रूस भारत के साथ संयुक्त विमानन सहयोग को बढ़ाने के लिए पूरी तरह तैयार: उप प्रधानमंत्री मंतुरोव
09:00 04.12.2025 (अपडेटेड: 10:51 04.12.2025)

© Sputnik / Pavel Lisitsyn
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विशेष
रूसी के प्रथम उप-प्रधानमंत्री देनिस मंतुरोव राष्ट्रपति पुतिन की टीम के साथ नई दिल्ली पहुंच चुके हैं। यात्रा से पहले स्पूतनिक इंडिया को दिया खास इंटरव्यू - रूस-भारत के बीच नए आर्थिक सहयोग के बड़े अवसरों पर खुलकर बोले।
स्पुतनिक इंडिया: रूस परमाणु आइसब्रेकरों के निर्माण में विश्व नेता है, जबकि भारत तेजी से विकसित हो रहे जहाज-निर्माण क्षेत्र का मालिक है। आर्कटिक जहाज निर्माण के क्षेत्र में आप भारत के साथ साझेदारी के संभावित प्रारूपों का कैसे मूल्यांकन करते हैं?
मंतुरोव: आर्कटिक एक विशेष समुद्री क्षेत्र है, जहाँ भौगोलिक, जलवायु और भू-भौतिकीय परिस्थितियाँ बेड़े के लिए अद्वितीय आवश्यकताएँ उत्पन्न करती हैं। आर्कटिक के कठिन हाइड्रोमौसम स्थितियों में नौवहन सुनिश्चित करने के लिए उच्च आर्कटिक श्रेणी के मालवाहक जहाजों की आवश्यकता होती है जैसे कि टैंकर, बल्क कैरियर, कंटेनर जहाज और एलएनजी गैस कैरियर इत्यादि। आर्कटिक क्षेत्र के जहाजों के संयुक्त उत्पादन हेतु संगठित सहयोग की एक अत्यंत संभावित दिशा प्रकट हो सकता है। इस विषय पर संवाद रूसी-भारतीय अंतर-सरकारी आयोग की व्यापार-आर्थिक, वैज्ञानिक-तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग संबंधी विशेष कार्य समूह के ढाँचे में चल रहा है। रूसी पक्ष की ओर से इस समूह का नेतृत्व राज्य निगम रोसाटॉम करता है और भारतीय पक्ष की ओर से भारत सरकार का पोर्ट्स, शिपिंग एवं जलमार्ग मंत्रालय।
स्पुतनिक इंडिया: अक्टूबर में मॉस्को और नई दिल्ली ने भारत में नागरिक SJ-100 के निर्माण पर समझौता किया। नागरिक उड्डयन उद्योग में भारत के साथ सहयोग के लिए रूस किन संभावनाओं को देखता है?
भारतीय हवाई परिवहन बाज़ार अत्यंत तेज़ी से विकसित हो रहा है। भारत “मेड इन इंडिया” की विचारधारा के अंतर्गत औद्योगिक विकास के मार्ग पर अपनी सक्रियता बढ़ा रहा है। हमारे भारतीय साझेदारों के साथ हमारे पास विमानन क्षेत्र में गहरे और दीर्घकालिक सफल सहयोग के अनेकों उदाहरण हैं ! जैसे प्रसिद्ध मिग-21 लड़ाकू विमान और बहु-उद्देश्यीयSu-30MKI, जिन्हें भारत में लाइसेंस के अंतर्गत निर्मित किया जाता है और जो भारतीय वायुसेना का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। रूस वह साझेदार है जो भारत को न मात्र आधुनिक विमानन तकनीक की आपूर्ति में, बल्कि भारत की अपनी विमानन उद्योग के विकास में सहयोग देने के लिए भी तैयार है। इसी संदर्भ में, हमारा मानना है कि सहयोग केवल सैन्य क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि नागरिक विमानन के क्षेत्र में भी पारस्परिक रुचि का विषय हो सकता है। रूसी सुपरजेट विमान आज तक 4 करोड़ से अधिक यात्रियों को अपनी सेवा दे चुका हैं और घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय मार्गों पर रूसी एयरलाइनों द्वारा सक्रिय रूप से संचालित होते हैं। इस विमान के अद्यतन संस्करण के प्रमाणन और बड़े स्तर पर उत्पादन के विस्तार के साथ भारतीय साझेदारों के साथ सहयोग की प्रासंगिकता बढ़ेगी और तब इस पर अधिक ठोस और विस्तृत रूप से चर्चा की जा सकेगी।
स्पुतनिक इंडिया: भारतीय व्यवसाय वर्तमान में अपने उत्पादों के लिए नए बाज़ार खोज रहा है, विशेषकर अमेरिका द्वारा लगाए गए ऊँचे शुल्कों के संदर्भ में। रूस भारतीय कंपनियों को क्या प्रस्तुत कर सकता है? भारतीय साझेदारों को रूसी बाज़ार की कौन-सी संभावनाओं के बारे में जानना चाहिए?
