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ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने माना कोविशील्ड वैक्सीन के दुर्लभ दुष्प्रभाव

© Sputnik / Gustavo ValienteAstraZeneca
AstraZeneca - Sputnik भारत, 1920, 30.04.2024
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दुनिया भर मे फैली कोरोना महामारी के समय एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित कोविशील्ड का उत्पादन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा भारत में किया गया था।
कोरोना से बचने के लिए ब्रिटिश फार्मा दिग्गज एस्ट्राजेनेका द्वारा बनाई गई वैक्सीन को लेकर चौकाने वाले खुलासे हुए हैं। ब्रिटिश मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक इस वैक्सीन के बहुत सारे दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी ने अदालती दस्तावेज़ों में कहा है कि कोविशील्ड के उपयोग के दुर्लभ मामलों में रक्त का थक्का जमना और प्लेटलेट काउंट कम होने जैसे परिणाम मिल सकते हैं।
ब्रिटिश कंपनी को अपने देश में कई मुकदमों का सामना करना पड़ रहा है, लोगों ने टीके के कारण होने वाली मौतों के लिए वैक्सीन को जिम्मेदार ठहराया है। इस वैक्सीन से पीड़ित 51 लोगों ने कंपनी से यूके हाई कोर्ट में 100 मिलियन पाउंड तक के हर्जाने की मांग की है।
सबसे पहले शिकायतकर्ता जेमी स्कॉट ने आरोप लगाया था कि उन्हें अप्रैल 2021 में टीका लगाया गया था, जिससे रक्त का थक्का जमने के बाद उनके मस्तिष्क में स्थायी चोट लगी, जिसकी वजह से उन्हें काम करने से रोक दिया गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि एस्ट्राज़ेनेका ने दावों का विरोध किया, लेकिन फरवरी में एक अदालती दस्तावेज़ में स्वीकार किया गया कि कोविशील्ड "बहुत ही दुर्लभ मामलों में, टीटीएस का कारण बन सकता है"। टीटीएस (थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम के साथ थ्रोम्बोसिस) मनुष्यों में रक्त के थक्के और रक्त प्लेटलेट की संख्या गिरने का एक कारक होता है।
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