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भारत-चीन तनाव घटने के बड़ा संकेत, सीमा पर गश्त पर सहमति

© AP PhotoEn esta imagen de archivo distribuida por el ejército indio, tanques se retiran de las orillas del lago Pangong Tso, en la región de Ladakh, junto a la frontera con China, el 10 de febrero de 2021
En esta imagen de archivo distribuida por el ejército indio, tanques se retiran de las orillas del lago Pangong Tso, en la región de Ladakh, junto a la frontera con China, el 10 de febrero de 2021 - Sputnik भारत, 1920, 21.10.2024
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पिछले चार साल से भारत और चीन के बीच लद्दाख में चल रहे तनाव में कमी आने के संकेत मिलने लगे हैं। रूस में होने वाली ब्रिक्स बैठक से ठीक पहले भारतीय विदेश मंत्रालय ने घोषणा की है कि दोनों देशों के बीच सीमा पर होने वाली सैनिक गश्त पर सहमति बन गई है।
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने ब्रिक्स बैठक के संबंध में पत्रकारों के साथ हो रही चर्चा के बीच कहा कि सीमा पर हो रही गश्त को लेकर बन रही सहमति आगे सेनाओं के पीछे हटने और फिर 2020 से दोनों देशों के बीच उलझे मुद्दे के सुलझने का रास्ता बनाएगी।

विदेश सचिव ने कहा कि दोनों देशों के सैनिक और कूटनीतिक स्तर पर होने वाली बैठकों के बाद यह सहमति बनी है। दोनों देशों के कोर कमांडर के स्तर के अधिकारी 2020 से लेकर अब तक 21 दौर की वार्ता कर चुके हैं। इस मुद्दे के बाद शुरू हुई दोनों देशों के विदेश मंत्रालय के अधिकारियों की अंतिम बैठक अगस्त में हुई है।

भारत और चीन के प्रमुख 22 अक्टूबर से रूस के कज़ान में होने वाली ब्रिक्स की बैठक में भाग लेेंगे। इस सहमति के बाद दोनों प्रमुखों के बीच कज़ान में भेंट और चर्चा हो सकती है। हालांकि विदेश सचिव मिसरी ने दोनों नेताओं की कज़ान में मुलाक़ात पर अभी कुछ स्पष्ट उत्तर नहीं दिया।

भारत और चीन के बीच मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में सैनिक टकराव की स्थिति बन गई। 15 जून को दोनों देशों के सैनिकों के बीच गलवान घाटी में भिडंत हो गई जिसमें एक कर्नल सहित 20 भारतीय सैनिक और अज्ञात संख्या में चीनी सैनिकों की मृत्यु हुई। 1975 के बाद दोनों देशों के बीच यह पहली खूनी मुठभेड़ थी। इसके बाद दोनों तरफ़ के सैनिक डेपसांग मैदान, गलवान, पेंगांग झील, चुशूल सेक्टर में आमने-सामने तैनात हो गए। इनकी तादाद 50-50 हज़ार तक हो गई।

फरवरी 2021 में दोनों देशों के बीच कुछ जगहों पर सैनिकों को पीछे हटा लिया गया, लेकिन कई इलाक़ों में तैनाती बनी रही। दोनों देशों के बीच सैनिक और कूटनीतिक स्तर पर लगातार बैठकें होती रहीं जिससे तनाव कम करके सैनिकों को वापस बुलाया जा सके।
भारत और चीन के बीच 3488 किमी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा यानि एलएसी है। इसके कई हिस्सों पर दोनों देशों के बीच विवाद है और यह विवाद लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश तक फैला हुआ है। लद्दाख में दोनों देशों के बीच 1970 में काराकोरम से लेकर चुमर तक 65 पेट्रोलिंग प्लाइंट्स पर सहमति बनी थी जहां तक भारतीय सैनिक गश्त लगा सकते हैं।
2020 से शुरू हुए दोनों देशों के बीच सैनिक तनाव के बाद लगातार यह आरोप लगते रहे कि भारत ने अपने क्षेत्र में गश्त लगाने का अधिकार कई जगहों पर खो दिया है। 2023 में दिल्ली में हुई राष्ट्रीय पुलिस मीट में पेश किए गए दावों में कहा गया कि भारतीय सेना दोनों देशों के बीच तय 65 पेट्रोलिंग प्वाइंट्स में से केवल 26 पर ही गश्त कर पा रही है।
Russian President Vladimir Putin, Indian Prime Minister Narendra Modi, and Chinese President Xi Jinping stand at the start of the BRICS Summit in Goa, India, Oct. 16, 2016.  - Sputnik भारत, 1920, 21.10.2024
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