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भारतीय सेना सितंबर से प्रारंभ करेगी हल्के टैंक ज़ोरावर का परीक्षण
भारतीय सेना सितंबर से प्रारंभ करेगी हल्के टैंक ज़ोरावर का परीक्षण
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स्वदेशी हल्के टैंक ज़ोरावर को यूज़र ट्रायल के लिए सितंबर तक सेना को सौंपा जा सकता है। रक्षा सूत्रों ने Sputnik India को बताया है कि ज़ोरावर टैंक के दूसरे... 08.07.2025, Sputnik भारत
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ज़ोरावर टैंक को खास तौर पर लद्दाख जैसे ऊंचे इलाकों में इस्तेमाल के लिए डिज़ाइन किया गया है, जहाँ भारी T-90 और T-72 टैंकों को तैनात करना मुश्किल होता है। ज़ोरावर का वज़न 25 टन है, जिससे इसे विमान से ले जाना आसान है।पहले प्रोटोटाइप ज़ोरावर टैंक को पिछले वर्ष जुलाई में तैयार किया गया था और उसे DRDO ने दिसंबर 2024 को लद्दाख में सर्दी के मौसम में परीक्षण के लिए भेजा था। अब भारतीय सेना इस टैंक का रेगिस्तान और लद्दाख में सर्दियों में परीक्षण करेगी जिसमें एक से डेढ़ वर्ष का समय लगेगा। इस टैंक के 2027 तक भारतीय सेना में शामिल होने की संभावना है।
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भारतीय सेना सितंबर से प्रारंभ करेगी हल्के टैंक ज़ोरावर का परीक्षण
15:32 08.07.2025 (अपडेटेड: 15:33 08.07.2025) स्वदेशी हल्के टैंक ज़ोरावर को यूज़र ट्रायल के लिए सितंबर तक सेना को सौंपा जा सकता है। रक्षा सूत्रों ने Sputnik India को बताया है कि ज़ोरावर टैंक के दूसरे प्रोटोटाइप को बनाने का काम अगले दो महीने में पूरा हो जाएगा। इस टैंक का निर्माण रक्षा अनुसंधान और विकास संस्थान (DRDO) और लार्सन एंड टूब्रो (L&T) मिलकर कर रहे हैं।
ज़ोरावर टैंक को खास तौर पर लद्दाख जैसे ऊंचे इलाकों में इस्तेमाल के लिए डिज़ाइन किया गया है, जहाँ भारी T-90 और T-72 टैंकों को तैनात करना मुश्किल होता है। ज़ोरावर का वज़न 25 टन है, जिससे इसे विमान से ले जाना आसान है।
भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने ज़ोरावर टैंक की कुल 7 रेजीमेंट बनाने का निर्णय लिया है। इसके लिए 59 टैंकों के निर्माण के लिए L&T को ऑर्डर दिया जा चुका है। दूसरे चरण में 295 टैंक बनाने की योजना है।
पहले प्रोटोटाइप ज़ोरावर टैंक को पिछले वर्ष जुलाई में तैयार किया गया था और उसे DRDO ने दिसंबर 2024 को लद्दाख में सर्दी के मौसम में परीक्षण के लिए भेजा था। अब भारतीय सेना इस टैंक का रेगिस्तान और लद्दाख में सर्दियों में परीक्षण करेगी जिसमें एक से डेढ़ वर्ष का समय लगेगा। इस टैंक के 2027 तक भारतीय सेना में शामिल होने की संभावना है।
ज़ोरावर में ड्रोन या हेलीकॉप्टर हमलों से निपटने के लिए 105 मिमी कैलिबर की मुख्य तोप और 7.62 मिमी कैलिबर की एंटी-एयरक्राफ्ट मशीन गन है। शत्रु के टैंकों से निबटने के लिए एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) लांचर हैं, और मुख्य तोप से भी ATGM फ़ायर किए जा सकते हैं। इसमें लेज़र रेंज फाइंडर और रात में देखने के लिए सिस्टम लगाए गए हैं। ज़ोरावर 70 किमी की गति से चल सकता है और इसमें तीन सैनिकों को क्रू काम करता है।