Обломки зданий, пострадавших в результате ракетных ударов ВС Израиля по Газе - Sputnik भारत, 1920
इज़राइल-हमास युद्ध

फिलिस्तीन के साथ युद्धविराम से ध्यान भटकाने के लिए इजराइल ने ईरान दूतावास पर किया हमला

© AFP 2023 LOUAI BESHARARescue workers search in the rubble of a building annexed to the Iranian embassy a day after an air strike in Damascus on April 2, 2024.
Rescue workers search in the rubble of a building annexed to the Iranian embassy a day after an air strike in Damascus on April 2, 2024. - Sputnik भारत, 1920, 14.04.2024
सब्सक्राइब करें
रविवार को इजराइल पर हमलों के बाद ईरान ने कहा कि True Promise Operation समाप्त हो गया है और इसे आगे जारी रखने की कोई योजना नहीं है।
सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और ओमान में भारत के राजदूत रहे तलमीज़ अहमद ने Sputnik को बताया कि इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गाजा में युद्धविराम के बारे में सवालों से वैश्विक समुदाय का ध्यान भटकाने के लिए जानबूझकर ईरान के साथ तनाव बढ़ा दिया है।
अहमद ने कहा कि अमेरिका ने 25 मार्च को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में गाजा में युद्धविराम प्रस्ताव को वीटो करने से इनकार कर दिया था। उस समय अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि गज को लेकर बाइडन प्रशासन की प्राथमिकताओं में युद्धविराम, बंधकों की रिहाई, मानवीय सहायता और भविष्य के लिए एक योजनाबद्ध स्पष्ट मार्ग है शामिल हैं।
अहमद ने कहा कि 1 अप्रैल को इजराइल रक्षा सेना के हमले में गाजा में वर्ल्ड सेंट्रल किचन के सात कर्मचारियों की मौत हो गई, जिससे दोनों सहयोगियों के मध्य संबंध और खराब हो गए।

राजनयिक ने कहा, "गाजा अभियानों को लेकर इजराइल और उसके निकटतम सैन्य समर्थक अमेरिका के मध्य मनमुटाव बढ़ रहा था। मेरा मानना ​​है कि दमिश्क में ईरानी दूतावास के कांसुलर अनुभाग पर हमला करने के इजराइल के फैसले का उद्देश्य ईरान के प्रति अपनी बढ़ती आलोचना से बातचीत को स्थानांतरित करना था। मान लीजिए कि इजराइलियों को हमेशा से पता था कि ईरान के बड़े पैमाने पर तस्वीर में आने के बाद चर्चा बदल जाएगी।"

उन्होंने कहा, "मैं कहूंगा कि इज़राइल ने 1 अप्रैल को हुए हमले के लिए ईरानी प्रतिक्रिया की आशंका जताई थी, लेकिन नेतन्याहू ने यह भी गणना की थी कि तेहरान की प्रतिक्रिया नपी-तुली होगी और उसे क्षेत्र-व्यापी टकराव में कोई दिलचस्पी नहीं है।"
अहमद ने इस बात पर जोर देने के लिए आधिकारिक ईरानी बयानों का हवाला दिया कि तेहरान ने "मापा" और जवाबी कार्रवाई आरंभ करने से पहले 13 दिनों तक इंतजार किया।
उन्होंने कहा कि यह एक प्रतीकात्मक जवाबी कार्रवाई थी, जिसका उद्देश्य इजराइल और अमेरिका को संदेश भेजना था। अहमद ने कहा, ईरान ने प्रदर्शित किया है कि उसके पास इज़राइल को निशाना बनाने की क्षमता है। संयुक्त राष्ट्र में ईरानी स्थायी मिशन ने इज़राइल पर हमलों के बाद मामले को समाप्त माना है ।

अहमद ने कहा, "कुल मिलाकर, यह नेतन्याहू की ओर से एक बहुत ही निंदक, अनैतिक और शरारती रणनीति थी। उन्होंने दिखाया है कि वे युद्ध में जाने के लिए तैयार होंगे, और न केवल पूरे क्षेत्र में, बल्कि उनके देश में भी विनाश लाएंगे।"

उन्होंने आगे रेखांकित किया, "गाजा में लंबा संघर्ष और क्षेत्रीय युद्ध का संकट नेतन्याहू के राजनीतिक अस्तित्व को सुनिश्चित करने के अतिरिक्त किसी के हित में नहीं है।"

