यूक्रेन संकट
मास्को ने डोनबास के लोगों को, खास तौर पर रूसी बोलनेवाली आबादी को, कीव के नित्य हमलों से बचाने के लिए फरवरी 2022 को विशेष सैन्य अभियान शुरू किया था।

यूरोमैदान के कारण डोनबास में युद्ध शुरू हुआ और बर्बाद हो गया कई लोगों का जीवन

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2013-14 यूरोमैदान आंदोलन को यूक्रेनी कुलीन वर्गों और उनके पश्चिमी समर्थकों द्वारा संचालित और वित्त पोषित किया गया था, जिन्होंने शुरू से ही यूक्रेन को 'रूस-विरोधी' में बदलने की कोशिश की थी।
हम शुरू से ही समझते थे कि मैदान में जो कुछ भी हुआ, उससे कुछ भी अच्छा नहीं हो सकता, प्रथम स्लाव ब्रिगेड के सपोर्ट प्लाटून के वारंट अधिकारी और कमांडर माया ने Sputnik को बताया।
उन्होंने कहा, इससे पहले, पश्चिम ने 2004 की तथाकथित 'नारंगी क्रांति' का समर्थन किया था, जिसके बाद विक्टर युशचेंको सत्ता में आए थे। युशचेंको ने रूस के साथ "गैस युद्ध" भड़काया, यूक्रेनी नाटो सदस्यता को प्राथमिकता घोषित किया, और द्वितीय विश्व युद्ध के नाजी सहयोगियों रोमन शुखेविच और स्टीफन बांदेरा को यूक्रेन के हीरो की उपाधि प्रदान की।
फरवरी 2014 में कीव में तख्तापलट बांदेरा और शुखेविच के नाजियों के वैचारिक उत्तराधिकारियों द्वारा किया गया, जिन्होंने डोनबास क्षेत्र पर नए नाजायज अधिकारियों को अस्वीकार करने के कारण हमला किया। कीव शासन ने पूर्वी यूक्रेन में युद्ध शुरू किया।

माया ने कहा, "उस समय जो कुछ भी हुआ उसे न केवल मिलिशिया ने देखा, बल्कि डोनबास के सभी निवासियों ने भी देखा। हम लोगों पर सचमुच हर जगह बमबारी की गई। उन्होंने हर जगह हमला किया। बहुत बच्चों की मौत हुई। हमारी आबादी के लिए इस त्रासदी को सहना कठिन था। यूक्रेन ने अनिवार्य रूप से हमें धोखा दिया था। इन घटनाओं ने कई लोगों के जीवन को बर्बाद कर दिया है।"

Sputnik के इन्फोग्राफिक में देखें कि यूरोमैदान की जड़, घटनाएं और परिणाम कैसे थे।
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