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रूसी वैज्ञानिकों ने ब्लड कैंसर का तेजी से पता लगाने के लिए नई विधि की विकसित
रूसी वैज्ञानिकों ने ब्लड कैंसर का तेजी से पता लगाने के लिए नई विधि की विकसित
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समारा विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक अंतरराष्ट्रीय टीम के हिस्से के रूप में मल्टीपल मायलोमा के प्रकार वाले ब्लड कैंसर का पता लगाने के लिए एक नई विधि विकसित की है।
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समारा विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक अंतरराष्ट्रीय टीम के हिस्से के रूप में मल्टीपल मायलोमा के प्रकार वाले ब्लड कैंसर का पता लगाने के लिए एक नई विधि विकसित की है। अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार, मल्टीपल मायलोमा ब्लड में प्लाज्मा कोशिकाओं का एक ट्यूमर होता है, जो प्रत्येक वर्ष हर 100,000 लोगों में से 7 व्यक्तियों में पाया जाता है। समारा विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने बताया कि वर्तमान में मायलोमा का पता लगाने की तकनीक बहुत महंगी और आक्रामक प्रक्रियाओं से भरी हुई है। स्थानीय चिकित्सा संस्थानों और चीन के शीआन में नॉर्थवेस्टर्न विश्वविद्यालय के सहयोगियों के साथ मिलकर, टीम ने एक अधिक सुलभ और तेज़ निदान दृष्टिकोण पद्धति निर्मित की है।ब्रैचेंको ने बताया कि डायग्नोस्टिक टेस्ट के लिए एक लेजर और सिल्वर नैनो पार्टिकल-कोटेड सब्सट्रेट की आवश्यकता होती है, जिस पर रक्त सीरम की एक बूंद लगाई जाती है।शोध से पता चला कि यह विधि 96% से अधिक सटीकता के साथ मल्टीपल मायलोमा का पता लगा सकती है, जिससे बीमारी से होने वाली मृत्यु दर में काफी कमी आ सकती है।शोधकर्ताओं ने विधि की मजबूती और प्रयोज्यता बढ़ाने के लिए अधिक नमूनों और विविध रोगी समूहों को सम्मिलित करके अध्ययन का विस्तार करने की योजना बनाई है। उनका उद्देश्य विश्लेषण प्रक्रिया को स्वचालित करना और नैदानिक सेटिंग्स में तेजी से निदान के लिए कॉम्पैक्ट डिवाइस विकसित करना भी है।
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समारा विश्वविद्यालय के शोधकर्ता, मल्टीपल मायलोमा ब्लड कैंसर का पता, कैंसर का पता लगाने की नई विधि, लाइट: एडवांस मैन्युफैक्चरिंग में प्रकाशित, समारा विश्वविद्यालय में लेजर और बायोटेक्निकल सिस्टम विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर, ल्यूडमिला ब्रैचेंको,researchers at samara university develop new method for detecting multiple myeloma blood cancer, published in light: advanced manufacturing, says lyudmila bratchenko, associate professor at the department of laser and biotechnical systems at samara university,
समारा विश्वविद्यालय के शोधकर्ता, मल्टीपल मायलोमा ब्लड कैंसर का पता, कैंसर का पता लगाने की नई विधि, लाइट: एडवांस मैन्युफैक्चरिंग में प्रकाशित, समारा विश्वविद्यालय में लेजर और बायोटेक्निकल सिस्टम विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर, ल्यूडमिला ब्रैचेंको,researchers at samara university develop new method for detecting multiple myeloma blood cancer, published in light: advanced manufacturing, says lyudmila bratchenko, associate professor at the department of laser and biotechnical systems at samara university,
रूसी वैज्ञानिकों ने ब्लड कैंसर का तेजी से पता लगाने के लिए नई विधि की विकसित
17:43 10.06.2025 (अपडेटेड: 11:31 11.06.2025) इस प्रकार के कैंसर का पता लगाने के लिए उपयोग में लाए जाने वाली वर्तमान तकनीकों के विपरीत, यह नई विधि तेज़ और अधिक लागत प्रभावी है। इस नई विधि के परिणाम लाइट: एडवांस मैन्युफैक्चरिंग में प्रकाशित किए गए हैं।
समारा विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक अंतरराष्ट्रीय टीम के हिस्से के रूप में मल्टीपल मायलोमा के प्रकार वाले ब्लड कैंसर का पता लगाने के लिए एक नई विधि विकसित की है।
अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार, मल्टीपल मायलोमा ब्लड में प्लाज्मा कोशिकाओं का एक ट्यूमर होता है, जो प्रत्येक वर्ष हर 100,000 लोगों में से 7 व्यक्तियों में पाया जाता है।
समारा विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने बताया कि वर्तमान में मायलोमा का पता लगाने की तकनीक बहुत महंगी और आक्रामक प्रक्रियाओं से भरी हुई है।
स्थानीय चिकित्सा संस्थानों और चीन के शीआन में नॉर्थवेस्टर्न विश्वविद्यालय के सहयोगियों के साथ मिलकर, टीम ने एक अधिक सुलभ और तेज़ निदान दृष्टिकोण पद्धति निर्मित की है।
डेवलपर्स में से एक समारा विश्वविद्यालय में लेजर और बायोटेक्निकल सिस्टम विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर, ल्यूडमिला ब्रैचेंको ने बताया, "मल्टीपल मायलोमा अस्थि मज्जा में असामान्य प्लाज्मा कोशिकाओं से उत्पन्न होने वाला कैंसर है, और सफल उपचार के लिए प्रारंभिक निदान महत्वपूर्ण है। नई विधि को निदान प्रक्रिया को सरल और तेज करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह जटिल तैयारी प्रक्रियाओं के बिना सुलभ उपकरणों का उपयोग करके कार्य करता है, जिससे यह व्यापक उपयोग के लिए एक आशाजनक समाधान बन जाता है।"
ब्रैचेंको ने बताया कि डायग्नोस्टिक टेस्ट के लिए एक लेजर और
सिल्वर नैनो पार्टिकल-कोटेड सब्सट्रेट की आवश्यकता होती है, जिस पर रक्त सीरम की एक बूंद लगाई जाती है।
उन्होंने आगे बताया, "कल्पना कीजिए कि आपके पास एक विशेष ‘सुपर माइक्रोस्कोप’ है जिससे आप ब्लड के ‘रासायनिक फिंगरप्रिंट’ को देख सकते हैं। सिल्वर नैनो कण इस फिंगरप्रिंट को कई गुना बढ़ा देते हैं, जिससे रक्त संरचना में होने वाले उन परिवर्तनों का पता लगाना संभव हो जाता है जो मल्टीपल मायलोमा की विशेषता है, भले ही वे बहुत कम मात्रा में ही क्यों न हों। फिर AI इन संकेतों का विश्लेषण करके यह निर्धारित करता है कि किसी व्यक्ति को यह बीमारी है या नहीं।"
शोध से पता चला कि यह विधि 96% से अधिक सटीकता के साथ मल्टीपल मायलोमा का पता लगा सकती है, जिससे बीमारी से होने वाली मृत्यु दर में काफी कमी आ सकती है।
शोधकर्ताओं ने विधि की मजबूती और प्रयोज्यता बढ़ाने के लिए अधिक नमूनों और विविध रोगी समूहों को सम्मिलित करके अध्ययन का विस्तार करने की योजना बनाई है। उनका उद्देश्य विश्लेषण प्रक्रिया को स्वचालित करना और नैदानिक सेटिंग्स में तेजी से निदान के लिए कॉम्पैक्ट डिवाइस विकसित करना भी है।