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नेपाल ने भारत सहित 11 देशों से अपने राजदूतों को वापस बुलाया
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नेपाल ने 11 देशों से अपने राजदूतों को वापस बुलाने का फैसला किया है, इन देशों में भारत, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश भी शामिल हैं। इस निर्णय पर देश के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री नारायण काजी श्रेष्ठ ने कड़ी आपत्ति जताई।
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नेपाल ने 11 देशों से अपने राजदूतों को वापस बुलाने का फैसला किया है। इन देशों में भारत, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश भी शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस निर्णय पर देश के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री नारायण काजी श्रेष्ठ ने कड़ी आपत्ति जताई।भारत में तैनात नेपाल के राजदूत शंकर शर्मा को भी वापस बुलाने का निर्णय उस समय लिया गया जब प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल रविवार को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए नई दिल्ली जा रहे हैं।एक मंत्री ने काठमांडू पोस्ट को बताया कि विदेश मंत्री श्रेष्ठ कथित तौर पर नेपाली कांग्रेस और अन्य दलों के कोटे में नियुक्त राजदूतों को वापस बुलाने के प्रस्ताव का विरोध कर रहे थे, लेकिन प्रधानमंत्री दहल और सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली ने एकतरफा फैसला लेते हुए राजदूतों को वापस बुलाने का फैसला किया।वापस बुलाए गए राजदूतों में भारत से शंकर शर्मा, अमेरिका से श्रीधर खत्री, यूनाइटेड किंगडम से ज्ञान चंद्र आचार्य और दक्षिण कोरिया से ज्योति पियाकुरेल भंडारी शामिल हैं। उन्हें नेपाली कांग्रेस को आवंटित कोटे के तहत नियुक्त किया गया था, उस वक्त पार्टी अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने 2021 में सरकार का नेतृत्व किया था।इसके अलावा कतर से नरेश बिक्रम ढकाल, सऊदी अरब से नवराज सुबेदी, स्पेन से शर्मिला परजुली ढकाल, डेनमार्क से राम स्वार्थ रे यादव, इज़राइल से कांता रिजाल, मलेशिया से दिलीराज पौडेल और पुर्तगाल से सालिन नेपाल के कार्यकाल में कटौती की गई है।पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार सभी दूतों को लौटने के लिए तीन से चार सप्ताह का समय दिया गया है।
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नेपाल ने भारत सहित 11 देशों से अपने राजदूतों को वापस बुलाया
नेपाल के मंत्रिपरिषद द्वारा की गई एक बैठक में 11 देशों से राजदूतों की वापसी के फैसले से अंदाजा लगाया जा सकता है कि नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल देश में एक बड़ा कूटनीतिक बदलाव करने जा रहे हैं।
नेपाल ने 11 देशों से अपने राजदूतों को वापस बुलाने का फैसला किया है। इन देशों में भारत, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश भी शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस निर्णय पर देश के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री नारायण काजी श्रेष्ठ ने कड़ी आपत्ति जताई।
भारत में तैनात नेपाल के राजदूत शंकर शर्मा को भी वापस बुलाने का निर्णय उस समय लिया गया जब प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल रविवार को भारतीय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए नई दिल्ली जा रहे हैं।
एक मंत्री ने काठमांडू पोस्ट को बताया कि विदेश मंत्री श्रेष्ठ कथित तौर पर नेपाली कांग्रेस और अन्य दलों के कोटे में नियुक्त राजदूतों को वापस बुलाने के प्रस्ताव का विरोध कर रहे थे, लेकिन
प्रधानमंत्री दहल और सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली ने एकतरफा फैसला लेते हुए राजदूतों को वापस बुलाने का फैसला किया।
वापस बुलाए गए राजदूतों में भारत से शंकर शर्मा, अमेरिका से श्रीधर खत्री, यूनाइटेड किंगडम से ज्ञान चंद्र आचार्य और दक्षिण कोरिया से ज्योति पियाकुरेल भंडारी शामिल हैं। उन्हें नेपाली कांग्रेस को आवंटित कोटे के तहत नियुक्त किया गया था, उस वक्त पार्टी अध्यक्ष
शेर बहादुर देउबा ने 2021 में सरकार का नेतृत्व किया था।
इसके अलावा कतर से नरेश बिक्रम ढकाल, सऊदी अरब से नवराज सुबेदी, स्पेन से शर्मिला परजुली ढकाल, डेनमार्क से राम स्वार्थ रे यादव, इज़राइल से कांता रिजाल, मलेशिया से दिलीराज पौडेल और पुर्तगाल से सालिन नेपाल के कार्यकाल में कटौती की गई है।
पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार सभी दूतों को लौटने के लिए तीन से चार सप्ताह का समय दिया गया है।