royal family members who died in the palace massacre on June 01, on the street in front of the Royal Palace in Kathmandu, 09 June 2001. - Sputnik भारत, 1920, 01.02.2024
सब्सक्राइब करें
नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल और मुख्य विपक्षी दल सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली ने 2001 शाही महल नरसंहार की जांच के मामले पर अपनी चिंता व्यक्त की है, जिसके परिणामस्वरूप राजा बीरेंद्र के पूरे परिवार की मौत हो गई थी।
ओली और दहल दोनों ने कहा कि वे शाही महल नरसंहार की दोबारा जांच के लिए पहल करेंगे। उन्होंने कहा कि पूर्व राजा ज्ञानेंद्र ने नरसंहार से संबंधित राजनीतिक आरोप लगाकर भ्रम फैलाया था।
दरअसल रविवार को मीडिया से बातचीत में यूएमएल के चेयरमैन ओली ने तत्कालीन जांच समिति पर सवाल उठाते हुए कहा कि शाही महल नरसंहार के पीछे एक भयानक साजिश थी।
यह कहते हुए कि राजा के पूरे परिवार का नरसंहार आधुनिक समय की एक भयानक साजिश से जुड़ा था, ओली ने दावा किया कि शाही महल नरसंहार की साजिश अच्छी तरह से तैयार की गई थी।
दरअसल हाल ही में पूर्व राजा ज्ञानेंद्र ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि यह राजनीतिक साजिश है।

पूर्व राजा ज्ञानेंद्र ने बीरगंज में एक कार्यक्रम में कहा, “हमारे बीच प्रत्यक्ष गवाह हैं और फिर भी हममें से कई लोग झूठ और साजिश के पीछे भाग रहे हैं। यह अन्यायपूर्ण और दुर्भाग्यपूर्ण है कि शाही महल नरसंहार के बारे में गलत सूचना फैलाकर मुझे और मेरे परिवार के सदस्यों को बदनाम किया जा रहा है और उन पर हमला किया जा रहा है।"

पूर्व राजा ज्ञानेंद्र के बीरगंज पहुंचने के बाद शीर्ष नेता ओली और दहल ने शाही महल नरसंहार को लेकर आक्रामक टिप्पणी की है और कहा है कि शाही महल नरसंहार के बाद एक राजनीतिक साजिश रची गई और नेपालियों के मन में नकारात्मक भावनाएं फैलाई गईं।
प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ने बारा के सिमारा में मीडिया से बात करते हुए कहा कि शाही महल हत्याकांड की जांच करायी जायेगी।
सरकार को नई जांच की जरूरत क्यों है और क्या वाकई नेपाल में राजशाही की वापसी संभव है जैसे सवालों पर Sputnik India ने मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान में रिसर्च फेलो और नेपाल के राजनीतिक मामलों पर नज़र रखने वाले डॉ. निहार आर नायक से बात की।

नायक ने Sputnik India को बताया, "शाही महल नरसंहार की साजिश की जांच की बात एक बार फिर से इसलिए की जा रही है ताकि जाँच नतीजे में कुछ ऐसा सामने आए जिसमें मुख्य दोषी का नाम सामने आए और उसे सज़ा का भागीदार बनाया जा सके। क्योंकि 2001 में जब यह नरसंहार हुआ और जाँच हुई तब देश में राजशाही थी। लोगों के मन में कई सवाल थे। हालांकि अब लोकतंत्र है, देश में संवैधानिक प्रक्रिया भी बदल गयी है और हो सकता है कि जांच में नए तथ्य निकलकर सामने आए।"

