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अमेरिका जाने का जोखिम भरा सफर, अब भारत लौटे आदमी की कहानी

© Photo : Twitter / @US_EUCOMUS doomsday plane in Iceland. Photo courtesy of US European Command.
US doomsday plane in Iceland. Photo courtesy of US European Command. - Sputnik भारत, 1920, 07.02.2025
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Sputnik India ने संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा निर्वासित एक भारतीय के परिवार से संपर्क किया। उनके पिता ने बताया कि "अमेरिकी सपने" के लिए उन्हें क्या बलिदान देना पड़ा: परिवार ने संपत्ति बेच दी, लेकिन अंततः उनका बेटा भारत लौट आया।
अमेरिका से हाल ही में 104 भारतीयों को भारत वापस भेजा गया, सभी वापस आने वाले लोगों की कहानी लगभग समान है, इन्हीं में से एक हैं भारत लौटे पंजाब राज्य के आकाशदीप हैं, जिन्हें अमेरिका में अवैध रूप से सीमा पार करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था।

अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के आदेश के बाद अवैध रूप से अमेरिका में दाखिल हुए लोगों को वापस उनके देश भेजा जा रहा है।

Sputnik India से बात करते हुए भारत लौटे आकाशदीप के पिता स्वर्ण सिंह ने बताया कि "हमें खुशी है कि हमारा बेटा घर लौट आया है, लेकिन एक गरीब परिवार की मेहनत की कमाई बर्बाद हो गई, जो बहुत दुखद बात है।आकाशदीप को विदेश भेजने में लगभग 45 लाख से अधिक रुपये खर्च हो गए।"

सिंह ने कहा, "मैंने अपनी ढाई एकड़ जमीन बेचने के साथ-साथ भारी कर्ज लिया। इसके साथ साथ, मैंने आकाशदीप की दादी की जमीन भी बेच दी, जिससे हमारे ऊपर काफी कर्ज चढ़ गया। आकाशदीप भारत लौट आया है, लेकिन अभी तक गांव नहीं पहुंचा है।"

स्वर्ण सिंह बताते हैं कि पहले से उनके बेटे ने कनाडा जाने के लिए IELTS परीक्षा पास करने की कोशिश की, लेकिन उसमें सफल नहीं हो सके। इसके बाद उन्होंने अमेरिका जाने का निर्णय किया।

आकाशदीप के पिता कहते हैं, "हमारे बेटे ने तीन वर्षों तक विभिन्न नौकरियों के लिए आवेदन किया, लेकिन कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला। तभी उसने यह रास्ता अपनाने का निर्णय किया। उसने 2021 में अपनी 12वीं कक्षा पास की, लेकिन कनाडा के लिए आवश्यक IELTS में नंबर थोड़े कम रहे, इसलिए उसे वीजा नहीं मिल सका। फिर उसने दुबई के रास्ते अमेरिका जाने का निर्णय किया।"

आगे स्वर्ण सिंह ने बताया कि आकाशदीप पहले दुबई गए और वहाँ से उन्होंने किसी एजेंट के जरिए अमेरिका जाने का यह रास्ता अपनाया।

उन्होंने आखिर में कहा, "उसने शेंगेन वीजा प्राप्त करने की भी कोशिश की, लेकिन छह महीने इंतजार करने के बावजूद उसे वीजा नहीं मिला। इस प्रक्रिया को संभालने वाले दुबई के एजेंट ने हमें गुमराह किया, लेकिन हमारे पास उसका कोई संपर्क विवरण नहीं है, जिससे उसके विरुद्ध कार्रवाई करना कठिन हो रहा है।"

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