पिछले पाँच वर्षों में रूसी-भारतीय व्यापार लगभग 7 गुना बढ़ा है। हमारे दोनों देशों के नेताओं ने वर्ष 2030 तक100 अरब डॉलर के लक्ष्य को प्राप्त करने का महत्वाकांक्षी मानक रखा है। इस लक्ष्य तक पहुँचने का मार्ग द्विपक्षीय गतिशीलता वाला है। रूस के निर्यात को बढ़ाने के साथ-साथ रूस में संयुक्त परियोजनाओं का कार्यान्वयन और भारतीय उत्पादों की आपूर्ति का विविधीकरण इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
औद्योगिक विकास की अपनी योजनाओं और वैश्विक व्यापार प्रवाह के पुनर्वितरण (जिसमें आपके द्वारा उल्लेखित शुल्क युद्ध भी शामिल हैं) को ध्यान में रखते हुए, भारत कई मांग वाली श्रेणियों में एक महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता बनने का दावा कर सकता है! विशेष रूप से वहाँ, जहाँ भारतीय उत्पादक पहले अमित्र देशों से आने वाले सामानों का भरोसेमंद और प्रतिस्पर्धी विकल्प प्रदान कर सकते हैं। इसके लिए आवश्यक है कि रूसी उद्यमियों को भारतीय साझेदारों की क्षमताओं के बारे में अधिक जानकारी दी जाए। हमें रासायनिक उत्पादों, कच्चे माल, उपकरण और घटक, वस्त्र, उपभोक्ता सामान और निश्चित रूप से खाद्य आपूर्ति जैसे क्षेत्रों में संवाद सक्रिय करने की मजबूत संभावनाएँ दिखाई देती हैं। रूस अपनी ओर से भारत को खनिज उर्वरकों, मशीनों और उपकरणों, धातुकर्म उत्पादों के निर्यात में वृद्धि कर रहा है।
औद्योगिक विकास की अपनी योजनाओं और वैश्विक व्यापार प्रवाह के पुनर्वितरण (जिसमें आपके द्वारा उल्लेखित शुल्क युद्ध भी शामिल हैं) को ध्यान में रखते हुए, भारत कई मांग वाली श्रेणियों में एक महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता बनने का दावा कर सकता है! विशेष रूप से वहाँ, जहाँ भारतीय उत्पादक पहले अमित्र देशों से आने वाले सामानों का भरोसेमंद और प्रतिस्पर्धी विकल्प प्रदान कर सकते हैं। इसके लिए आवश्यक है कि रूसी उद्यमियों को भारतीय साझेदारों की क्षमताओं के बारे में अधिक जानकारी दी जाए। हमें रासायनिक उत्पादों, कच्चे माल, उपकरण और घटक, वस्त्र, उपभोक्ता सामान और निश्चित रूप से खाद्य आपूर्ति जैसे क्षेत्रों में संवाद सक्रिय करने की मजबूत संभावनाएँ दिखाई देती हैं। रूस अपनी ओर से भारत को खनिज उर्वरकों, मशीनों और उपकरणों, धातुकर्म उत्पादों के निर्यात में वृद्धि कर रहा है।
रूसी-भारतीय सहयोग के प्रमुख तत्वों में से एक औद्योगिक सहकारिता है। मशीनरी, धातुकर्म, खनन, रसायन उद्योग, फार्मास्यूटिकल्स, सूचना प्रौद्योगिकी, विमान निर्माण और अन्य क्षेत्रों में संयुक्त परियोजनाएँ लागू की जा रही हैं या विचाराधीन हैं।