ईरानी हमलों के बाद नेतन्याहू पर तनाव न बढ़ने का वैश्विक दबाव

अहमद ने कहा, तेहरान और उसके क्षेत्रीय सहयोगियों के सीधे हवाई हमलों के बाद नेतन्याहू पर ईरान के साथ तनाव को युद्ध में न बदलने का दबाव है।
हमलों की निंदा करते हुए और इजराइल की रक्षा के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने रविवार को एक फोन कॉल के दौरान नेतन्याहू से कथित तौर पर कहा है कि वे इजराइल के "जवाबी हमले" का समर्थन नहीं करेंगे।
भारत, जिसके ईरान और इज़राइल दोनों के साथ अच्छे संबंध हैं, ने ईरानी हमलों के बाद "तत्काल तनाव कम करने" का आह्वान किया है।
अहमद ने कहा, "जैसा कि भारत और इज़राइल के पश्चिमी सहयोगियों ने तनाव कम करने का आह्वान किया है, नेतन्याहू को संदेश दिया गया है कि वे स्थिति को और न बढ़ाएं।"
उन्होंने माना कि ऐसा लगता है कि नेतन्याहू की "चाल " ने अपना उद्देश्य पूरा कर लिया है।
अहमद ने अनुमान लगाया, "इजराइल के दृष्टिकोण से युद्धविराम और अंततः दो-राज्य समाधान के सवाल से बचने का एकमात्र तरीका मामलों को भड़काते हुए और भी अधिक बढ़ाना होगा।"
ईरान के विकल्पों पर चर्चा करते हुए अहमद ने कहा कि वर्षों के पश्चिमी प्रतिबंधों के मद्देनजर ईरान "पारंपरिक संघर्ष" में शामिल नहीं होना चाहेगा।

उन्होंने कहा, "अपनी भूराजनीतिक रणनीति के हिस्से के रूप में, ईरान ने युद्ध की सीमाओं को अपनी क्षेत्रीय सीमाओं से यथासंभव दूर ले जाने का प्रयास किया है।"

अहमद ने कहा कि तेहरान लेबनान, यमन, इराक और सीरिया में अपने "प्रॉक्सी" के माध्यम से सैन्य रूप से जुड़ा हुआ है।

अहमद ने चेतावनी दी, "घटनाओं का भविष्य और उसका रुख इजराइली प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है। मैं तर्क दूंगा कि नेतन्याहू ईरानी मोर्चे पर काफी हद तक तनाव कम करने से संतुष्ट नहीं होंगे।"

महत्वपूर्ण भारतीय हित दांव पर

जॉर्डन, लीबिया और माल्टा के पूर्व भारतीय दूत, राजदूत अनिल त्रिगुनायत ने इस बात पर प्रकाश डाला कि इज़राइल और ईरान के मध्य कोई भी तनाव भारतीय हितों पर "सीधे तौर पर प्रभाव" डालता है।
त्रिगुणायत ने Sputnik को बताया, "पश्चिम एशिया भारत के विस्तारित पड़ोस का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसलिए, वहां सुरक्षा और स्थिरता अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि कोई भी तनाव सीधे स्तर पर हमारे हितों पर प्रभाव डालता है, चाहे वह 9.5 मिलियन भारतीयों की सुरक्षा हो, ऊर्जा आपूर्ति या समुद्री व्यापार मार्गों के साथ-साथ चल रही रणनीतिक परियोजनाएं हों।"
नई दिल्ली पहले से ही अरब सागर में व्यापारिक जहाजों पर हमलों के रूप में गाजा संघर्ष के प्रभावों से जूझ रही है। हाल के महीनों में भारतीय नौसेना ने क्षेत्र में ड्रोन और मिसाइल हमलों का जवाब देने के साथ-साथ समुद्री डकैती के प्रयासों का जवाब देने के लिए अभियान शुरू किया है।
गौरतलब है कि दो प्रमुख कनेक्टिविटी पहल यानी अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा और भारत-मध्य-पूर्व-यूरोप-आर्थिक गलियारा क्रमशः ईरान और इज़राइल से होकर गुजरते हैं।
अहमद ने माना कि भारत को अपने व्यापक आर्थिक, ऊर्जा और प्रवासी हितों के कारण "क्षेत्र में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने वाला खिलाड़ी" बनना चाहिए।

उन्होंने कहा, "हमारे समुद्री व्यापार और ऊर्जा सुरक्षा के लिए इसकी प्रासंगिकता के कारण भारत को इस क्षेत्र में एक सक्रिय भूमिका निभाने वाला होना चाहिए। लेकिन भारत के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारक क्षेत्र में हमारे समुदाय की सुरक्षा है । किसी भी व्यापक टकराव से चारों ओर खाड़ी देशों में स्थित भारतीय प्रवासियों पर प्रभावित होने की संभावना है।"

अहमद ने कहा, "भारत के पास चिंतित होने और तनाव कम करने का आह्वान करने का हर कारण उपलब्ध हैं । पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को तेल अवीव में तनाव कम करने के लिए आंदोलन करना चाहिए।"
Iranian demonstrators chant slogans during an anti-Israeli gathering in front of the British Embassy in Tehran, Iran, early Sunday, April 14, 2024. Iran launched its first direct military attack against Israel on Saturday. - Sputnik भारत, 1920, 14.04.2024
विश्व
इजराइल द्वारा ईरान पर हमले जारी रहे तो मध्यपूर्व में हो जाएगा युद्ध आरंभ: पूर्व ईरानी दूत
न्यूज़ फ़ीड
0
loader
चैट्स
Заголовок открываемого материала