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भारत और चीन पर रूसी तेल को अस्वीकार करने का दबाव डालने में अमेरिका सफल नहीं होगा: लवरोव

© Sputnik / Viktor Tolochko / मीडियाबैंक पर जाएंRussian Foreign Minister Sergey Lavrov delivers a speech at the 2nd High-Level International Conference on Eurasian Security in Minsk, Belarus
Russian Foreign Minister Sergey Lavrov delivers a speech at the 2nd High-Level International Conference on Eurasian Security in Minsk, Belarus - Sputnik भारत, 1920, 18.09.2025
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रूसी विदेश मंत्री सर्गे लवरोव ने गुरुवार को कहा कि भारत और चीन पर रूसी तेल को अस्वीकार करने के लिए दबाव डालने में अमेरिका सफल नहीं होगा।

लवरोव ने कहा, "चीन और भारत से इस तरह बात करना कि या तो आप वह करना बंद कर दें जो मुझे पसंद नहीं है, या मैं आप पर टैरिफ लगा दूंगा, काम नहीं करेगा।"

रूसी विदेश मंत्री ने आगे कहा कि रूस संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति के साथ स्थापित संवाद को बनाए रखना चाहता है, और अमेरिका भी यही चाहता है।

लवरोव कहते हैं, "यूक्रेन में समझौते की गति से ट्रम्प की निराशा आंशिक रूप से त्वरित समाधान की उनकी इच्छा से समझी जा सकती है, लेकिन ऐसे समाधान हमेशा कारगर नहीं होते। अलास्का में सम्मेलन के बाद, ट्रम्प ने युद्ध विराम पर अंतिम चेतावनी की नहीं, बल्कि दीर्घकालिक समझौते की वकालत शुरू कर दी, और अमेरिका इस रुख से पीछे नहीं हट रहा है।"

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प की समझ को लेकर रूसी विदेश मंत्री ने आगे बताया कि वे इस बात को समझते हैं कि समझौता करने के लिए यूक्रेन की नाटो में शामिल होने की उम्मीदों को दरकिनार करना होगा।

उन्होंने कहा, "अमेरिका समझता है कि यूक्रेन में ज़मीनी हकीकत कुछ क्षेत्रों को "काटने" की इच्छा से परिभाषित नहीं होती। ट्रम्प के दूत विटकॉफ स्पष्ट रूप से संतुलन स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। रूस और अमेरिका के बीच यूक्रेन को लेकर आगे भी बातचीत होने की संभावना है। मास्को यूक्रेन पर समझौता करने के लिए तैयार है, बशर्ते रूस के वैध सुरक्षा हितों की गारंटी हो।"

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