हम दोनों देशों के व्यापारिक समुदायों के मध्य सहयोग को हर प्रकार से बढ़ावा देने के लिए तैयार हैं, साथ ही रूस और भारत में आयोजित प्रमुख सम्मेलन-प्रदर्शनी कार्यक्रमों में उनकी नियमित भागीदारी को भी प्रोत्साहित करते हैं। रूसी उपभोक्ताओं के साथ संपर्क स्थापित करने और अपने उत्पाद प्रदर्शित करने के लिए भारतीय निर्माताओं को उद्योग-विशिष्ट प्लेटफॉर्मों, विशेषकर येकातेरिनबर्ग में हमारी प्रमुख औद्योगिक प्रदर्शनी इनोप्रोम (INNOPROM) का अधिक सक्रिय उपयोग करना चाहिए। इसके अतिरिक्त, 4–5 दिसंबर को हमारे राष्ट्राध्यक्ष की नई दिल्ली यात्रा के संदर्भ में होने वाला रूसी-भारतीय फ़ोरम नए व्यावसायिक संपर्क स्थापित करने के लिए एक महत्वपूर्ण संभावना होगी। यह फ़ोरम कंपनियों के मध्य प्रत्यक्ष संवाद को मजबूत करेगा और दोनों देशों के मध्य पारस्परिक व्यापार तथा सहयोग को नए स्तर पर ले जाएगा।
स्पुतनिक इंडिया: भारत और रूस के मध्य नए लॉजिस्टिक मार्गों की स्थिति। मुख्य ध्यान किस पर है?
भारत-रूस की न मात्र द्विपक्षीय स्तर पर, बल्कि बहुपक्षीय ढाँचों (EAEU, BRICS, SCO) में भी प्राथमिक आर्थिक साझेदार है। इन और अन्य अंतरराष्ट्रीय संरचनाओं में, जिनका हिस्सा दोनों देश हैं, एक स्थायी यूरेशियन परिवहन कॉरिडोर बनाने पर रचनात्मक संवाद चल रहा है, जो कुशल लॉजिस्टिक्स, परिवहन संपर्क और आपूर्ति की विश्वसनीयता सुनिश्चित करेगा।
इस संदर्भ में, स्वेज नहर सहित पारंपरिक मार्गों के साथ-साथ उत्तर–दक्षिण अंतरराष्ट्रीय परिवहन मार्ग और पूर्वी मार्ग, रूस के पूर्वी बंदरगाहों के माध्यम से भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
भारतीय साझेदारों के साथ मिलकर हम इन मार्गों का विस्तार कर रहे हैं, इष्टतम लॉजिस्टिक्स विकसित कर रहे हैं, कार्गो बेस बना रहे हैं, बुनियादी ढाँचे का विकास कर रहे हैं और बाईपास का आधुनिकीकरण कर रहे हैं।
इस संदर्भ में, स्वेज नहर सहित पारंपरिक मार्गों के साथ-साथ उत्तर–दक्षिण अंतरराष्ट्रीय परिवहन मार्ग और पूर्वी मार्ग, रूस के पूर्वी बंदरगाहों के माध्यम से भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
भारतीय साझेदारों के साथ मिलकर हम इन मार्गों का विस्तार कर रहे हैं, इष्टतम लॉजिस्टिक्स विकसित कर रहे हैं, कार्गो बेस बना रहे हैं, बुनियादी ढाँचे का विकास कर रहे हैं और बाईपास का आधुनिकीकरण कर रहे हैं।