साथ ही नायक ने टिप्पणी की कि "नेपाल में राजशाही का आधिकारिक अंत कर ज्ञानेंद्र को अपदस्थ करते हुए देश को गणतंत्र घोषित कर दिया गया है। चाहे बीच-बीच में राजशाही के दोबारा लौटने की अटकलें लगती रहीं लेकिन मुख्यधारा की पार्टियों ने ऐसा होने नहीं दिया। पूर्व राजा ज्ञानेंद्र की राजनीतिक गतिविधियां भी बढ़ी हैं।"
इस बीच ओली उन लोगों को चुनौती दे रहे हैं जो राजा की वापसी चाहते हैं और कहते हैं कि शाही महल नरसंहार के बारे में एक नई कहानी बनाई गई है।
ओली ने कहा, “जब से काठमांडू में शाही महल में नरसंहार हुआ, पूरी दुनिया में यह भ्रम फैल गया कि बीरेंद्र ने प्रेम प्रसंग के कारण अपने परिवार की हत्या कर दी है। वह एक भयानक हत्या की साजिश थी। उस साजिश से तत्कालीन राजा, रानी, युवराज, राजकुमार और राजकुमारी सहित बीरेंद्र के परिवार की भी हत्या कर दी गई और पूरा परिवार नष्ट हो गया। राजा बीरेंद्र और रानी ऐश्वर्या और उनके सभी बच्चों के मारे जाने के बाद, राजशाही समाप्त हो गई।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (RPP) अध्यक्ष लिंगडेन ने फरवरी के मध्य में पार्टी की बैठक में निर्णायक विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय लिया। इसी आधार पर कुछ आरपीपी नेता देश में राजशाही के पुनरुद्धार का दावा करते रहे हैं। इसी तरह, पूर्व राजा ज्ञानेंद्र के साथ विवादास्पद चिकित्सा उद्यमी दुर्गा प्रसैन की मुलाकात के बाद, प्रसैन ने कहा कि वे राजशाही की वापसी के लिए एक निर्णायक आंदोलन शुरू करेंगे, ओली-दहल ने सार्वजनिक रूप से प्रसैन की टिप्पणियों को चुनौती देना शुरू कर दिया।

नायक ने Sputnik India को बताया, "राजशाही के लिए जनता का समर्थन अभी उतना नहीं है। हो सकता है कि आगे चलकर उनको अच्छा समर्थन मिल जाये। क्योंकि राजशाही का जो राजनीतिक दल समर्थन करते हैं उनमें आपस में भी बहुत मतांतर है। क्योंकि उन राजनीतिक दलों के नेताओं में भी बहुत साफ़ नहीं है कि राजशाही आने पर नेपाल की राजनीति में राजा की भूमिका क्या होगी वे भी निर्णय नहीं कर पा रहे हैं। अभी राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के प्रमुख लिंगडेन ने नेपाली मीडिया को एक इंटरव्यू में कहा था कि राजशाही वापस आए और अगला जो उत्तराधिकारी होगा वह संसद द्वारा नामित हो। तो यह काफी जटिल स्थिति है इतना आसान नहीं है।"

साथ ही विशेषज्ञ ने रेखांकित किया कि "नेपाल के संविधान में लोकतांत्रिक प्रक्रिया चल रही है जिसमें बहु दलीय लोकतंत्र है, संवैधानिक संसदीय लोकतंत्र चल रहा है। ऐसे में संविधान में किसी तरह के बदलाव के लिए दो तिहाई बहुमत चाहिए। और वर्तमान राजनीतिक हालात में किसी भी दल के पास दो तिहाई बहुमत नहीं है। तो ऐसे में नया पॉलिटिकल सिस्टम कैसे अस्तित्व में आएगा। ऐसे में राजनीतिक, संवैधानिक और तकनीकी तौर पर राजशाही की वापसी आसान नहीं है। हालांकि भविष्य में क्या होगा वह तो अभी पता नहीं लेकिन वर्तमान समय में तो मुश्किल लगता है।"
A man runs with an umbrella in the monsoon rain in Kathmandu, Nepal, Monday, June 26, 2023. - Sputnik भारत, 1920, 14.01.2024
राजनीति
भारत और नेपाल आर्थिक संबंधों को प्रगाढ़ करते हुए सीमा पार कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध
न्यूज़ फ़ीड
0
loader
चैट्स
Заголовок открываемого материала